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Shailputri ki Aarti Lyrics: कलश स्थापना के बाद जरूर करें माता शैलपुत्री की आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

Shailputri ki Aarti Lyrics: नवरात्रि मां दुर्गा और उनके नौ अवतारों की पूजा को समर्पित है - जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है. इस माह मनाई जाने वाली शारदीय नवरात्रि है. ऐसे में मां शैलपुत्री की आरती करें और उन्हें प्रसन्न करें.

Shailputri ki Aarti Lyrics: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. आज घर घर माता शैलपुत्री की पूजा की जा रही है. नवरात्रि मां दुर्गा और उनके नौ अवतारों की पूजा को समर्पित है – जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है. इस माह मनाई जाने वाली शारदीय नवरात्रि है. यह शरद ऋतु में अश्विन के चंद्र माह में आता है. भक्त उन्हें प्रकृति माता के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं और उनकी आध्यात्मिक जागृति के लिए प्रार्थना करते हैं. ऐसे में मां शैलपुत्री की आरती करें और उन्हें प्रसन्न करें. यहां पढ़ें सम्पूर्ण आरती.

Shailputri ki Aarti Lyrics: शैलपुत्री माता की आरती

शैलपुत्री मां बैल पर सवार करें देवता जय जयकार ।

शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू दया करे धनवान करे तू ।

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।

उसकी सगरी आस पुजा दो । सगरे दुख तकलीफ मिला दो ।

घी का सुंदर दीप जला के गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे ।

मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

जय मां शैलपुत्री की, जय माता दी ।

Maa Durga Aarti Lyrics Om Jai Ambe Gauri : मां दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

जय अम्बे गौरी

माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।

उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥

जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥

जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥

जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥

जय अम्बे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥

जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥

जय अम्बे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।

आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥

जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।

बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥

जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥

जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।

मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥

जय अम्बे गौरी

कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥

जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥

जय अम्बे गौरी

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