रमकंडा के दर्जनों गांव हाथियों के आतंक से परेशान, मकई व धान खाने की चाहत में कई घरों को किया क्षतिग्रस्त

Jharkhand news, Garhwa news : गढ़वा जिले के दक्षिणी वन क्षेत्र वाले सुदूरवर्ती रमकंडा प्रखंड के दर्जन भर गांवों के लोग रुक- रुक कर हो रहे हाथियों के आतंक से परेशान हो चुके हैं. उन्हें अपनी जान सहित अनाजों को बचाना अब मुश्किल लगने लगा है. लगातार तीसरी रात हाथियों का झुंड उत्पात मचाते हुए प्रखंड के बिराजपुर एवं तिलैयाटांड़ गांव पहुंचकर 3 घरों को क्षतिग्रस्त कर कई क्विंटल धान व मकई चट कर गये. इसके साथ ही एक किसान के घर के आंगन में घुसकर बोरी में रखे मकई को खा गये.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2020 6:53 PM
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Jharkhand news, Garhwa news : रमकंडा (मुकेश तिवारी) : गढ़वा जिले के दक्षिणी वन क्षेत्र वाले सुदूरवर्ती रमकंडा प्रखंड के दर्जन भर गांवों के लोग रुक- रुक कर हो रहे हाथियों के आतंक से परेशान हो चुके हैं. उन्हें अपनी जान सहित अनाजों को बचाना अब मुश्किल लगने लगा है. लगातार तीसरी रात हाथियों का झुंड उत्पात मचाते हुए प्रखंड के बिराजपुर एवं तिलैयाटांड़ गांव पहुंचकर 3 घरों को क्षतिग्रस्त कर कई क्विंटल धान व मकई चट कर गये. इसके साथ ही एक किसान के घर के आंगन में घुसकर बोरी में रखे मकई को खा गये.

हाथियों के उत्पात की पहली घटना में 2 हाथियों के झुंड ने कुशवार- सिंजो के जंगलों से निकलकर बिराजपुर गांव पहुंचकर धान की खोज में सीताराम साव के घर को क्षतिग्रस्त कर दिया. कुछ घंटों बाद बस्ती में पहुंचकर हाथियों का झुंड रामदुलारी देवी के आंगन में घुस गया. यहां बेखौफ तरीके से बोरी में रखे गये मकई को चट करने के बाद धान की खोज में वार्ड सदस्य सिंगारी देवी के घर को क्षतिग्रस्त कर दिया.

गांव में ही एक घर में बीती रात्रि विवाह कार्यक्रम होने के कारण हाथियों के उत्पात मचाने की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने एकजुट होकर टार्च एवं टिन बजाकर हाथियों को भगाया. भागने के बाद हाथियों का झुंड मध्य रात्रि तिलैयाटांड़ गांव निवासी सत्यनारायण सिंह के घर को क्षतिग्रस्त कर जंगल की ओर निकल गया. इसकी जानकारी मिलने के बाद शुक्रवार की सुबह वन समिति के अध्यक्ष ननहेश्वर सिंह ने पीड़ित किसानों के घर पहुंचकर मामले की जानकारी ली.

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ग्रामीणों ने बताया कि इस तरह हाथियों के आतंक से उन्हें अब हर साल जूझना पड़ता है. वहीं, अपने जानमाल की क्षति होने का भी भय बना रहता है. वहीं, धीरे- धीरे अब हाथियों का झुंड इन गांवों में अपना घर जैसा व्यवहार करने लगा है.

ग्रामीण सत्यनरायण सिंह, जगनारायण सिंह, रामराज साव, इम्तियाज अहमद आदि ने बताया कि टिन बजाने एवं टार्च जलाने पर भी हाथी पहले की तरह अब नहीं भागते हैं. उन्हें भगाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. वहीं, अब तो सालो भर अपने खाने के लिए रखे गये अनाज को बचाना और मुश्किल हो गया है. अक्सर हाथी धान की खोज में ही घरों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं.

2 दिन में 7 घरों को तोड़ चुका है हाथी

लगातार हाथियों के उत्पात की घटना में पिछले 2 दिन के अंदर करीब 7 लोगों के घरों को हाथियों ने क्षतिग्रस्त कर धान व मकई को चट कर गये. इनमें रमकंडा के सेमरटांड़ निवासी अवधेश सिंह, ऊपरटोला निवासी राजा राम, विकास कुमार, तेतरडीह गांव निवासी बुधु मांझी, बलिगढ़ गांव निवासी बीरबल गौड़, सिकंदर गौड़ एवं अनिरुद्ध गौड़ के घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इसके साथ ही तिलैयाटांड़ गांव निवासी शुकु सिंह के एक बछड़े को पटक कर मार डाला है.

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इसके साथ ही पिछले सप्ताह हाथियों ने बरवा गांव में आतंक मचाते हुए रुबित बाखला, रबित बाखला के खलिहान में रखे करीब 70 बोझा धान को खा गया. वहीं, देनवा लकड़ा के खलिहान में बोरी में रखे गये करीब 10 क्विंटल धान खा गये थे. इसके साथ ही कुशवार गांव के एक किसान के खलिहान में धान के बोझा को खाने के बाद बचे हुए बोझा को सूड़ में टांगकर जंगलों में ले गये थे. वहीं, बिराजपुर गांव के नाथा सिंह के घर को भी तोड़ दिया था.

Posted By : Samir Ranjan.

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