कानपुर प्राणि उद्यान: दुर्गा और लूना बढ़ाएंगी बाघों का वंश, आठ सालों से नहीं जन्मा शावक, जल्द हो सकता है दीदार
कानपुर चिड़ियाघर प्रशासन यहां बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए एक बार फिर कोशिशों में जुट गया है. प्राणि उद्यान में बीते आठ सालों से किसी शावक ने जन्म नहीं लिया है. अब बाघिन दुर्गा और लूना के यहां आने से बाघों का वंश बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
Kanpur: कानपुर के चिड़ियाघर में बाघों की प्रजनन दर नहीं बढ़ पा रही है. वर्ष 2015 में यहां बाघिनों ने किसी शावक को जन्म नहीं दिया है. अब तिरुपति और पीलीभीत से बाघिन दुर्गा व लूना के आने से तस्वीर बदल सकती है. युवा बाघ मल्लू और बघीरा का दोनों बाघिनों से प्रजनन कराकर बाघों के वंश बढ़ाने की तैयारी है.
दर्शक नन्हे शावकों का कर सकेंगे दीदार
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनुराग सिंह ने बताया कि दुर्गा की आयु तीन और लूना की डेढ़ साल है. दोनों बाघिन युवा हैं. वर्तमान में कानपुर चिड़ियाघर में चार नर बाघ बादल, बघीरा, प्रशान्त मल्लू और छह मादा बाघ मालती, दुर्गा, लूना, पुष्पा, सावित्री, त्रुशा सहित 10 बाघों को संरक्षित किया गया है. चिड़ियाघर के निदेशक केके सिंह के मुताबिक सब कुछ ठीक रहा तो आगामी छह माह में दर्शक नन्हें शावकों का दीदार कर सकेंगे.
2015 में बाघिन त्रुशा ने जन्मे थे सात शावक
बता दें कि वर्ष 2015 में पांच साल की उम्र में आए प्रशांत को बाघिन त्रुशा के साथ में रखा गया था. तब बाघिन त्रुशा ने सात शावकों को जन्म देकर वन्य जीव प्रेमियों को खुशखबरी दी थी. यही वजह है कि कानपुर चिड़ियाघर में बाघों की संख्या 11 तक पहुंच गई थी. डॉ. नितेश कटियार व डॉ. मोहम्मद नासिर के मुताबिक चिड़ियाघर में प्राक्रतिक वातावरण बाघों व अन्य दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के प्रजनन के अनुकूल है. एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दूसरे राज्यों में स्थित चिड़ियाघर में बाघ भेजे गए हैं.
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मां से बिछड़छकर कानपुर लाई गई बाघिन ‘लूना’
पीलीभीत के जंगलों से रेस्क्यू कर के लाई गई बाघिन लूना अपनी मां से बिछड़ गई थी. पूर्णिमा के दिन रेस्क्यू किए जाने की वजह से उसे चांद का पर्यायवाची नाम दिया गया. बाघिन लूना को चिड़ियाघर के स्टाफ का दुलार मिला. इसके साथ ही उसके खाने और पीने का पूरा ख्याल रखा गया. कानपुर चिड़ियाघर प्रशासन ने उसे शिकारी बनाने की भी ट्रेनिंग दी.
गांव में बाघ की मौजूदगी पर वन महकमे को दी गई जानकारी
लूना को पीलीभीत के पूरनपुर क्षेत्र में खारजा नहर की झाड़ियों से रेस्क्यू कर पकड़ा गया था. चिड़ियाघर के उप निदेशक व पशु चिकित्सक डॉ. अनुराग सिंह ने बताया कि वहीं के गांव उदय करनपुर के प्रधान ने बाघ की मौजूदगी का आभास किया था, इसके बाद गांव वाले भी घबरा गए थे.
रेस्क्यू के बाद कानपुर प्राणि उद्यान बना ठिकाना
प्रधान ने ही इस नन्हीं बाघिन की मौजूदगी का एक वीडियो बनाकर वन विभाग के अधिकारियों को भेजा था. इसके बाद वन विभाग और डब्ल्यूआईटी ने शावक की मां को खोजने के लिए वहां कैमरे भी लगाए, दस दिन तक इंतजार किया. जब कोई बाघिन नहीं आई तो फिर टीम उसे रेस्क्यू कर गढ़ा गेस्टहाउस ले आई. वहां से 8 दिसंबर 2022 की रात को उसे कानपुर चिड़ियाघर लाया गया.
रिपोर्ट- आयुष तिवारी