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झारखंड में फर्जी इंश्योरेंस पर दौड़ रही हैं दर्जनों बसें, गिरिडीह बस हादसे के बाद खुली पोल

झारखंड, बिहार और बंगाल में इंश्योरेंस फर्जीवाड़ा का नेटवर्क फैला है. गिरिडीह से निबंधित बाबा सम्राट की 13 में से सात बसें दोपहिया वाहन के इंश्योरेंस पेपर पर चल रही हैं. वहीं, बंगाल से चलनेवाली 16 में से 9 बसों का इंश्योरेंस या तो दोपहिया का या किसी ट्रेलर का.

गिरिडीह, राकेश सिन्हा. डुमरी-गिरिडीह मार्ग पर हुए भीषण हादसे की पड़ताल के दौरान कई चौंकानेवाले तथ्य सामने आ रहे हैं. शुरुआती जांच में जानकारी मिली थी कि हादसे का शिकार हुई बस के इंश्योरेंस पेपर में फर्जीवाड़ा किया गया है. गहराई से जांच करने पर पता चला है कि न केवल बाबा सम्राट बस, बल्कि हजारीबाग की पम्मी और विजय बस समेत कई अन्य भारी वाहन दोपहिया वाहन के इंश्योरेंस पर ही चलाये जा रहे हैं. परिवहन विभाग के पोर्टल पर अपलोड इंश्योरेंस पेपर इस तरह के फर्जीवाड़े की पुष्टि करते हैं.

गिरिडीह में हुए हादसे के बाद परिवहन विभाग ने शुरू की पड़ताल, तो सामने आयी सच्चाई

जानकारी के अनुसार, बाबा सम्राट की चार दर्जन से भी ज्यादा बसें चलती हैं. कई अन्य लोगों की बसें भी बाबा सम्राट की देखरेख में और उनके नाम से ही चलती हैं. परिवहन विभाग ने इन सभी बसों के कागजात की जांच शुरू कर दी है. इस नाम से ज्यादातर बसें कोलकाता और रांची के लिए चलती हैं. सूत्रों के अनुसार गिरिडीह से निबंधित बाबा सम्राट की 13 में से सात बसें दोपहिया वाहन के इंश्योरेंस पेपर पर चल रही हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल से चलनेवाली 16 में से नौ बसों का इंश्योरेंस या तो दोपहिया का या किसी ट्रेलर का. जब दोपहिया वाहन के इंश्योरेंस पर बसों के परिचालन की पोल खुलने लगी, तो कई बस संचालकों ने आनन-फानन में बसों का बीमा कराना शुरू कर दिया है. बाबा सम्राट ने सोमवार को पांच बसों का बीमा कराया गया.

झारखंड, बिहार व बंगाल में फैला है इंश्योरेंस फर्जीवाड़ा का नेटवर्क

सूत्रों की मानें, तो फर्जी इंश्योरेंस पेपर तैयार करनेवाला नेटवर्क झारखंड, बिहार और बंगाल में फैला हुआ है. इसमें कुछ बीमा कंपनियों के कर्मी भी शामिल हैं. परिवहन विभाग को सिर्फ पॉलिसी का नंबर दिखता है. चूंकि पॉलिसी सर्टिफिकेट नहीं दिखता है, ऐसे में विभाग को इंश्योरेंस पेपर की जांच में परेशानी होती है.

बाबा सम्राट के संचालक राजू खान ने कहा कि बीमा कंपनी ने मेरे साथ धोखा किया है. इस संबंध में मैंने नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया है. मैंने बस का इंश्योरेंस द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी से कराया था और इसके लिए 66,622 रुपये भेजे थे. मामले की जांच हो, तो फर्जीवाड़ा स्वत: सामने आ जायेगा.

वहीं द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, गिरिडीह के शाखा प्रबंधक प्यारेलाल शर्मा कहते हैं कि जिस फर्जी कागजात की बात की जा रही है, वह मेरे कार्यालय से जुड़ा हुआ ही नहीं है. जिस दोपहिया वाहन के इंश्योरेंस पर बस का परिचालन किया जा रहा था, उसे किसी पोर्टल से अपलोड किया गया है. इससे हमारी कंपनी का कोई लेना-देना नहीं है.

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