Dusshera 2022: आज है दशहरा, बन रहे हैं 3 विशेष योग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Dusshera 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 04 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है, जो कि 05 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे समाप्त होगी.

By Shaurya Punj | October 5, 2022 8:39 AM

Dusshera 2022: दशहरा  हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक माता दुर्गा के पूजन के बाद यह पर्व मनाया जाता है जिसमें जगह-जगह पर रावण दहन तो किया ही जाता है और घर में विशेष रूप से पूजन भी होता है.

दशहरा 2022 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि 04 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है, जो कि 05 अक्टूबर 2022 को दोपहर 12 बजे समाप्त होगी.

बन रहे हैं 3 विशेष योग

इस साल पंचांग के अनुसार दशहरा या विजयादशमी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं. दशहरा के दिन रवि, सुकर्मा और धृति योग बनने से इस दिन का महत्व दोगुना हो रहा है. इन योगों का ज्योतिष में विशेष महत्व है. इन योगों में किए गए उपाय सिद्ध हो जाते हैं.

दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का शुभ संयोग

श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – अक्टूबर 04, 2022 को 10:51 pm बजे
श्रवण नक्षत्र समाप्त – अक्टूबर 05, 2022 को 09:15 pm बजे

क्यों मनाया जाता है दशहरा

9 दिन की शारदीय नवरात्रि के समापन के ठीक बाद यानी कि दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. इस पर्व को बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का दहन करके और श्री राम की विजय पर खुशियां प्रकट करते हुए मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह पर्व महिषासुर राक्षस पर माता दुर्गा की विजय का भी प्रतीक माना जाता है.

दशहरा पूजन विधि

विजयादशमी के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर, प्रभु श्री राम, माता सीता और हनुमान जी का पूजन करें.
शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के पास जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शमी पूजन मंत्र पढ़ें. इसके बाद सभी दिशाओं में विजय की प्रार्थना करें.
इस दिन कई घरों में शस्त्र पूजन की भी परंपरा है. इसके लिए एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं.
तत्पश्चात उसके ऊपर सभी शस्त्रों को स्थापित करें और पुष्प, अक्षत, रोली, धूप दीप आदि से पूजन करें.
इसके साथ ही प्रभु श्रीराम, मां सरस्वती, भगवान गणेश, हनुमान जी और माता दुर्गा का पूजन करें.
विजय दशमी के दिन गोबर के दस गोले या कंडे भी बनाए जाते हैं. इनमें जौं लगाएं और धूप दीप दें.

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