शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में माणिक के करीबी तापस मंडल से ईडी की पूछताछ
प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के करीबी तापस मंडल से ईडी की पूछताछ चल रही है. इसके पहले भी ईडी ने कई बार तापस मंडल को पूछताछ के लिए बुलाया है.
प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य (Manik Bhattacharya) के करीबी तापस मंडल से ईडी की पूछताछ चल रही है. इसके पहले भी ईडी ने कई बार तापस मंडल को पूछताछ के लिए बुलाया है. आज फिर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन से जुड़े आर्थिक लेनदेन का हिसाब को लेकर सीजीओ काॅम्पलेक्श में तापस मंडल से ईडी पूछताछ कर रही है. तापस मंडल ने माणिक भट्टाचार्य पर कई आरोप भी लगाये है. उन्होंने कहा कि ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के दौरान 20 करोड़ से अधिक रुपये का लेनदेन किया गया है. जिस मुद्दे पर ईडी की ओर से पूछताछ की जा रही है. आज भी कई खुलासे होने की उम्मीद जताई जा रही है.
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कई संस्थान से हुआ था वित्तीय लेन-देन
ईडी ने तापस मंडल के घर और दफ्तर की तलाशी ली थी . ईडी के मुताबिक तापस मंडल पर कई संस्थान से वित्तीय लेन-देन का आरोप है . अक्टूबर 2018 से अप्रैल 2019 के बीच करीब 530 निजी कॉलेजों व शैक्षणिक संस्थानों को आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने के नाम पर 50-50 हजार रुपये लिये गये थे. लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार की सेवा प्रदान नहीं की गयी. ईडी ने जिन शिक्षण संस्थानों में छापेमारी की थी, संभवत: उनका भी इस संस्थान से संबंध हो सकता है. ईडी इसी बात का पता लगा रही है कि तापस के शिक्षण संस्थानों और ‘मेसर्स एक्योर कंसल्टेंसी सर्विसेस’ के बीच कोई वित्तीय लेन-देन हुआ है या नहीं.
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माणिक की अनुमति से छात्रों से लिया जाता था विलंब शुल्क
तापस ने कहा कि इस पैसे का लेन-देन उनके महिषबथान कार्यालय में किया गया था. ऑफलाइन प्रवेश में देरी के लिए छात्रों से विलंब शुल्क के रूप में पैसा लिया जाता था. सभी लेनदेन नकद में ही हुआ करते थे. सारा पैसा सीधे माणिक के पास जाता था. वह बोर्ड के अध्यक्ष थे. स्वाभाविक रूप से उन्होंने ही सभी निर्णय लिए थे. तापस ने दावा किया कि 2018 में डीएलएड कॉलेज में ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने के बाद देखा गया कि कई सीटें खाली पड़ी हैं. उन्होंने कहा कि उन सीटों को कैसे भरा जाए इस बारे में उन्होंने तत्कालीन परिषद अध्यक्ष माणिक से संपर्क किया. तापस ने दावा किया कि माणिक से बात करने के बाद छात्रों से विलंब शुल्क के तौर पर पांच हजार रुपये नकद लेने का फैसला किया गया.