Diwali 2020 Pujan Samagri, Puja Vidhi, Muhurat : दिवाली पर सही मुहूर्त में करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा तो विघ्न दूर होंगे और धन की वर्षा होगी

Diwali 2020 Date, Puja Time, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Pujan Samagri : धनतेरस, नरक चतुदर्शी, छोटी दिवाली और दीपावली (deepawali 2020) को लेकर लोग कंफ्यूज है. ऐसी स्थिति तिथियों की घटती-बढ़ती के कारण हुआ है. दिवाली 2020 इस बार उत्तम योग में मनाई जाएगी. 14 नवंबर शनिवार को दीपावली का पर्व देशभर में मनाया जाएगा. ज्योतिष गणना के अनुसार, स्थिर लग्न में लक्ष्मी कुबेर पूजन का विशेष महत्व है और ये सर्वसिद्धि फलदायी होगा. दीपावली के दिन ही शनि स्वाति योग से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है जोकि सुबह से लेकर रात 8:48 तक रहेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2020 9:35 PM

मुख्य बातें

Diwali 2020 Date, Puja Time, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Pujan Samagri : धनतेरस, नरक चतुदर्शी, छोटी दिवाली और दीपावली (deepawali 2020) को लेकर लोग कंफ्यूज है. ऐसी स्थिति तिथियों की घटती-बढ़ती के कारण हुआ है. दिवाली 2020 इस बार उत्तम योग में मनाई जाएगी. 14 नवंबर शनिवार को दीपावली का पर्व देशभर में मनाया जाएगा. ज्योतिष गणना के अनुसार, स्थिर लग्न में लक्ष्मी कुबेर पूजन का विशेष महत्व है और ये सर्वसिद्धि फलदायी होगा. दीपावली के दिन ही शनि स्वाति योग से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है जोकि सुबह से लेकर रात 8:48 तक रहेगा.

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दक्षिण दिशा में दीप दान कर छोटी दिवाली मनाई जाती है

दीपावली के एक दिन पहले छोटी दिवाली मनायी जाती है. इसी दिन यम का दीपक जलाया जाता है. तिथियों की घटती-बढ़ती के कारण धनतेरस और छोटी दिवाली एक ही दिन मनायी जाएगी. 13 नवंबर की शाम 7 बजकर 50 मिनट से चतुर्दशी तिथि लगने के कारण धनतेरस की शाम छोटी दिवाली या छोटी दीपावली भी मनाई जाएगी. इस दिन को नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन शाम को घर के बाहर मृत्यु के देवता यमराज को दक्षिण दिशा में दीप दान कर छोटी दिवाली मनाई जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है.

छोटी दिवाली के अलग

छोटी दिवाली के अलग नाम नरक चतुर्दशी है. नरक चतुर्दशी के दिन लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर यम के नाम की दीपक जलाते हैं. साथ ही प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवार के लोग अकाल मृत्यु से दूर रहें. इस दिन को देश भर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कहीं इसे छोटी दिवाली तो कहीं काली चौदस कहते हैं.

नरक चतुर्दशी की सही तिथि

नरक चतुर्दशी के त्योहार को नरक चौदस और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. नरक चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. इसलिये कई लोग इस छोटी दिवाली भी कहते हैं. हालांकि, इस बार नरक चतुर्दशी और दीवाली एक दिन ही पड़ रहे हैं.

रूप चतुर्दर्शी पूजन

आज धनतेरस है. इस दिन चतुर्दशी तिथि है. यह प्रदोष काल में आ रही है. ऐसे में इस दिन रूप चतुर्दशी, हनुमान पूजन, यमदीप दान होगा. मान्यता है कि इस दिन लोग सुबह अबटन लेपन के बाद ही स्नान करते हैं. इससे व्यक्ति का रूप निखरता है. इसके अलावा अनिष्ट के विनाश और लंबी आयु के लिए इस दिन दीपक (चार मुखी) जलाया जाता है. इसे पूरे घर में घुमाया जाता है. फिर इस दीपक को किसी सुनसान स्थान या चौराहे पर रख दिया जाता है.

छोटी दिवाली

नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली, मुख्य त्योहार से एक दिन पहले मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की चतुर्दशी तिथि पर छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस दिन को नरक चौदस या रूप चौदस भी कहा जाता है. यह त्योहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन अभयदान (दीवाली स्नान अनुष्ठान) का शुभ समय सुबह 5 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 43 मिनट बजे तक का है.

आज है छोटी दिवाली और नरक चतुर्दशी

तिथियों के बढ़ने और घटने के कारण छोटी दिवाली 13 नवंबर दिन शुक्रवर की शाम से 14 नवंबर की शाम तक मनाई जाएगी. 14 नवंबर की शाम से अमावस्या लगने के कारण इस दिन दिवाली मनाई जाएगी. नरक चतुर्दशी को हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं.

नरक चतुर्दशी तिथि और स्‍नान का शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 59 मिनट से.

चतुर्दशी तिथि समाप्‍त- 14 नवंबर 2020 को दोहपर 02 बजकर 17 मिनट तक.

अभ्‍यंग स्‍नान का मुहूर्त- 14 नवंबर 2020 को सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट तक.

कुल अवधि- 01 घंटे 20 मिनट.

नरक चतुर्दशी के दिन ऐसे करें दीपदान

1. नरक चतुर्दशी के दिन घर के सबसे बड़े सदस्‍य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए.

2. इस दीये को पूरे घर में घुमाएं.

3. अब घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं.

4. घर के दूसरे सदस्‍य घर के अंदर ही रहें और उन्हें यह दीपक नहीं देखना चाहिए.

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