Happy Easter 2020 Wishes Images, Quotes, Status, Messages, Pictures, Photos: ईस्टर, ईसाईयों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है. इस वर्ष यह पर्व रविपार, 12 अप्रैल को मनाया जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन मरे हुए यीशु पुनर्जीवित हो गए थे और 40 दिन जीवीत रहने के बाद दोबारा चले गए थे. उसी दिन के बाद से लोग यह पर्व धूमधाम से मनाने लगे. इस दिन चर्च में विशेष आयोजन किया जाता है, हालांकि, इस बार लॉकडाउन के वजह से लोग घर पर ही मोमबत्तियों से सजा कर प्रभु यीशु की पूजा अर्चना करेंगे.
ईस्टर कहता है कि
आप सच्चाई को
कब्र में रख सकते हैं,
लेकिन यह वहां नहीं रहेगा
हैप्पी ईस्टर
निराशा के लिए
अपने आप को मत छोड़ो
हम ईस्टर लोग हैं और
हलेलुजाह हमारा गीत है
हैप्पी ईस्टर
यह जंजीरों को प्रस्तुत करने का समय है,
आत्माओं का खिलने का समय
हैप्पी ईस्टर
ईस्टर सुंदरता,
नए “जीवन” की
दुर्लभ सुंदरता का मंत्र देता है
हैप्पी ईस्टर 2020
आपको बता दें कि ये दिन हर वर्ष गुड फ्राईडे के दो दिन बाद और बृहस्पतिवार या मौण्डी गरुवार के तीसरे दिन आता है. ग्रन्थों की मानें तो 26 और 36 ई.प. के बीच में प्रभु यीशु की मृत्यु हुई थी. हालांकि, दोबारा जी उठने के कालक्रम को कई तरीके से बताया जाता है. गुड फ्राइडे हो या ईस्टर ईसाई इसे हर वर्ष चर्च में ही मनाते हैं. चर्च के वर्ष का काल या ईस्टर काल कहा जाता है.
पौरोणिक ग्रंथों की मानें तो ईस्टर काल कुल चालीस दिनों का होता है. ईस्टर के पहले सप्ताह को ईस्टर सप्ताह या ईस्टर अष्टक या ओक्टेव ऑफ़ ईस्टर कहते हैं. इस दौरान भक्त उपवास, प्रार्थना और प्रायश्चित करने में विश्वास रखते हैं. ऐसा माना गया है कि इस दौरान उपवास, प्रार्थना और प्रायश्चित करने से प्रभु यीशु की कृपा बरसती है.
यह पर्व भरतीय कलेंडरों के अनुसार नहीं चलती है, यही कारण है कि ईस्टर की तिथि 22 मार्च से 25 अप्रैल के बीच बदलती रहती है. इसकी गणना जूलियन कैलेंडर पर आधारित होती है.
दरअसल, ईसा मसीह के दर्दनाक मौत मरने के बाद उनके अनुयायी निराश हो गए और उदास-हताश बैठे थे कि एकाएक दरवाजा खुला और औरत वहां पहुंची. काफी हैरान-परेशान उस औरत ने बैठे अनुयायियों से कहा कि मैं समाधि के पास गयी तो वहां कुछ भी नहीं था. पत्थर हटाने पर दो देवदूत दिखे, जो सफेद वस्त्र धारण किए हुए थे. उन्होंने मुझे बताया कि ईसा वापस जीवीत हो गए है.
इस समाचार को सुनकर लोग चकित रह गए, उन्हें विश्वास नहीं हुआ. इस बीच दूसरी औरत ‘मग्दलेना’ समाधि के निकट रोती रही थी. उसने कहा- ‘महाशय, यदि आपने ईसा मसीह का शव यहां से निकाल लिया है, तो कृपया बताइए कि कहां रखा है?’ उत्तर मिला- ‘मेरी!’ यह परिचित आवाज थी. उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा.
उसने ही सबसे पहले पुनः जीवित ईसा को देखा और हांफते हुए स्वर में कहा- ‘प्रभु!’ महाप्रभु ने कहा कि ‘तुम मेरे अनुयायियों को संदेश दे दो कि मैं उन्हें शीघ्र मिलूंगा.’ मग्दलेना इस संदेश को लेकर विदा हुई और महाप्रभु के संदेश को उनके शिष्यों को सुनाया. इसीलिए ईसाई ‘ईस्टर’ पर्व’ को मनाते हैं.