पूर्व शिक्षा मंत्री और टाइगर के नाम से मशहूर स्वर्गीय जगरनाथ महतो की जमीन डुमरी में झामुमो की धाक बरकरार रही. आजसू ने संघर्ष का रोमांच बढ़ा दिया था, लेकिन इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार बेबी देवी 17 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल करने में सफल रहीं. डुमरी का मुकाबला आमने-सामने का था. इंडिया और एनडीए के बीच टक्कर थी. झामुमो का परंपरागत वोट बैंक इंटैक्ट रहा और बेबी देवी को एक लाख से ज्यादा वोट आये.
एनडीए की नजर ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के उम्मीदवार के वोट पर थी. इस चुनाव में एआइएमआइएम का फैक्टर परिणाम पर असर डालने वाला था. लेकिन झामुमो ने मुसलिम वोट बैंक की तरीके से घेराबंदी की. डुमरी में ओवैसी की पार्टी भरभरा कर गिरी. चुनाव प्रचार के दौरान ओवैसी को जितने लोग सुनने आये थे, उतना भी वोट पार्टी हासिल नहीं कर पायी.
सभा में सुननेवालों ने तालियां खूब बजायी, लेकिन एनडीए की उम्मीद पर पानी फेर दिया. चुनाव प्रचार में लग रहा था कि कहीं बेबी देवी की राह पर ओवैसी रोड़ा ना बन जायें. इधर स्व जगरनाथ महतो की मजबूत पकड़ वाला नवाडीह प्रखंड ने इस बार भी साथ दिया. हालांकि आजसू ने भी कुछ इलाके में अपनी पकड़ दिखायी. डुमरी प्रखंड में आजसू बहुत ज्यादा बढ़त नहीं बना पायी. जिसने झामुमो की जीत को आसान बनाया.
इस उपचुनाव ने यूपीए से इंडिया बने नये गठबंधन को ऊर्जा दी है. डुमरी के परिणाम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कद इस गठबंधन में बढ़ा है. आनेवाली राजनीति में इसका असर दिखेगा. झारखंड में इस जीत से हेमंत ने अपनी साख बचायी है.
2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद अलग-अलग कारणों से अब तक छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. झामुमो ने सभी उपचुनाव में अपनी सीट बचायी है. दुमका सीट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने छोड़ी थी. यहां उनके भाई बसंत सोरेन जीते. वहीं मधुपुर में हाजी हुसैन अंसारी की मौत के बाद झामुमो ने इस सीट पर जीत दर्ज करायी. इस सीट से स्व हाजी हुसैन के बेटे हफिजुल हसन अंसारी विधायक बने. डुमरी उपचुनाव में बेबी देवी की जीत के बाद झामुमो का झंडा बुलंद हुआ. इधर एनडीए छह उपचुनाव में मात्र एक चुनाव जीत पायी. रामगढ़ उपचुनाव में आजसू की सुनीता देवी ने एनडीए गठबंधन को जीत दर्ज करायी. यहां कांग्रेस को नुकसान हुआ. हालांकि मांडर और बेरमो में कांग्रेस अपनी सीट उपचुनाव में बचाने में कामयाब रही.