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गाजियाबाद: अब कटी-फटी जींस और छोटे कपड़ें वाले भक्तों को नहीं मिलेगी एंट्री, हनुमान मंदिर में ड्रेस कोड लागू

गाजियाबाद में स्थिति दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में श्रद्धालुओं के कटी-फटी जींस, हाफ पैंट और स्लीवलेस टी-शर्ट पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके साथ ही मंदिर के अंदर और बाहर सूचना बोर्ड भी लगा दिए गए हैं.

Dress Code in Temple’s : आजकल देश और प्रदेश के मंदिरों में प्रवेश करने के लिए ड्रेस कोड लागू करना चर्चा का विषय बना हुआ है. मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने के पीछे भारत की सनातन संस्कृति को बचाए रखने का तर्क दिया जा रहा है. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर में भी अब ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है.

प्रबंधन समिति ने फ़रमान जारी करते हुए सभी श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में हाफ पैंट, कटी-फटी जींस, स्लीवलेस टी-शर्ट और छोटे कपड़े पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही समिति की ओर से मंदिर परिसर के अंदर और बाहर भी नोटिस बोर्ड लगा दिया गया है, ताकि सभी श्रद्धालुओं को जानकारी दी जा सके. मंदिर समिति का कहना है कि ऐसे कपड़े पहनकर आने से मंदिर में आने वाले दूसरे श्रद्धालुओं का ध्यान भटकता है.

दरअसल, संजय नगर में स्थिति दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. मंदिर समिति का कहना है कि पिछले काफी समय से देखा जा रहा था कि मंदिर में कई श्रद्धालु पश्चिमी सभ्यता के कपड़े पहनकर आ जाते हैं, जो पूजा स्थल के लिए उचित नहीं लगता. इस मुद्दे को लेकर समिति की बैठक में भी चर्चा की गई, जिसके बाद सर्वसम्मति से मंदिर में श्रद्दालुओं के लिए ड्रेस कोड तय किया गया है. जिसके तहत मंदिर में हाफ पैंट, रिप्ड जींस, स्लीवलैस टी-शर्ट और छोटे कपड़े पहन कर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

मंदिर के बाहर लगाया गया सूचना बोर्ड

मंदिर समिति के मुख्य ट्रस्टी बीके अग्रवाल की ओर से मंदिर के बाहर और अंदर सूचना बोर्ड भी लगा दिए गए हैं. जिस पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि मंदिर में भारतीय संस्कृति के मुताबिक ही कपड़े पहनकर प्रवेश करें. दूसरे का ध्यान भटकाने वाले कपड़े पहनकर मंदिर में पूजा अर्चना न करें. वहीं मंदिर के पंडित सुरेंद्र तिवारी ने कहा कि कई श्रद्धालु मंदिर में वेस्टर्न कल्चर के कपड़े पहनकर मंदिर आ रहे थे, जिसकी वजह से यहां आने वाले दूसरे श्रद्धालुओं का ध्यान भटक रहा था.

जिसे लेकर मंदिर समिति की बैठक में चर्चा की गई और फिर विचार विमर्श करने के बाद मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने का फैसला किया गया है. इस फैसले से भारतीय संस्कृति को बचाया जा सकेगा. आपको बता दें कि इससे पहले मथुरा, आगरा के कई मंदिरों में भी इसी तरह के ड्रेस कोड लागू किया गया है और श्रद्धालुओं से भारतीय परंपरा के परिधान पहनकर ही मंदिर में आने को कहा गया है.

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