Dragon Fruit Cultivation: झारखंड के खूंटी जिले में पोषक तत्वों से भरपूर ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है. 12 एकड़ से अधिक भूमि पर ड्रैगन फ्रूट की खेती की गयी है. भविष्य में और 15 एकड़ भूमि में खेती करने की योजना है. फिलहाल खूंटी जिले के तोरपा के तुरीगड़ा, कर्रा के कांटी पोढ़ाटोली, खूंटी के बेलांगी और गुटजोरा, मुरहू के हेठगोवा और इठ्ठे तथा अड़की प्रखंड के बिरबांकी में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है. लगभग पांच से छह क्विंटल ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन हो चुका है. जिला प्रशासन द्वारा खूंटी को ड्रैगन फ्रूट कैपिटल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए हर घर ड्रैगन फ्रूट अभियान चलाया जा रहा है.
खूंटी जिले में हो रही ड्रैगन फ्रूट की खेती अफीम की खेती के विकल्प के रूप में भी विकसित की रही है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होगा. लोगों को अच्छी सेहत भी मिलेगी. जिला प्रशासन इसे बढ़ावा देने के प्रयास में जुटा है. हाल में केंद्रीय मंत्री सह खूंटी सांसद अर्जुन मुंडा ने मुरहू के हेठगोवा में ड्रैगन फ्रूट की खेती का निरीक्षण किया था. उन्होंने इसकी प्रशंसा की थी.
जिला प्रशासन द्वारा खूंटी को ड्रैगन फ्रूट कैटिपल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए हर घर ड्रैगन फ्रूट अभियान चलाया जा रहा है. रांची निवासी फिल्म अभिनेता राजेश जैस इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. उन्होंने खूंटी को ड्रैगन फ्रूट बनाये जाने के प्रयास के लिए वीडियो शेयर किया है. खूंटी डीसी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर इसे शेयर किया गया है.
बाजार में ड्रैगन फ्रूट की अच्छी मांग है. जानकारी के अनुसार प्रति किलो 400 किलोग्राम की दर से बिक्री होती है. रांची में इसकी कीतम प्रति पीस 120 रुपये से लेकर 150 रुपये तक है. एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने में लगभग छह लाख रुपये का खर्च आता है. जिला प्रशासन द्वारा इसमें किसानों को सहयोग किया जा रहा है. जिला प्रशासन खूंटी को ड्रैगन फ्रूट कैपिटल बनाने के प्रयास में है.
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आत्मा के परियोजना निदेशक अमरेश कुमार ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट मूल रूप से कैक्टस प्रजाति की फसल है. इसकी खेती के लिए बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता होती है. जिले में तो बारिश का पानी ही काफी है. आम तौर पर मई महीने से फल लगना शुरू होता है जो नवंबर तक रहता है. उन्होंने बताया कि खूंटी की मिट्टी और जलवायु ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अनुकूल है.
रिपोर्ट : चंदन कुमार, खूंटी