18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड की संस्कृति के लिए जिये डॉ प्रवीण उरांव, सीएम सहित कई नेताओं ने जताया शोक

सरना धर्म गुरु डॉ प्रवीण उरांव के निधन पर मुख्यमंत्री सहित कई नेताओं व समाजिक अगुओं ने शोक प्रकट किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड आंदोलनकारी और राष्ट्रीय सरना धर्म अगुआ डॉ प्रवीण उरांव का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. वह हमेशा झारखंड की संस्कृति के लिए जिये.

रांची. सरना धर्म गुरु डॉ प्रवीण उरांव के निधन पर मुख्यमंत्री सहित कई नेताओं व समाजिक अगुओं ने शोक प्रकट किया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड आंदोलनकारी और राष्ट्रीय सरना धर्म अगुआ डॉ प्रवीण उरांव का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. वह हमेशा झारखंड की संस्कृति के लिए जिये.

झारखंडियों के दुख-दर्द को समझने वाले थे प्रवीण

आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने कहा कि प्रवीण उरांव झारखंडियों के दुःख-दर्द को समझने वाले नेता थे. वह झारखंड आंदोलनकारी, राजी पहड़ा सरना प्रार्थना सभा के संस्थापक भी थे. साथ ही झारखंडी अस्मिता एवं पहचान को लेकर हमेशा मुखर रहने वाले जननेता रहे हैं.

संपूर्ण आदिवासी समाज के लिए अपूरणीय क्षति

पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि डॉ प्रवीण उरांव के रूप में झारखंड ने हितैषी खो दिया. उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.

दुनिया याद रखेगी

सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा है कि मां सरना के लिए काम करनेवालों को दुनिया और समाज के लोग हमेशा याद रखेंगे. वहीं डॉ उरांव के निधन पर रजलेश्वर उरांव, नीरज मुंडा, सोमे उरांव, बिरसा उरांव, अजय तिर्की, गैना कच्छप, अमित गाड़ी, सुभानी तिग्गा, सुष्मिता कच्छप, माघी उरांव, सुशील उरांव, विदेशी महतो, अजीत मिंज, पुष्कर महतो, भुनेश्वर केवट, रोजलीन तिर्की, सरोजिनी कच्छप, सियोन तिर्की, जबीउल्ला अंसारी, अली हसन, जुबैर अहमद, रवि नंदी, दिवाकर साहू, प्रमोद ठाकुर, कुलदीप ठाकुर, सुबोध लकड़ा, मनोज कुमार भगत, लालदेव भगत, शिवा कच्छप, गैना कच्छप, प्रो एजे खलखो, दिलीप प्रसाद, डॉ सीमा, पूनम,दीपक प्रसाद, तेतरू उरांव, प्रेमचंद उरांव, कहतो महेंद्र उरांव, नदीपनारायण उरांव, रोहित भगत, दिलीप भगत, छोटया उरांव, अह्लाद उरांव आदि ने कहा कि डॉ प्रवीण उरांव के निधन से झारखंड के अपने एक हितैषी को खो दिया है.

Also Read: 15 साल में 378 करोड़ की लागत से बना अस्पताल, लेकिन उद्घाटन में नहीं पहुंचे ‘माननीय’

निधन से पहले फेसबुक पेज पर लिखा सरहुल आदिवासियों का शब्द

झारखंड और भारत के आदिवासियों से मेरा निवेदन है कि सरहुल के लिए सरना झंडा रोड में गाड़े हैं. उसे उखाड़ कर सुरक्षित रख लीजिए. क्योंकि सरना झंडा टूटता है. गिरता है. फटता है तो दिल में अच्छा नहीं लगता है. सरहुल शब्द आदिवासियों का कॉमन शब्द है. यह शब्द किसी भाषा या बोली से नहीं आया. मैं झारखंड के सभी जिला में घूमा हूं. कोई भी व्यक्ति बोलचाल की भाषा में भी सर का मतलब सुखवा होता है. बोलते हुए नहीं सुना हूं. सरहुल शब्द पर खुली बहस हो.

बघिमा में हुआ था जन्म

प्रवीण उरांव का जन्म एक अगस्त 1965 में पालकोट प्रखंड के बघिमा में हुआ था. उस समय प्रवीण उरांव के माता-पिता बघिमा बेसिक स्कूल में शिक्षक थे. जिस कारण प्रवीण उरांव का प्रारंभिक पढ़ाई बघिमा स्कूल में हुई और इंटर की पढ़ाई केओ कॉलेज गुमला से की.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें