कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट की फटकार के बाद कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने में पूरी शिद्दत से जुट गया है. कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वालों पर ताबड़तोड़ प्राथमिकी दर्ज करायी जा रही है. नेताओं और पार्टियों को नोटिस दिये जा रहे हैं. इसी के तहत शनिवार को कम से कम 13 उम्मीदवारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
इन सबको कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है. इसके साथ ही 33 नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. जिन 13 उम्मीदवारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है, वे सभी कोरोना (कोविड-19) प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए चुनाव प्रचार कर रहे थे.
प्रारंभिक रिपोर्ट मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इसके अलावा जिन 33 नेताओं के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उन पर भी महामारी रोकथाम से बचाव संबंधी प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने के आरोप हैं. इसमें मालदा जिला के 8 उम्मीदवार भी शामिल हैं.
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दरअसल, एक दिन पहले ही 22 अप्रैल को कलकत्ता हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगायी थी. चीफ जस्टिस टीबीएन राधाकृष्णन और जस्टिस अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा था कि पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन द्वारा किये गये कार्यों का 10 फीसदी भी वर्तमान आयोग नहीं कर पा रहा है.
चीफ जस्टिस की अध्यक्षतावाली पीठ ने कहा कि सारे अधिकार रखते हुए भी चुनाव आयोग उनका इस्तेमाल नहीं कर रहा है. साथ ही कहा कि सिर्फ नोटिस जारी करने से आयोग की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती. बाकी एजेंसियों को भी उनका काम करना होगा. इसके बाद ही आयोग ने कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराना शुरू किया.
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उल्लेखनीय है कि हाइकोर्ट की फटकार के बाद उसी दिन देर शाम पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने बड़ी सभाओं के साथ-साथ साइकिल रैली, बाइक रैली आदि पर प्रतिबंध लगा दिया. दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि बड़े नेता वर्चुअल रैली करें और सोशल मीडिया के जरिये लोगों से जुड़ें.
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस फैसले की आलोचना की. ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव प्रचार रोकने की क्या जरूरत थी. बाकी दो चरणों के चुनाव एक साथ कराये जा सकते थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को खुश करने के लिए आयोग ने ऐसा नहीं किया. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी रैलियों को रद्द कर दिया.
Posted By : Mithilesh Jha