Durga Puja 2021 (झुमरीतिलैया, कोडरमा) : दुर्गोत्सव को लेकर पूरे जिले में भक्ति, उत्साह व उल्लास चरम पर है. शहर के अड्डी बंगला, मडुआटांड व गुमो पूजा समितियों द्वारा स्थापित माता समेत अन्य देवी- देवताओं की प्रतिमा के पट सोमवार को बेलवरण पूजा के साथ खुल गये. पट खुलते ही देर शाम मां दुर्गा के दर्शन के लिए पंडाल में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. हालांकि, शहर में अन्य जगहों पर स्थापित माता की प्रतिमाओं का अनावरण सप्तमी को होगा.
शहर में अगले चार-पांच दिनों तक पूजा पंडालों में श्रद्धालु भक्त माता के दर्शन के लिए आयेंगे. पिछले दो वर्षों से कोरोना को देखते हुए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत सभी पूजा समिति द्वारा विशेष सतर्कता बरतते हुए श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सोशल डिस्टैंसिंग और मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है.
माता के दर्शन के लिए आनेवाले श्रद्धालुओं को सरकार के गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा. दुर्गोत्सव को लेकर पूरा जिला सुबह से लेकर शाम तक मां की आराधना में लीन है. पंडालों के पट खुलने के साथ ही पूरा शहर या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः की जयघोष से भक्तिमय हो गया है.
इधर, सोमवार को मां भवानी के पांचवें व छठे स्वरूप की पूजा एक ही दिन हुई. सुबह में पूजा पंडालों में माता के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता व छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा अर्चना हुई. शाम में बेलवरण पूजा के साथ माता का आगमन हुआ. देर शाम को सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति अड्डी बंगला, मडुआटांड व गुमो के पट खुलते ही मां के दर्शन के लिए भक्त उत्साहित दिखे.
अड्डी बंगला में माता की प्रतिमा का अनावरण समिति के ही सदस्य की बच्ची मान्या कुमारी व जसमीत कौर ने संयुक्त रूप से किया, जबकि पूजा पंडाल का उद्घाटन समिति के सदस्यों ने संयुक्त रूप से किया. इस दौरान दोनों बच्चियों को समिति द्वारा उपहार भेंट किया गया. समिति के अध्यक्ष बबलू सोनकर व सचिव आलोक यादव ने बताया कि पिछले दो वर्षों से कोरोना के प्रकोप के कारण माता की पूजा सादगीपूर्ण रूप से हो रही है.
नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होगी. पंडित गौतम पांडेय ने बताया कि सप्तमी को पूजा सुबह में अन्य दिनों की तरह ही होती है, परंतु रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है. इनका वर्ण अंधकार की भांति काला और केस बिखरे हैं.
मां कालरात्रि के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल है जिसमें से बिजली की भांति किरणे निकलती हैं. मां का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है. मां का यह रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है. इसलिए देवी को शुभांकरी के नाम से भी जाना जाता है. इनकी उपासना मात्र से भक्तों को शक्ति मिलती है.
Posted By : Samir Ranjan.