वैसे 2024 की चुनावी शृंखला की शुरूआत पड़ोसी बांग्लादेश से होगी, जहां सात जनवरी को संसदीय चुनाव है. सबसे लंबे समय तक महिला प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुकीं शेख हसीना चौथे कार्यकाल की दावेदारी कर रही हैं. जिस तरह ज्यादातर प्रमुख राजनीतिक दल चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं, उससे शेख हसीना के लिए बड़ी चुनावी चुनौती नजर नहीं आती.
साल 2024 में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के मतदाता ही नयी सरकार नहीं चुनेंगे, बल्कि विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका समेत 60 से ज्यादा देशों में नये निजाम के लिए चुनाव होंगे. इन देशों में विश्व की लगभग 49 प्रतिशत आबादी रहती है और दुनिया की जीडीपी में इनकी हिस्सेदारी करीब इतनी ही है. अनुमान लगाया जा सकता है कि इन देशों के चुनावी परिणाम का भावी विश्व परिदृश्य पर कितना बड़ा प्रभाव होगा. इन देशों में दक्षिण एशिया के भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका भी शामिल हैं. अप्रैल-मई में संभावित आम चुनाव में भारत के लगभग एक अरब मतदाता 18वीं लोकसभा के लिए मतदान करेंगे. संकेत हैं कि केंद्रीय सत्ता के लिए मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के बीच होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा घोषित तौर पर 38 दलों के एनडीए का नेतृत्व कर रही है, जबकि 28 दलों के ‘इंडिया’ में अभी नेतृत्व को लेकर शह-मात का खेल चल रहा है.
हाल में भाजपा को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मिली शानदार जीत से यह साफ है कि दिल्ली की दौड़ में एनडीए आगे है. अंतर्विरोधों से ग्रस्त ‘इंडिया’ परस्पर सौहार्द बहाली और कारगर सीट बंटवारे में विलंब से और पिछड़ ही रहा है. अब जबकि लोकसभा चुनाव में बमुश्किल तीन महीने बचे हैं, संयोजक से लेकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम और सीट बंटवारे जैसे जटिल मुद्दों पर सहमति के बाद समन्वित चुनावी रणनीति की अपेक्षा ‘इंडिया’ के अभी तक के आचरण के मद्देनजर बहुत ज्यादा आशावादी लगती है. कांग्रेस ने जो राष्ट्रीय तालमेल समिति बनायी, वह अभी तक अपनी प्रदेश इकाइयों से ही चर्चा कर रही है, जबकि अन्य घटक दल मीडिया के जरिये अपनी-अपनी दावेदारी को हवा दे रहे हैं. वर्तमान परिदृश्य में तो केंद्रीय सत्ता की जंग में भाजपानीत एनडीए आगे नजर आ रहा है. इसलिए भी कि एक ओर ‘इंडिया’ अपने कुनबे को संभाल तक नहीं पा रहा है, वहीं दूसरी ओर एनडीए बीजेडी आदि से बातचीत के जरिये विस्तार की कवायद में जुटा है.
वैसे 2024 की चुनावी शृंखला की शुरूआत पड़ोसी बांग्लादेश से होगी, जहां सात जनवरी को संसदीय चुनाव है. सबसे लंबे समय तक महिला प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुकीं शेख हसीना चौथे कार्यकाल की दावेदारी कर रही हैं. जिस तरह ज्यादातर प्रमुख राजनीतिक दल चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं, उससे शेख हसीना के लिए बड़ी चुनावी चुनौती नजर नहीं आती. शेख हसीना की छवि भारत से मित्रता रखने वाली रही है. इस चुनाव में वे भारत से बेहतर रिश्तों की उपलब्धि को मुद्दा भी बना रही हैं. घरेलू राजनीति में कट्टरपंथी ताकतें इसे हसीना और उनकी अवामी लीग पार्टी के विरुद्ध मुद्दा बनाती हैं. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की हालत अच्छी नहीं हैं. उनकी आबादी घटी है और पलायन भी जारी है. वर्ष 1951 में हिंदू आबादी 22 प्रतिशत थी, जो अब आठ प्रतिशत रह गयी है. जिस पाकिस्तान के सांस्कृतिक-भाषाई भेदभाव और सैनिक दमन से त्रस्त हो कर पूर्वी पाकिस्तान अलग बांग्लादेश बनने को मजबूर हुआ, वहां भी आठ फरवरी को नेशनल असेंबली का चुनाव होना है. लोकप्रिय क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से बेदखल किये जाने के बाद से पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता का शिकार है. राष्ट्रीय गोपनीयता भंग करने तथा बतौर प्रधानमंत्री मिले उपहार बेच देने जैसे आरोपों में इमरान जेल में हैं और उनके नामांकन पत्र दोनों चुनाव क्षेत्रों से खारिज किये जा चुके हैं. अब जबकि केयरटेकर सरकार की देखरेख में चुनाव हो रहे हैं, चार साल निर्वासित जीवन गुजारने वाले उनके भाई पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एक और पारी खेलने की तैयारी में स्वदेश लौट आये हैं. इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. अल्लाह और अमेरिका का तो पता नहीं, पर पाकिस्तान आर्मी शरीफ के प्रति शरीफ नजर आ रही है.
श्रीलंका में वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, विलंब से ही सही, इस साल चुनाव करवा रहे हैं और वे दूसरे कार्यकाल के दावेदार भी हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज लेने में सफलता के अलावा बजट में भारी सुधारों के जरिये आर्थिक विकास सुनिश्चित कर पाना उनके पक्ष में जा सकता है. वर्ष 2024 में चुनाव अमेरिका और ब्रिटेन समेत रूस, यूक्रेन, मेक्सिको, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका आदि कई देशों में होने हैं. फिलहाल अमेरिका में वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन दूसरे कार्यकाल के लिए मजबूत दावेदार, ब्रिटेन में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कमजोर, रूस में 23 साल से सत्तासीन व्लादिमीर पुतिन चुनौतीविहीन नजर आते हैं. मेक्सिको सिटी की पूर्व मेयर क्लाउडिया शीनबाग मेक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति बन सकती हैं, जिन्हें निवर्तमान राष्ट्रपति एंद्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर की पार्टी मोरेना ने उम्मीदवार बनाया है. चुनाव ताइवान में भी जनवरी में होंगे, जिनमें चीन से तनातनी के चलते पूरी दुनिया की दिलचस्पी है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)