Dussehra 2020 Puja Vidhi, Muhurat, Timings, Mantra:इस समय महानवमी तिथि समाप्त हो गई. अब दशमी तिथि की शुरुआत हो चुकी है. आज ही रावण दहन किया जाएगा. दशमी तिथि में भी पूजा का विशेष महत्व होता है. आज नवरत्रि की नवमी और दशमी तिथि दोनों है. आज नवमी पूजा के बाद परण करने का विधान है. इसी दिन कन्या पूजन भी की जाती है. आज कन्या पूजन और भोज के लिए पहले से ही कन्याओं को निमंत्रण दिया जाता है.
कन्या पूजन से पहले सभी कन्याओं के पैरों को दूध और गंगाजल अथवा पानी से भरे थाल में उनके पैरों को धोना चाहिए. और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. इसके बाद सारी कन्याओं के मस्तक पर अक्षत और कुमकुम कस टीका लगाना चाहिए. इसके बाद अपने मन से माता दुर्गा का स्मरण और ध्यान करते हुए सभी कन्याओं को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें. इसके अलावा नौ कन्याओं के साथ एक बालक भी होना चाहिए. क्योंकि बालक को हनुमान जी का रुप माना जाता है.
विजयदशमी के दिन शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के पास जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. प्रणाम कर शमी पूजन मंत्र पढ़े. इसके बाद यह प्रार्थना करें कि सभी दिशा-दशाओं में आप विजय प्राप्त करें. अगर आपके परिवार में अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है तो एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी शस्त्र उस पर रखें. फिर गंगाजल छिड़क कर पुष्प अर्पित करें. साथ ही यह प्रार्थना करें कि संकट पड़ने पर यह आपकी रक्षा करें. इस दिन भगवान श्रीराम की उपासना करने का बहुत अधिक महत्व होता है. एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें. फिर धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर भगवान श्री राम की उपासना करें. अंत में आरती करें.
इस बार अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन हैं. लेकिन फिर भी लोगों को मां की आराधना के लिए 9 दिन का समय मिला. आज ही कन्या पूजन किया गया. मान्यता है कि जो भक्त नौ दिन व्रत रखते है वे अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करते है, इसके बाद पारण किया जाता है. अब नवमी तिथि समाप्त हो गयी है. इस समय दशमी तिथि की शुरुआत हो चुकी है. आज ही पूरे देश में दशहरा पर्व मनाया जा रहा है.
दशमी तिथि आरंभ 25 अक्तूबर दिन रविवार की सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर
दशमी तिथि समाप्त 26 अक्तूबर दिन सोमवार की सुबह 11 बजकर 33 मिनट तक
शमी शमय मे पापं शमी लोहितकंटका।
धारिण्यर्जुन बाणानां रामस्य प्रियवादिनी॥
करिष्यमाणयात्रायां यथाकालं सुखं मम।
तत्र निर्विघ्नकर्त्री त्वं भव श्रीरामपूजिते ॥
अश्मंतक महावृक्ष महादोषनिवारक।
इष्टानां दर्शनं देहि शत्रूणां च विनाशनम्॥
नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गसीतासमारोपितवामभागम्।
पाणौ महाशायकचारुचापंनमामि रामं रघुवंशनाथम्।।
श्री राम जय राम जय जय राम।
आम की लकडियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे तथा घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा. गाय के गोबर से बने उपले घी में डुबाकर डाले जाते हैं.
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा