Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि में इस जगह पुरुष साड़ी पहनकर करते हैं डांस, जानिए क्या है वजह
Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि का पर्व इसी महीने 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. देश-विदेश से भक्त माता के दर्शन के लिए मंदिरों में आते हैं. हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे एक ऐसी जगह के बारे में जहां पुरुष साड़ी पहनकर डांस करते हैं.
Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि का पर्व इसी महीने 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. देश-विदेश से भक्त माता के दर्शन के लिए मंदिरों में आते हैं. नवरात्रि शुरू होते ही भक्त झूम उठते हैं. सभी जगह अलग-अलग तरीके से माता के इस पर्व को सेलिब्रेट किया जाता है. ऐसे ही एक जगह है, जहां पुरुष साड़ी पहनकर नवरात्रि मनाते हैं. चलिए जानते हैं विस्तार से.
कहां पहनते हैं नवरात्रि के दौरान पुरुष साड़ी?
नवरात्रि शुरू होते ही देश के अलग-अलग राज्यों में भक्तों के बीच धूम शुरू हो जाता है. सभी जगह अपने तरीके से लोग इस पर्व को मनाते हैं. गुजरात में भी अलग ढंग से नवरात्रि मनाया जाता है. अहमदाबाद में बड़ौत समुदाय के पुरुष नवरात्रि के दौरान साड़ी पहनते हैं. जी हां इतना ही नहीं साड़ी में पुरुष गरबा भी खेलते हैं. वडोदरा में स्थित अंबा माता मंदिर में पुरुष साड़ी पहनकर गरबा खेलते हैं. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
पुरुष साड़ी में खेलते हैं गरबा और महिलाएं गाती हैं गीत
दरअसल गुजरात के अंबा माता मंदिर में जहां पुरुष साड़ी में गरबा खेलते हैं तो वहीं दूसरी ओर महिलाएं गीत गाती हैं. इस दौरान नजारा देखने लायक रहता है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से भक्त मंदिर में आते हैं.
Also Read: Uttarakhand: जागेश्वर धाम भगवान शिव का मंदिर क्यों है खास, यहां जानिएअम्बा मंदिर की मान्यता
गुजरता में स्थित अम्बा मंदिर की मान्यत है कि जब दक्ष द्वारा भगवान शिव के अपमान से आहत होकर माता सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणों की आहुति दे थी. उसके बाद भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुखी हुए इधर-उधर घूमने लगे. इस बीच भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर को काट दिया. इस दौरान जहां-जहां माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे वह सभी स्थान 51 शक्तिपीठ कहलाए, यह मंदिर भी उनमें से एक है.
क्यों पहनते हैं पुरुष साड़ी
आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्यों साड़ी पहनकर गुजरात के पुरुष डांस करते हैं, तो आपको बता दें स्थानीय लोगं की मान्याता है कि 200 साल पहले सदुबा नाम की एक महिला ने बड़ौत समुदाय के पुरुषों को श्राप दिया था. इसलिए माता रानी को नवरात्रि में खुश करने के लिए इस प्रथा की पालना की जाती है. पुरुषों द्वारा इसके लिए माफ़ी भी मांगी जाती है. यहीं कारण है कि नवरात्रि के समय पुरुष साड़ी पहनकर गरबा करते हैं.
Also Read: Hindu Temples: ये हैं पाकिस्तान के 3 प्रसिद्ध हिंदू मंदिर, आपने देखा क्या?