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Jharkhand News: गढ़वा के 55 रिटायर्ड टीचर्स से होगी राशि की वसूली, शिक्षा विभाग कर रहा तैयारी, ये है वजह

प्रोन्नति लेने के बाद सेवानिवृत शिक्षकों ने बढ़े वेतनमान के हिसाब से वेतन ले लिया है. अब इसके आलोक में भुगतान की गयी राशि की वसूली की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. नियम के प्रतिकूल प्रवरण वेतनमान में प्रोन्नति लेने के मामले में तत्कालीन डीईओ अभय शंकर को भी जिम्मेवार माना गया है.

Jharkhand News: गढ़वा जिले के 55 सेवानिवृत माध्यमिक शिक्षकों को नियमविरूद्ध प्रवरण वेतनमान (सेलेक्शन स्केल) में प्रोन्नति लेने का दोषी पाया गया है. प्रोन्नति लेने के बाद ऐसे शिक्षकों ने बढ़े वेतनमान के हिसाब से वेतन ले लिया है. अब इसके आलोक में भुगतान की गयी राशि की वसूली की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. नियम के प्रतिकूल प्रवरण वेतनमान में प्रोन्नति लेने के मामले में तत्कालीन डीईओ अभय शंकर को भी जिम्मेवार माना गया है.

ऐसे मामला आया सामने

बताया जा रहा है कि साल 2018 में जिले के 123 सेवानिवृत माध्यमिक शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान का लाभ दिया गया था. डीईओ अभयशंकर ने 20 दिसंबर 2018 को कार्यालय पत्रांक 1921 के माध्यम से इसका भुगतान किया था. इस दौरान 123 में से 55 वैसे शिक्षकों को भी इसका लाभ दे दिया गया, जिन्होंने नियमानुसार इसे लागू करने की तिथि 19 दिसंबर 1992 को अपनी सेवा का 18 साल पूरा नहीं किया था. इस वजह से इसे नियमविरूद्ध माना गया है. बाद में कई दूसरे शिक्षकों ने इसी किये गये भुगतान के आधार पर स्वयं को भी प्रवरण वेतनमान में प्रोन्नति के योग्य बताया, लेकिन बाद के डीईओ ने प्रोन्नति देने से इनकार कर दिया. इसके बाद शिक्षक उच्च न्यायालय चले गये. अब शिक्षा विभाग उनको दी गयी प्रोन्नति को रद्द करने की कारवाई करते हुये राशि वसूली की कार्रवाई के लिए महालेखाकार को पत्र भेजने का निर्णय लिया है. यद्यपि इनमें से कई शिक्षक दिवंगत भी हो चुके हैं.

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वसूली के लिये महालेखाकार को भेजा जायेगा

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी मयंक भूषण ने बताया कि प्रथम दृष्टया शिक्षकों को विभागीय दिशा-निर्देश से इतर प्रवरण वेतनमान में प्रोन्नति दी गयी है. इसके लिये 123 में से 55 शिक्षकों को चिन्हित किया गया है. इनसे वसूली के लिये शिक्षा समिति की बैठक में निर्णय लेकर महालेखाकार झारखंड को पत्र प्रेषित किया जायेगा.

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सेवानिवृत कर्मियों से राशि वसूली नैसर्गिक न्याय नहीं

इस संबंध में शिक्षक नेता रामसेवक तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि प्रवरण वेतनमान लेने के चार साल बाद सेवानिवृत व खाट पर पड़े कर्मियों से राशि वसूलने की प्रक्रिया कहीं से भी नैसर्गिक न्याय नहीं है. यदि यह गलत है, तो इसके लिये दोषी अधिकारियों पर सबसे पहले कार्रवाई होनी चाहिये, जिसमें डीईओ और डीसी समेत अन्य शामिल हैं.

रिपोर्ट: पीयूष तिवारी, गढ़वा

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