कोलकाता, अमित शर्मा : पश्चिम बंगाल में राशन वितरण घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने पिछले सप्ताह ही कोलकाता समेत उत्तर 24 परगना, नदिया, हावड़ा समेत राज्य के अलग-अलग जगहों पर चावल व आटा मिलों के अलावा आटा पैकेज्ड कंपनी के ठिकानों व व्यवसायियों के आवासों में छापे मारे थे. इडी ने इस अभियान में कुछ दस्तावेजों, डिजिटल उपकरणों के अलावा महानगर व अन्य जगहों से करीब 1.40 करोड़ रुपये भी जब्त किये हैं. सूत्रों के अनुसार, केवल महानगर के एजेसी बोस रोड स्थित अंकित इंडिया लिमिटेड नामक एक कंपनी के कार्यालय से करीब एक करोड़ रुपये की राशि बरामद की गयी. शेष लगभग 40 लाख रुपये अन्य जगहों से जब्त किये गये हैं. इडी को अंदेशा है कि जब्त की गयी राशि राशन वितरण भ्रष्टाचार से जुड़े हुए हैं.
जांच में केंद्रीय जांच एजेंसी को दो और निजी कंपनियों का भी पता चला है, जो बांकुडा़ के ठिकाने से खोला गया, अंदेशा जताया जा रहा है कि इन दोनों कंपनियों के जरिये कालेधन को सफेद किये गये. हालांकि, इसकी पड़ताल जारी है. इन कंपनियों के नाम मेसर्स एजे एग्रोटेक और मेसर्स एजे रॉयल प्राइवेट लिमिटेड हैं. कंपनियों के शेयर धारकों में से एक चंडी प्रसन्न जाना से भी ईडी अधिकारियों ने पूछताछ की है. इस मामले में गिरफ्तार वन मंत्री व पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के चार्टर्ड एकाउंटेंट शांतनु भट्टाचार्य के निर्देश पर दोनों कंपनियों के बैंक खातों में करीब 16.80 करोड़ रुपये जमा कराये जाने की बात भी सामने आयी है. भट्टाचार्य के नेताजी नगर स्थित आवास में ईडी के अधिकारियों ने पिछले सप्ताह ही तलाशी अभियान चलाया था. ईडी के अधिकारी दोनों कंपनियों की लेन-देन से संबंधित तमान जानकारी जुटाने में लगे हैं.
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ईडी पहले ही यह अंदेशा जता चुकी है कि ग्रेसियस क्रियेशन प्राइवेट लिमिटेड, ग्रेसियस इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड और हनुमान रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड नामक तीन शेल कंपनियों जरिये करीब 12 करोड़ रुपये काले धन को सफेद किये गये. इतना ही नहीं, कंपनियों के बैंक खातों में करीब आठ करोड़ की राशि भी जमा हुई. उक्त कंपनियों में बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स में मामले में गिरफ्तार व्यवसायी बकीबुल रहमान उर्फ बकीबुर के रिश्तेदार अभिषेक विश्वास व अन्य भी थे. कंपनियों को वर्ष 2008 मे्ं खोला गया गया था. उनके अलावा दो कंपनियों के पूर्व निदेशक गिरफ्तार मंत्री मल्लिक के परिवार के सदस्य व उनके यहां काम करने वाले कर्मचारी भी थे. मंत्री के परिजनों ने यह दावा किया है कि उनका संबंध ऐसे किसी कंपनियों के साथ नहीं रहा है. हालांकि, इडी की छापेमारी के दौरान मंत्री के आवास से इन कंपनियों से जुड़े रबड़ स्टैंप भी बरामद हुए हैं.