Eid al-Adha 2022, Bakrid 2022: देशभर में मनाया जा रहा बकरीद का त्यौहार, जानिए क्या है इस पर्व का महत्व

Eid al-Adha 2022, Bakrid 2022: ईद अल अधा यानी बकरीद आज यानी रविवार 10 जुलाई, 2022 को मनाया जा रहा है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देने के साथ ईदगाह या मस्जिद में एक साथ नमाज अदा करते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान के दो महीने बाद कुर्बानी का त्योहार बकरीद आता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2022 7:43 AM

Eid al-Adha 2022, Bakrid 2022: देश भर में आज बकरीद (Eid al Adha 2021) का त्यौहार उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. बकरीद के त्योहार को कुर्बानी के दिन के रूप में भी याद किया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान के दो महीने बाद कुर्बानी का त्योहार बकरीद आता है.

कैसे मानते हैं बकरीद का त्योहार: इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाहों और मस्जिदों में जमात के साथ नमाज अदा करते हैं. त्योहार की शुरुआत सुबह नमाज अदा करने के साथ होती है. लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर भी जाते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं. इसके अलावा इस दिन घर में एक से बढ़कर एक लजीज व्यंजन बनाए जाते हैं.

तीन भागों में बांटा जाता कुर्बानी का मांस

बकरे की कुर्बानी देने के बाद से इसे तीन भागो में बांटा जाता है, पहला भाग रिश्तेदारों, दोस्तों व आस-पास के करीबियों को दिया जाता है. दूसरा हिस्सा गरीब और जरूरतमंदो को दिया जाता है और तीसरा हिस्सा परिवार के लोगों के लिए होता है.

जानिए क्या इसके पीछे का रहस्य

इस्लाम धर्म की मान्यता अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम ने कुर्बानी देने की प्रथा की शुरुआत की थी. ऐसी मान्यता है कि एक बार अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम से अपने प्यार को साबित करने के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज का त्याग करने के लिए कहा था, जिस पर पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौटे बेटे की कुर्बानी देने का फैसला लिया. पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे को मारने जा रहे थे, उसी वक्त अल्लाह पैगंबर इब्राहिम के बेटे को बकरे के रुप में बदल दिया. उसी समय से मुस्लिम समुदाय के लोग हर वर्ष पवित्र महीना रमजान खत्म होने के 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार मनाते हैं.

ईद अल-अधा का महत्व

इस साल 2022 में भारत में बकरीद 10 जुलाई को मनाया जाएगा. ईद उल अजहा इस्लामी कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है. यह त्योहार खुशियां बांटने और गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करने का भी एक अवसर है. कुर्बानी का गोश्त गरीबों में बांटा जाता है ताकि गरीबों को एक वक्त का खाना मिल सके. नमाज अदा करने के बाद वे भेड़ या बकरी की कुर्बानी (बलि) देते हैं और परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और गरीबों के साथ उसे साझा करते हैं.

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