Economic Survey 2020 : वेज और नॉन-वेज दोनों ही थाली की कीमतें हुई कम, जानें क्या है थालीनॉमिक्‍स

Economic Survey 2020-21 Latest Update राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बजट अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे 2020-21 पेश किया. संसद के दोनों सदनों में आज पेश किये गये इकोनॉमिक सर्वे 2020 में शाकाहारी और मांसाहारी थाली (Thalinomics) की कीमतों के बारे में जानकारी दी गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2021 6:44 PM

Economic Survey 2020-21 Latest Update राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बजट अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे 2020-21 पेश किया. संसद के दोनों सदनों में आज पेश किये गये इकोनॉमिक सर्वे 2020 में शाकाहारी और मांसाहारी थाली (Thalinomics) की कीमतों के बारे में जानकारी दी गयी है.

इकोनॉमिक सर्वे में दी गयी जानकारी के मुताबिक, 2019-20 के मुकाबले शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही थाली की कीमतें कम हुई हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, पांच सदस्‍यों वाले एक औसत परिवार को जिसमें प्रति व्‍यक्ति रोजना न्‍यूनतम दो पौष्टिक थालियों से भोजन करने के लिए प्रतिवर्ष औसतन 13087.3 रुपये, जबकि मांसाहारी भोजन वाली थाली के लिए प्रत्‍येक परिवार को प्रतिवर्ष औसतन 14920.3 रुपये का लाभ हुआ है.

थालियों का वर्गीकरण शाकाहारी और मांसाहारी के तौर पर करते हुए पूरे भारत को चार क्षेत्रों (उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम) में बांटकर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है. जनगणना 2011 के मुताबिक भारत में औसत परिवार में 4.8 व्यक्ति होते हैं और इसी आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हुए एक औसत परिवार में पांच सदस्यों को शामिल किया गया है.

दरअसल, थालीनॉमिक्स एक तरीका है और इसके जरिए भारत में एक प्लेट खाने के लिए एक व्यक्ति को कितना खर्च करना पड़ता है, इस बारे में जानकारी मिलती है. आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में पहली बार थालीनॉमिक्स यानी भोजन के अर्थशास्त्र को समझने की कोशिश की गयी थी.

इसके तहत शाकाहारी और मांसाहारी थाली को खरीदने की क्षमता के आधार पर यह समझने की कोशिश की गयी है कि भारत में एक पौष्टिक थाली के लिए भारतीयों को कितना खर्च करना पड़ता है और महंगाई की वजह से उसकी खरीदारी यानी उसको वहन करने की क्षमता पर क्या असर हुआ है.

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