चुनाव आयोग ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस तथा भाकपा को बड़ा झटका दिया है. दरअसल आयोग ने दोनों पार्टियों की राष्ट्रीय मान्यता को खत्म कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया गया. आयोग ने जिनसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीना है उसमें एनसीपी का नाम भी शामिल है.
चुनाव आयोग ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके प्रदर्शन के आधार पर तीनों पार्टियों से पूछा था कि वे बतायें कि आखिर उनकी राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता को क्यों न रद्द किया जाये. बता दें कि इलेक्शन सिंबल्स(रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) ऑर्डर 1968 के पैरा 6बी के मुताबिक कोई भी दल तभी राष्ट्रीय पार्टी हो सकता है जब उसकी मान्यता चार या उससे अधिक राज्यों में बतौर राज्य पार्टी के तौर पर हो.
अगर उसके उम्मीदवारों को कुल वैध वोटों का कम से कम 6 फीसदी, चार या अधिक राज्यों में आखिरी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में मिलता है और उसके कम से कम चार सांसद गत चुनाव में चुने गये हों या कुल लोकसभा सीटों में से उसने कम से कम तीन राज्यों में 2 फीसदी पर विजय पायी हों, तभी वह राष्ट्रीय पार्टी की हकदार बन सकती है.
बता दें कि पिछले महीने चुनाव आयोग ने एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस और भाकपा से इस मामले में जवाब मांगा था. इस संबंध में तृणमूल प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि वह इस संबंध में टिप्पणी नहीं कर सकते. पार्टी इस संबंध में अलग से प्रेस विज्ञप्ति जारी करेगी. चुनाव आयोग की घोषणा के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा ‘दीदी की तृणमूल को आगे ले जाने की कोशिशें असफल है, क्योंकि लोगों को पता है कि तृणमूल सर्वाधिक भ्रष्ट, तुष्टिकरण को बढ़ावा देने वाली सरकार है.
बंगाल में चल रही मौजूदा सरकार का गिरना तय है क्योंकि बंगाल के लोग इस सरकार को अधिक दिनों तक बर्दाश्त नहीं करेंगे.’ राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि वह मुख्य चुनाव आयुक्त को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हटा दिया है. अधिकारी ने कहा कि उन्होंने यह मुद्दा त्रिपुरा चुनाव के बाद ही उठाया था जब तृणमूल इस संबंध में शर्तों को पूरा करने में असफल रही थी. अब एआइटीसी, अपने नाम से ‘एआइ’ कब हटायेगी? ये बड़ा सवाल है.