झारखंड के लातेहार में एक बुजुर्ग अपना घर छोड़कर सरकारी स्कूल में परिवार के साथ रहने को क्यों है मजबूर

Jharkhand News: जगदेव ने बताया कि उनकी वृद्धावस्था पेंशन भी बंद है, जिसके कारण परिवार चलाने में काफी परेशानी होती है. जगदेव ने बताया कि उनकी पत्नी जिलानी देवी को वृद्धावस्था पेंशन मिलती है, लेकिन वह भी सितंबर माह से बंद है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2022 5:03 PM
an image

Jharkhand News: झारखंड के लातेहार सदर प्रखंड के जडियांग गांव निवासी 67 वर्षीय जगदेव उरांव विद्यायल भवन में अपने पूरे परिवार के साथ रहने को विवश हैं. जगदेव का घर पिछले साल बरसात में गिर गया था. उसके बाद से वह अपने पूरे परिवार के साथ गांव के विद्यालय में रह रहे हैं. जगदेव के परिवार में उसकी पत्नी जिलानी देवी (65 वर्ष), एक पुत्री सीतामनी उरांव (14 वर्ष) हैं. जगदेव ने बताया कि घर गिरने के बाद मास्टर साहब से मिला और उन्हें अपनी परेशानी बतायी. उसके बाद मास्टर साहब ने विद्यालय परिसर में एक कमरा रहने के लिए दे दिया. तब से जगदेव का पूरा परिवार उसी एक कमरे में रह रहा है.

जगदेव ने बताया कि उनकी वृद्धावस्था पेंशन भी बंद है, जिसके कारण परिवार चलाने में काफी परेशानी होती है. जगदेव ने बताया कि उनकी पत्नी जिलानी देवी को वृद्धावस्था पेंशन मिलती है, लेकिन वह भी सितंबर माह से बंद है. गांव में किसी तरह से गुजारा कर परिवार चला रहे हैं. घर गिरने की जानकारी पंचायत के प्रतिनिधियों को है, लेकिन अब तक घर नहीं बन सका है. जगदेव के पेंशन की जानकारी प्राप्त करने पर पता चला कि पिछले एक साल से उनकी पेंशन बंद है. सामाजिक सुरक्षा कोषांग में बताया गया कि प्रखंड कर्मियों के द्वारा समय पर जगदेव की रिपोर्ट जमा नहीं की गयी. इस कारण उनकी पेंशन बंद कर दी गयी है, जबकि उनकी पत्नी जिलाना देवी को पेंशन की राशि के आवंटन के अभाव के कारण नहीं जा रहा है, लेकिन इस माह पेंशन की राशि भेज दी जायेगी.

Also Read: JJMP सबजोनल कमांडर भवानी ने हथियार के साथ किया सरेंडर, 1 लाख रुपये का मिला चेक,पलामू डीआईजी ने की ये अपील

इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी मेद्यनाथ उरांव ने बताया कि जानकारी मिली है कि जगदेव का घर बरसात में गिर गया था. उन्होंने कहा कि जगदेव को अविलंब अंबेडकर आवास देने का प्रयास किया जायेगा. जगदेव को सबसे पहले उनकी बंद पेंशन को चालू करने के लिए पंचायत सेवक को काजगी प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया है.

Also Read: ताली बजाकर बधाई मांगने वाली किन्नरों को झारखंड की कोयला खदान में कैसे मिली नौकरी, ये राह थी कितनी आसान

रिपोर्ट: चंद्रप्रकाश सिंह

Exit mobile version