Dhanbad News: जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के भविष्य को लेकर संशय बना हुआ है. केंद्र सरकार ने जहां डीआरडीए को भंग कर दिया है. वहीं राज्य सरकार ने इसको जिला परिषद में विलय करने के मुद्दे पर प्रक्रिया को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी बनायी है. कमेटी को 20 नवंबर तक रिपोर्ट देने को कहा गया है. संशय की स्थिति के चलते डीआरडीए से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मियों को सात माह से वेतन नहीं मिल रहा है.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जारी एक आदेश के तहत डीआरडीए को एक अप्रैल 2022 से भंग कर दिया है. जबकि राज्य सरकार इस मामले पर वैकल्पिक व्यवस्था करने में लगी है. राज्य ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा आयुक्त सह निदेशक पंचायती राज निदेशक राजेश्वरी बी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनायी है. इसमें अरुण कुमार सिंह, संदीप दुबे, अरुण सिन्हा, राजीव रंजन तिवारी को सदस्य बनाया गया है. कमेटी को एक माह के अंदर अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपने को कहा गया है. इस प्रस्ताव को राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री ने अपनी स्वीकृति दे दी है. राज्य सरकार ने डीआरडीए का विलय जिला परिषद में करने का निर्णय लिया है. विलय की रूपरेखा तैयार करने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी ब्योरा तैयार करेगी. ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव राम कुमार सिन्हा ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. बिहार की तर्ज पर झारखंड ग्रामीण विकास सोसाइटी का गठन करने के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया, लेकिन तमाम कानूनी अड़चनों के कारण इसे खारिज करते हुए जिला परिषद में विलय का निर्णय लिया गया.
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सनद हो कि वर्ष 1999 में डीआरडीए का संचालन के लिए केंद्र सरकार 80 फीसदी तथा राज्य सरकार 20 प्रतिशत राशि देती थी, लेकिन केंद्र सरकार के इसके बंद करने के फैसले से इसको मिलनेवाला फंड का अधिकांश हिस्सा मिलना बंद हो चुका था.
धनबाद में डीआरडीए में 15 अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं. इसमें दो परियोजना पदाधिकारी, एक लेखा पदाधिकारी, दो सहायक अभियंता, चार कनीय अभियंता, दो तकनीकी सहायक, तीन सहायक तथा एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी हैं. इन सबको मार्च 2022 तक का ही वेतन मिला है. वेतन नहीं मिलने से सभी अधिकारियों एवं कर्मियों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
रिपोर्ट : संजीव झा, धनबाद