पश्चिम बंगाल में राशन घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले में पहली चार्जशीट स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में दाखिल की. इसमें गिरफ्तार किये गये वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ( Forest Minister Jyotipriya Mallik) और उनके करीबी माने जाने वाले व्यवसायी बकीबुल रहमान उर्फ बकीबुर के भी नाम हैं. साथ ही 10 शेल कंपनियों के नाम हैं. ईडी ने इन कंपनियों के जरिये घोटाले की काली कमाई को सफेद करने का दावा किया है. इडी ने 162 पन्नों की चार्जशीट में दावा किया है कि राज्य में करीब 100 करोड़ रुपये का राशन घोटाला हुआ है. अब तक करीब 31 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है. ईडी का यह भी दावा है कि शेल कंपनियों के जरिये घोटाले से मिली राशि को मुख्य रूप से दूसरे सेक्टरों में निवेश किया गया या शेयरों की खरीद-फरोख्त की गयी.
सूत्रों के अनुसार, मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक की बेटी और पत्नी ऐसी तीन कंपनियों में अलग-अलग समय पर निदेशक थीं. साथ ही मंत्री के दो अन्य रिश्तेदार भी कंपनियों में अलग-अलग समय पर निदेशक थे. जांच में बकीबुल के नाम पर पांच फर्जी कंपनियां भी मिलीं. इडी अधिकारियों ने इन शेल कंपनियों के साथ मंत्री के विश्वासपात्र बकीबुल के संबंधों का भी विवरण दिया है. चार्जशीट में बकीबुल द्वारा अपनायी गयी कार्यप्रणाली का विवरण भी है. यह बताया गया है कि कैसे उसने ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से बांटे जानेवाले गेंहू एवं चावल को खुले बाजार में बेचा.
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इडी की ओर से यह भी दावा किया गया है कि फर्जी किसानों के नाम से खोले गये बैंक खातों में भी बकीबुल की अहम भूमिका रही है. घोटाले में कुछ राइस एवं आटा मिलों के मालिकों एवं मध्यस्थता करने वाले एजेंटों के जरिये बड़े पैमाने पर किसानों को ठगा गया. घोटाले में कुछ सहकारिता समितियों की भी भूमिका रही हैं. उनके जरिये फर्जी किसानों के नाम से बैंक खाते खोले गये थे. इस गोरखधंधे में किसानों के बजाय राइस मिलों के मालिकों ने प्रति क्विंटल चावल पर 200 रुपये अपनी जेबों में भरे. बकीबुल पर यह आरोप भी लग रहे हैं कि फर्जी किसानों के नाम से खोले गये बैंक खातों में जमा रुपयों का स्थानांतरण उसकी और उसके सहयोगियों के नाम से खोली गयी कंपनियों के खातों में किया गया
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इस गोरखधंधे से राज्य सरकार के राजस्व का काफी नुकसान पहुंचा है. एजेंटों की मदद से घोटाले में शामिल राइस मिलों के मालिकों ने फर्जी किसानों के नाम से बैंक खाते खुलवाये थे. उनके जरिये ही किसानों से कम मूल्य पर धान खरीदे जाते थे. यानी उन किसानों से सरकारी नियमों की अवहेलना कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आधार पर धान नहीं खरीदे गये. इसके बाद सरकारी खाते में दिखाने के लिए फर्जी किसानों के नाम से खोले गये बैंक खातों में रुपये जमा कराये गये, जिसमें उन फर्जी किसानों से एमएसपी के आधार पर धान खरीदने की बात दर्शायी गयी.
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चार्जशीट में मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के परिजनों को बकीबुल के जरिये मोटी राशि ऋण के रूप में मिलने का दावा किया गया है. ज्योतिप्रिय की बेटी एवं पत्नी के बैंक खातों में जमा करीब दो करोड़ रुपये फ्रीज किये जा चुके हैं. यह दावा भी किया गया है कि राशन घोटाला वर्ष 2011 से इस साल सितंबर तक चला. गौरतलब है इस वर्ष अक्तूबर में मंत्री ज्योतिप्रिय और उनके करीबी माने जाने वाले व्यवसायी बकीबुल को गिरफ्तार किया गया था. मंत्री की गिरफ्तारी के करीब 46 दिनों बाद इडी ने मामले में चार्जशीट दाखिल की है.
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