मेरी मौत के बाद बच्चों को नहीं करने दिया जाए अंतिम संस्कार, चार करोड़पति बेटों की मां का आखिर क्यों छलका दर्द
आगरा की पॉश कालोनी कमला नगर की रहने वाली 87 वर्षीय विद्या देवी के चार बेटे हैं. चारों बेटे आर्थिक रूप से बेहद संपन्न हैं. इसके बावजूद विद्या देवी वृद्धाश्रम में अपना जीवन गुजार रही हैं. वह अपने बेटों के व्यवहार से इस कदर आहत हैं कि उनके पास नहीं जाना चाहतीं.
Agra: हिंदी फिल्म दीवार का मशहूर डायलॉग ‘मेरे पास मां है’ आज भी लोगों के जहन में है. फिल्म में दो भाइयों अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के बीच संवाद के दौरान जब ये डायलॉग बोला जाता है तो मां के प्रति प्रेम और समर्पण का देखकर लोगों की आंखें भर जाती हैं. लेकिन, आगरा में एक वृद्ध मां की हकीकत इसे पूरी तरह जुदा है.
बुढ़ापा वृद्धाश्रम में बिताने को मजबूर है मांइस मां को ईश्वर ने सब कुछ दिया. दौलत से लेकर चार बेटों के साथ कभी ये खुशहाल बढ़ापे का सपना देखा करती थी. लेकिन, आज अपने ही घर में इसके रहने के लिए जगह नहीं है. जिन बेटों के लिए इस मां ने अपनी खुखियों की परवाह नहीं की, आज उन्हीं बेटों ने इन्हें घर से निकाल दिया. अब ये मां अपना बुढ़ापा वृद्धाश्रम में बिताने को मजबूर है.
आगरा की पॉश कालोनी कमला नगर की रहने वाली 87 वर्षीय विद्या देवी के चार बेटे हैं. चारों बेटे आर्थिक रूप से बेहद संपन्न हैं. इसके बावजूद विद्या देवी वृद्धाश्रम में अपना जीवन गुजार रही हैं. वह अपने बेटों के व्यवहार से इस कदर आहत हैं कि उनके पास नहीं जाना चाहतीं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर वह मर भी जाएं तो इसकी खबर उनके बेटों को नहीं दी जाए.
पति की मौत के बाद बेटों को बनाया काबिल, किया बेघरविद्या देवी का आगरा की पॉश कालोनी कमला नगर में भव्य कोठी है. करीब 13 साल पहले उनकी पति की अचानक मौत हो गई. इसके बाद मां ने बेटों को पढ़ाने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाया. एक बेटे के लिए फैक्टरी खुलवाई और तीन अन्य को बहुमंजिला इमारत बनाकर सौंपी. चारों बेटे आज अच्छी आर्थिक स्थिति में हैं. विद्या देवी को लग रहा था कि बेटों का कारोबार शादी के बाद उनका जीवन सुकून से गुजरेगा. लेकिन, कुछ दिन पूर्व बेटों और उनकी पत्नियों ने उन्हें घर से निकाल दिया.
चारों बेटों ने साथ में रखने से किया इनकारपीड़ित मां रोते हुए बताती हैं कि सबसे पहले बड़े बेटे ने उनसे घर और फैक्टरी अपने नाम करवा ली, फिर मारपीट कर घर से बाहर निकाला दिया. उसके बाद दूसरे बेटे की शरण ली तो उसने भी पत्नी के कहने पर एक घंटे भी घर में रहने नहीं दिया. इसके बाद तीसरे बेटे और बहू ने मां के शरीर से बदबू आने की बात कहकर घर से भगा दिया. चौथे बेटे ने भी उन्हें अपने पास रखने से इनकार कर दिया. इन परिस्थिति में वृद्ध विद्या देवी आगरा के रामलाल वृद्धाश्रम में अब अपना जीवन बिता रही हैं. बेटों के व्यवहार से आहत वृद्ध मां राते हुए कहती हैं कि अब वृद्धाश्रम के रहने वाले लोग ही उनका परिवार है. यहां पर रहने वाले युवा उनके बेटे और बुजुर्ग महिलाएं बहन हैं.
बेटे उल्टा बदनाम करने का लगा रहे आरोपआश्रम के संचालक शिव प्रसाद शर्मा बताते हैं कि कुछ दिन पूर्व वृद्ध महिला की बहन शशि गोयल उन्हें यहां लेकर आई थी. महिला के चारों बेटे आर्थिक रूप से काफी संपन्न हैं. इसके बावजूद ये हमारे वहां रहने को मजबूर हैं. शिव प्रसाद के मुताबिक उन्होंने विद्या देवी के बेटों से संपर्क किया तो उन्होंने उलटा उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया.
चार बेटों में से एक भी नहीं लेने आया वापसचारों बेटों में से एक भी यहां से मां को लेने नहीं आया. ऐसे में यहां रहने वाले लोग ही वृद्ध महिला का सहारा और परिवार का हिस्सा बन गए हैं. महिला अपने बेटे के कृत्य से बेहद आहत हैं. वह कहती हैं कि मौत के बाद बच्चों को उनकी लाश का अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया जाए.