झारखंड की IAS पूजा सिंघल के करीबी बिल्डर के ठिकानों पर कोलकाता में ED की छापेमारी
‘अभिजीत कंस्ट्रक्शन’ के मालिक सेन पर आरोप है कि उन्होंने कई प्रभावशाली लोगों के काले धन का बाजार में निवेश किया है. यानी काले धन को सफेद किया गया. उनका रांची में भी एक कार्यालय है. बताया गया है कि मनरेगा कोष में करोड़ों के गबन मामले की जांच के दौरान ही बिल्डर के नाम का पता चला था.
कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को एक जाने-माने बिल्डर अभिजीत सेन के कोलकाता स्थित पांच ठिकानों पर छापेमारी की. वह झारखंड के खूंटी जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) कोष में 18 करोड़ रुपये से अधिक के कथित गबन से जुड़े मामले में गिरफ्तार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) की अधिकारी और झारखंड सरकार के खदान व भू-विज्ञान विभाग की सचिव पूजा सिंघल (Jharkhand IAS Pooja Singhal) के करीबी बताये गये हैं. हालांकि, ईडी के अधिकारियों ने इस बारे अभी कुछ नहीं बताया है.
30 अधिकारियों के बनाये गये पांच समूह
इसी दिन केंद्रीय जांच एजेंसी के 30 अधिकारियों को पांच समूहों में बांटा गया, जिन्होंने बिल्डर सेन के कार्यालयों और आवासनों में छापेमारी की. इनमें दक्षिण कोलकाता के साउथ सिटी स्थित इस व्यवसायी के फ्लैट, जोधपुर पार्क के पुराने मकान व कार्यालय, देशप्रिय पार्क स्थित कार्यालय व आवास शामिल हैं.
देशप्रिय पार्क में बिल्डर के आवास में छापेमारी करने आये ईडी अधिकारियों को पहले अंदर जाने में बाधा दी गयी. ईडी की टीम में शामिल एक अधिकारी गेट कूदकर अंदर जाने की कोशिश करने लगे. बाद में ईडी के अधिकारियों के दबाव के बाद आवास में काम करने वाले लोग मुख्य द्वार खोलने को मजबूर हुए.
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प्रभावशाली लोगों के काला धन को किया सफेद
सूत्रों के अनुसार, ‘अभिजीत कंस्ट्रक्शन’ के मालिक सेन पर आरोप है कि उन्होंने कई प्रभावशाली लोगों के काले धन का बाजार में निवेश किया है. यानी काले धन को सफेद किया गया. उनका रांची में भी एक कार्यालय है. बताया गया है कि मनरेगा कोष में करोड़ों के गबन मामले की जांच के दौरान ही बिल्डर के नाम का पता चला था.
अभिजीत सेन के ठिकानों से कई दस्तावेज की जांच
अभिजीत सेन के ठिकानों में छापेमारी के दौरान उनके व्यावसायिक लेन-देन संबंधी व अन्य दस्तावेज की जांच की गयी है. बताया जा रहा है कि ईडी के अधिकारी उनके मोबाइल फोन के कॉल रिकार्ड्स की भी जांच कर सकते हैं.
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2008 से 2011 के बीच मनरेगा कोष में गड़बड़ी
उल्लेखनीय है कि छह मई को मनरेगा कोष में घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल के अलावा झारखंड, बिहार, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा के 20 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की थी. बंगाल में छापेमारी कोलकाता व उत्तर 24 परगना के खड़दह में की गयी थी. मनरेगा कोष में करोड़ों रुपये का गबन वर्ष 2008 से वर्ष 2011 के बीच हुआ था. आइएएस अधिकारी सिंघल घोटाले के दौरान खूंटी जिले में उपायुक्त के रूप में तैनात थीं.