सरायकेला में महिलाओं ने किया सिंदूर खेला, जानें क्या है इस परंपरा को करने के पीछे की मान्यता
सबसे पहले महिलाओं ने पहले मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया. इसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं. विजय दशमी पर सिंदूर खेला की परंपरा को महत्वपूर्ण रस्म मान जाता है
शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला:
सरायकेला खरसावां के विभिन्न पूजा पंडालों में विजया दशमी पर सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर खेला किया. मंगलवार को सरायकेला के तीनों दुर्गा पूजा पंडालों के अलावे खरसावां के दुर्गा पंडाल, राजखरसावां के ठाकुरबाड़ी, रेलवे कॉलोनी, आनंद ज्ञान मंदिर पूजा पंडाल, तलसाही स्थित सेवा संघ समिति व बेहरासाही स्थित सार्वजनिक दुर्गा पूजा पंडाल के सामने सिंदूर खेला का आयोजन किया गया.
सबसे पहले महिलाओं ने पहले मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया. इसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं. विजय दशमी पर सिंदूर खेला की परंपरा को महत्वपूर्ण रस्म मान जाता है. शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन दुर्गा पूजा और दशहरा के अवसर पर महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. जिसे सिंदूर खेला के नाम से जाना जाता है. इस दिन पंडाल में मौजूद सभी सुहागन महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं.
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यह उत्सव मां की विदाई के रूप में मनाया जाता है. सिंदूर खेला के दिन पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श करते हुए उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इसके बाद मां को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है. यह उत्सव महिलाएं दुर्गा विसर्जन या दशहरा के दिन मनाती हैं. इस दौरान महिलाओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता है.
मां दुर्गा आती हैं अपने मायके
माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 10 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं. इन्हीं 10 दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसके बाद 10वें दिन माता पार्वती अपने घर भगवान शिव के पास वापस कैलाश पर्वत चली जाती हैं.