Assembly Election 2023: चारों राज्यों में सरकार किसकी बनेगी यह आज यानी 03 दिसंबर को तय हो जाएगा. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना सुबह आठ बजे से जारी है. इस बीच Election Result को लेकर आपके भी मन में कई तरह के सवाल होंगे. जैसे ईवीएम का फुल फॉर्म क्या होता है? पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल कहां किया गया था? BLO का क्या मतलब होता है? ईवीएम में डाले गए वोट कैसे गिने जाते हैं? जानें यहां काउंटिंग से जुड़े हर सवाल के जवाब.
EVM का फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन होता है. यह एक ऐसी मशीन है जिसका उपयोग लोग चुनाव के दिन वोट डालने के लिए करते हैं. इस मशीन के जरिए कोई भी व्यक्ति किसी भी राजनीतिक दल को अपना मत दे सकता है. इस मशीन में अलग-अलग नियुक्तियों के लिए अलग-अलग बटन नियुक्त होते हैं जिनके ऊपर उस पार्टी का चिन्ह भी होता है और ये सभी इलेक्ट्रॉनिक मतपेटी के साथ केबल के माध्यम से जुड़े होते हैं. एक ईवीएम में दो यूनिट होती हैं कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट ये दोनों एक-दूसरे के साथ एक पांच मीटर केबल के माध्यम से जुड़े होते हैं जब एक मतदाता कोई भी बटन दबाता है तो किसी भी उम्मीदवार का हो सकता है टैब ऐसी मशीन में होता है आपको लॉक कर देता है. ऐसे में ईवीएम को खोलने के लिए एक नया बैलेट नंबर ही जरूरी होता है. अन्यथा इसे खोला नहीं जा सकता. इससे ये बात सुनिश्चित होती है कि एक इंसान सिर्फ एक बार ही वोट कर सकता है. मतदान समाप्त होने के बाद सभी ईवीएम को सील कर सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाता है फिर निर्धारित तिथि पर प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त मतों की गिनती की जाती है और जिस उम्मीदवार को किसी निर्वाचन क्षेत्र से सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, उसे निर्वाचित घोषित किया जाता है.
पहली बार 1982 में केरल के एर्नाकुलम के परवूर विधानसभा क्षेत्र के 50 बूथों पर ईवीएम का उपयोग किया गया था. 1992 में, संसद ने ईवीएम के उपयोग को वैध बनाने और चुनावों में उनके उपयोग का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अधिनियम और नियमों में धारा 61ए शामिल की. चुनाव आयोग ने 1998 से ईवीएम का व्यापक रूप से उपयोग करना शुरू कर दिया.
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बीएलओ का मतलब बूथ लेवल ऑफिसर है, जो भारतीय चुनाव आयोग का प्रतिनिधि होता है. बीएलओ एक स्थानीय सरकारी या अर्ध-सरकारी सदस्य होता है. मौलिक स्तर पर, बीएलओ रोल पुनरीक्षण की प्रक्रिया में एक आवश्यक भूमिका निभाता है और उसे आवंटित वास्तविक मतदान क्षेत्र की जानकारी एकत्र करता है. पंजीकृत व्यक्ति को बीएलओ द्वारा निर्वाचक बनने और वोटिंग कार्ड प्राप्त करने का निर्देश दिया जाता है. स्थानीय व्यक्तियों और राजनेताओं के बीच इंटरफेस बीएलओ होता है.
वोटों की गिनती के लिए एक कमरा बनाया जाता है, उसे स्ट्रॉन्ग रूम कहते हैं. इसी रूम में वोटों की गिनती होती है और वोट भी डाले जाते हैं. बता दें कि मतगणना के दिन ईवीएम मशीनों को पोलिंग बूथ से लाकर रखा जाता है. यहां हर कोई नहीं पहुंच सकता. इसकी सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से चाक-चौबंद रहता है.
वैसे तो एक ईवीएम की उम्र 15 साल होती है. इसके बाद उसको रिटायर कर दिया जाता है. लेकिन अगर इसमें डेटा की बात की जाए तो डेटा को ताउम्र सुरक्षित रखा जा सकता है. इसका डेटा तब हटा दिया जाता है जब इसे डिलीट करने पर नई वोटिंग की तैयारी होती है.
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काउंटिंग या मतगणना या वोटों की गिनती पोस्टल बैलट (PB) और इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट (ETPB) की गिनती से शुरू होती है. ये वोट रिटर्निंग ऑफिसर की निगरानी में गिने जाते हैं. पोस्टल बैलट (PB) और इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट (ETPB) की गणना शुरू होने के आधे घंटे बाद ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) में डाले गए वोटों की गिनती शुरू हो सकती है.
अक्सर हम मतगणना वाले दिन ये सुनते हैं कि पहला राउंड, दूसरा राउंड या पहला रुझान, दूसरा रुझान आ गया है. आपको बता दें कि राउंड या रुझान से मतलब है 14 ईवीएम में डाले गए वोट की गिनती से होता है. जब 14 ईवीएम में डाले गए वोटों को गिन लिये जाते हैं, तो उसे एक राउंड माना जाता है या पहला रुझान माना जाता है.