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Bareilly: ‘जमीं के भगवान’ रेल सफर में छिपाने लगे पहचान, जानें डॉक्टर यात्रा में क्यों नहीं लिखते चिकित्सक

Bareillly News : इंडियन रेलवे ने आरक्षण (रिजर्वेशन) फार्म के सबसे ऊपर ही डॉक्टर का एक कॉलम दिया है. इस कॉलम में लिखा है, यदि आप डॉक्टर हैं, तो कृपया सही का निशान लगाएं. आपात स्थिति में आपसे मदद ली जा सकती है.

Bareillly News : एक भगवान है, जो सबका मालिक है. वह लोगों को दुनिया में भेजकर जिंदगी देता है. मगर, एक भगवान जमीन पर भी है.जमीन के भगवान को इंसान तबीयत (बीमार) होने पर याद करता है. यह भगवान भी मरीज की रात -दिन सेवा कर नई जिंदगी देता है. मरीज और उसके तीमारदारों को ऊपर के भगवान के बाद जमीन के भगवान से ही उम्मीद होती है. मगर,जमीन के भगवान रेल सफर में पहचान छिपाने लगे हैं.बरेली में करीब 2 हजार से अधिक डॉक्टर हैं. इनमें अधिकांश बरेली जंक्शन, इज्जतनगर, बरेली सिटी और बरेली कैंट स्टेशन आदि स्टेशन से हर दिन सफर करते हैं.

मगर, रेलवे के रिजर्वेशन फॉर्म पर डॉक्टर नहीं लिखते.बरेली जंक्शन के रिजर्वेशन अफसरों की मानें तो पीएचडी वाले डॉक्टर लिखते हैं, लेकिन मेडिकल लाइन के डॉक्टर रिजर्वेशन फॉर्म पर चिकित्सक नहीं लिखते हैं.क्योंकि, वह सुकून (आराम) से सफर करने के लिए अपनी पहचान छिपाते हैं.अगर, रेलवे के रिजर्वेशन फॉर्म पर डॉक्टर के आगे सही का निशान लगाएंगे तो उनको रेल सफर में आपातकालीन स्थिति में मरीज का इलाज करना पड़ेगा.वह सफर में मरीज के इलाज से बचने के साथ ही चिकित्सकीय उपकरण भी नहीं ले जाना चाहते हैं.

यह है रेलवे का नियम

इंडियन रेलवे ने आरक्षण (रिजर्वेशन) फार्म के सबसे ऊपर ही डॉक्टर का एक कॉलम दिया है. इस कॉलम में लिखा है, यदि आप डॉक्टर हैं, तो कृपया सही का निशान लगाएं. आपात स्थिति में आपसे मदद ली जा सकती है. मगर, बरेली से कई वर्ष से एक भी डॉक्टर ने फॉर्म पर डॉक्टर के बॉक्स के सामने सही का निशान नहीं लगाया है, जबकि हर दिन दिल्ली, लखनऊ से लेकर प्रमुख स्थानों का डॉक्टर सफर करते हैं.

तुरंत कन्फर्म होती है बर्थ, यह मिलती सुविधा

इंडियन रेलवे रिजर्वेशन फॉर्म पर डॉक्टर के आगे कालम पर सही का निशान वाले रिजर्वेशन फॉर्म पर तुरंत बर्थ आवंटित करता है. इससे डॉक्टर को तुरंत ही कंफर्म बर्थ मिलती है. इसके साथ ही यह बर्थ नीचे की होती है. जिससे डॉक्टर आराम से आपात स्थिति में बीमार यात्री का उपचार कर सके. मगर, एक डॉक्टर ने दबीं जुबां से बताया की सफर में जाने के दौरान चिकित्सकीय उपकरण नहीं होते. ऐसे में इलाज करना भी मुश्किल होता है. इसीलिए डॉक्टर के कालम को नहीं भरते हैं. यही मजबूरी है.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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