कानपुर के मानसून मंदिर की छत से टपकी बूंदों ने दिया कम वर्षा का संकेत, जानें इसका रहस्य
कानपुरः जगन्नाथ मंदिर के पुजारी केपी शुक्ला बताते हैं कि इस वर्ष बूंदों का आकार छोटा होने से मंदिर ने कम बारिश के संकेत दिए हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जिस आकार की मंदिर की छत से बूंदे टपकती हैं. उसी आधार पर बारिश होती है.
कानपुरः मानसून आने से पहले ही बारिश का अनुमान लगाने वाले भीतर गांव के बेहटा बुजुर्ग स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में इस बार बारिश कम होने के संकेत मिले हैं. मंगलवार को मंदिर की छत से बूंदे टपकी लेकिन छोटे आकार की रही. बेहटा गांव के लोग बताते हैं कि मंदिर से टपकी पानी की बूंद ही मानसून के आने का संकेत देती है. मानसून आने से 10-15 दिन पहले मंदिर की छत से बूंदे टपकना शुरू हो जाती है. इससे ही बारिश होने का अनुमान लगाया जाता है.
मंदिर ने दिए कम बारिश होने के संकेत
जगन्नाथ मंदिर के पुजारी केपी शुक्ला बताते हैं कि इस वर्ष बूंदों का आकार छोटा होने से मन्दिर ने कम बारिश के संकेत दिए हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जिस आकार की मंदिर की छत से बूंदे टपकती हैं. उसी आधार पर बारिश होती है. आज भी क्षेत्रीय लोग मंदिर की छत टपकने के संदेश को समझ कर खेतों को जोतने के लिए निकल जाते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि जैसे ही बारिश शुरु होती है वैसे ही मंदिर की छत सूख जाती है. मंदिर के गर्भ ग्रह के भीतर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ के साथ सुभद्रा की मूर्ति स्थापित है.
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रहस्य को कोई नहीं कर पाया उजागर
कानपुर से 55 किलोमीटर दूर घाटमपुर तहसील से 5 किलो मीटर पर स्थित गांव बेहटा बुजुर्ग में भगवान जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर है. बताया जाता है कि यह मंदिर पूरी से भी पुराना है. बेटा बुजुर्ग गांव स्थित मंदिर की प्राचीनता व छत टपकने के रहस्य के बारे में मंदिर के पुजारी जिनका परिवार 7 पीढ़ियों से यहां की सेवा कर रहा है.
वह बताते हैं कि पुरातत्व विभाग एवं वैज्ञानिक कई बार यहा पर आए है. लेकिन इस रहस्य को कोई भी नहीं बता सका. अभी तक सिर्फ इतना ही पता लगा है कि मंदिर का 11वीं सदी के आसपास निर्माण कराया गया होगा. मंदिर की बनावट इसकी दीवारें 14 फीट मोटी है, जिससे इसे सम्राट अशोक के शासनकाल में बनाए जाने का अनुमान लगाया जाता है. मंदिर के बाहर मोर बने के निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के समय का बना होना प्रतीत होता है. इस मंदिर को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी यहा पर सैलानी आते हैं.
रिपोर्ट: आयुष तिवारी