Dhanteras 2023 Puja Time: हिंदू धर्म में भगवान कुबेर का काफी महत्व होता है. हर वर्ष भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य भगवान धन्वन्तरी का प्राकट्य पर्व कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को मनाया जाता है. ये पर्व प्रदोष व्यापिनी तिथि में मनाने का विधान है. सनातन धर्म में दीपावली पर्व की शुरुआत धनतेरस से ही हो जाती है. इस दिन से देवी-देवताओं की पूजा विधिवत और श्रद्धा भाव से करने पर घर में सुख, शांति, वैभव और संपन्नता आती है. माता लक्ष्मी धन और वैभव की देवी हैं, उनकी कृपा से रंक भी राजा बन जाता है. लेकिन धनतेरस और दिवाली पर कुबेर की भी पूजा करने से जातक के सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. लक्ष्मी-गणेश के साथ कुबेर या कुबेर यंत्र की पूजा विधिपूर्वक लोग करते हैं. ऐसे में आइए जानते है कि धनतेरस और दिवाली पर क्यों की जाती है कुबेर की पूजा? धन प्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र क्या है?
धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा के लिए पंचोपचार विधि को अपनाएं. इसमें पूजा के लिए पांच चरण महत्वपूर्ण माने जाते हैं. पूजा में सबसे पहले आचमन, फिर ध्यान, फिर जाप, इसके बाद आहुति होम और आखिर में आरती करने का विधान होता है. पंचोपचार विधि से पूजा करने पर कुबेर देव प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा पूजा में कुबेर देव को चंदन, धूप, फूल, दीप, नैवेद्य और भोग आदि जरूर अर्पित करें. इसके साथ ही कुबेर देव के विशेष मंत्रों का जाप भी करें. पूजा के आखिर में क्षमा याचना करनी चाहिए.
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माता लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर की नई मूर्ति या तस्वीर और नए वस्त्र चाहें तो श्री यंत्र, कुबेर यंत्र का भी पूजा में उपयोग कर सकते हैं.
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कमलगट्टा, धनिया खड़ा, कमल और लाल गुलाब का फूल, माला, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, दूर्वा, कुश, पंच मेवा.
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मूर्ति स्थापना के लिए चौकी, अक्षत्, हल्दी, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान का पत्ता, पंच पल्लव.
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दही, दूध, फल, शहद, गंगाजल, शक्कर, शुद्ध घी, नैवेद्य, मिष्ठाई.
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गुलाल, कपूर, यज्ञोपवीत, कुमकुम, रुई की बत्ती, दीपक, धूप, गंध, इलायची (छोटी), लौंग, रक्षासूत्र, इत्र, कुश का आसन,
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चांदी या सोन का सिक्का, श्रीफल या नारियल, कलमख् बहीखाता आदि.
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है, जब गुणनिधि नामक बालक भगवान शिव का भक्त था. वह पिता की तलाश में घर से निकला. वह पिता को खोजते-खोजते थक गया. उसे भूख लगी थी, उस दिन शिवरात्रि थी. वह एक मंदिर में गया, जहां प्रसाद देखकर उसकी भूख बढ़ गई. रात में उसने प्रसाद चोरी करके खा लिया. पुजारी ने क्रोध में आकर उस पर बाण से प्रहार कर दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई.
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धन के देवता कुबेर को आसुरी शक्तियों का हरण करने वाला देवता भी माना गया है, इस दिन सांयकाल में उत्तर दिशा में कुबेर यंत्र को स्थापित कर उन पर गंगाजल छिड़क कर रोली,चावल से तिलक करें, पुष्प चढ़ाएं एवं दीप जलाकर भोग लगाएं व इस मंत्र का जाप करें.
कुबेर पूजा मंत्र
कुबेर देव की पूजा तब तक सफल नहीं मानी जाती, जब तक कि उनकी पूजा में मंत्र जप ना किया जाए. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में कुबेर मंत्र का जाप करते हुए इसके उच्चारण सही होने चाहिए.
‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा।’
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुबेर को देवताओं के धन का कोषाध्यक्ष कहा जाता है और वे धनपति भी हैं. उनके पास धन का अक्षय भंडार है, जो कभी खत्म नहीं होता है. वे धन के संरक्षक भी हैं. उनकी पूजा करने से धन स्थाई होता है, उसमें कोई कमी नहीं होती है, जबकि माता लक्ष्मी धन और वैभव की देवी हैं, लेकिन वह चंचला हैं. वे अधिक समय तक एक जगह स्थिर नहीं होती हैं. इस वजह से लोग धनतेरस और दिवाली पर कुबेर की पूजा करते हैं, ताकि उन्होंने जो धन-संपत्ति अर्जित की है, वह कम न हो. उसमें बढ़ोतरी हो और वह सुरक्षित रहे. कुबेर की कृपा से धन सुरक्षित रहेगा.