पश्चिम बंगाल के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक टीम ने करोड़ों रुपये के कथित राशन वितरण घोटाले की जांच के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के गिरफ्तार वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक (Forest Minister Jyotipriya Malik) के कार्यालय की मंगलवार को तलाशी ली. उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी ‘घोटाले’ से संबंधित कुछ दस्तावेजों की तलाश में साल्टलेक स्थित ‘अरण्य भवन’ में मलिक के कार्यालय पहुंचे. अधिकारी ने कहा, ‘‘ऐसे संकेत हैं कि मलिक ने अपने वन विभाग कार्यालय में कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज छिपाए हैं. आज का तलाशी अभियान उन्हें ढूंढने के लिए है. पूर्व खाद्य मंत्री को करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए ईडी ने 27 अक्टूबर को उनके आवास से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार मंत्री का कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए एक सरकारी अस्पताल में उपचार हो रहा है.
ईडी की ओर से यह भी दावा किया गया है कि फर्जी किसानों के नाम से खोले गये बैंक खातों में भी बकीबुल की अहम भूमिका रही है. घोटाले में कुछ राइस एवं आटा मिलों के मालिकों एवं मध्यस्थता करने वाले एजेंटों के जरिये बड़े पैमाने पर किसानों को ठगा गया. घोटाले में कुछ सहकारिता समितियों की भी भूमिका रही हैं. उनके जरिये फर्जी किसानों के नाम से बैंक खाते खोले गये थे. इस गोरखधंधे में किसानों के बजाय राइस मिलों के मालिकों ने प्रति क्विंटल चावल पर 200 रुपये अपनी जेबों में भरे. बकीबुल पर यह आरोप भी लग रहे हैं कि फर्जी किसानों के नाम से खोले गये बैंक खातों में जमा रुपयों का स्थानांतरण उसकी और उसके सहयोगियों के नाम से खोली गयी कंपनियों के खातों में किया गया.
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चार्जशीट में मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के परिजनों को बकीबुल के जरिये मोटी राशि ऋण के रूप में मिलने का दावा किया गया है. ज्योतिप्रिय की बेटी एवं पत्नी के बैंक खातों में जमा करीब दो करोड़ रुपये फ्रीज किये जा चुके हैं. यह दावा भी किया गया है कि राशन घोटाला वर्ष 2011 से इस साल सितंबर तक चला. गौरतलब है इस वर्ष अक्तूबर में मंत्री ज्योतिप्रिय और उनके करीबी माने जाने वाले व्यवसायी बकीबुल को गिरफ्तार किया गया था. मंत्री की गिरफ्तारी के करीब 46 दिनों बाद इडी ने मामले में चार्जशीट दाखिल की है.