हाथियों ने एक ही रात गढ़वा के दो प्रखंडों में दर्जनों घरों को तोड़ा, सरसों की फसलों को रौंदा
jharkhand news: गढ़वा में हाथियों का उत्पात एक बार फिर शुरू हो गया है. हाथियों के झुंड ने जिले के दो प्रखंड में एक ही रात दर्जनों घरों को क्षतिग्रस्त किया. वहीं, सरसों लगी फसल को भी बर्बाद कर दिया है. हाथियों के उत्पात से ग्रामीण डरे-सहमे हुए हैं.
Jharkhand news: कुछ दिन तक रुकने के बाद जनवरी महीने के पहले सप्ताह से ही हाथियों का उत्पात दोबारा शुरू हो गया है. गढ़वा जिले के दक्षिणी वन क्षेत्र वाले भंडरिया और रमकंडा प्रखंड के गांवों में आधा दर्जन हाथियों का झुंड भंडरिया के पिपरा, तेवाली और रमकंडा के कुशवार गांव में पहुंचकर दर्जनों घरों को क्षतिग्रस्त किया. इसके अलावे इन गांवों में फसलों को रौंदकर बर्बाद किया है.
इनमें पिपरा गांव निवासी उदय सिंह, त्रिभुवन सिंह, प्रमोद सिंह, सरईडीह निवासी रामब्रत सिंह, जयराम सिंह, कुशवार गांव निवासी गरीबा सिंह, चूड़हारिन टांड़ निवासी रतु नायक, बासुदेव नायक, शकुन्ती देवी, अवराझेरिया गांव निवासी अवतार भुईयां व खजूर नायक के घरों को क्षतिग्रस्त किया है. इसके साथ ही गांव के अन्य किसानों के खेतों में लगे सरसों की फसलों को भी हाथियों ने रौंदकर बर्बाद कर दिया.
मालूम हो कि एक दिन पहले भी हाथियों ने तेवाली गांव में उत्पात मचाया था. इस तरह हाथियों के आतंक से प्रभावित ग्रामीणों में वन विभाग के प्रति आक्रोश है. ग्रामीण आलोक सिंह, संतोष सिंह, ननकू सिंह, शिवनाथ सिंह, राजकुमार विश्वकर्मा, रविंद्र कुमार, कोलेश्वर सिंह, प्रताप सिंह, विक्रम सिंह आदि ने बताया कि उन्हें इस बात की आशंका है कि कभी हाथियों के चपेट में किसी ग्रामीण भी आ सकते हैं. लेकिन, वन विभाग इस मामले का स्थायी समाधान निकालने की ओर कोई पहल नहीं कर रहा है. इसके कारण ग्रामीणों को वन विभाग के प्रति काफी आक्रोश है.
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चारपाई के नीचे छुपने से बची महिला की जान
पिपरा गांव में उदय सिंह के घरों को तोड़ते समय हाथियों के भय से चारपाई के नीचे छुपकर 70 वर्षीय पानपती देवी ने जान बचायी. वहीं, उदय सिंह के तीन बच्चों ने दीवार फांदकर जान बचाने में सफल रहे. बताया गया कि रात 11 बजे पहुंचे हाथी अचानक घरों को तोड़ने लगे. इस दौरान दो कमरों के इस घर में तीन बच्चे सहित उदय की बुजुर्ग मां सो रही थी. वहीं, उदय सिंह अपनी पत्नी के साथ कुछ दूरी स्थित अपने पुराने घर में सो रहे थे. हाथियों की आवाज सुनते ही अंदर सो रहे बच्चे चीखने-चिल्लाने लगे. तभी मौका देख तोड़े गये दीवार को फांदकर बच्चों ने अपनी जान बचायी. वहीं, बुजुर्ग महिला चारपाई के नीचे छुप गयी, लेकिन छुपने के बावजूद दीवार की मिट्टी चारपाई पर गिरने से महिला को चोट भी लगी.
मजदूरी कर लाये गये धान खा गये
रमकंडा के कुशवार गांव में आतंक मचाने के दौरान हाथियों ने खजूर नायक के घर में मजदूरी कर लाये गये 18 बोरी धान खा गये. जानकारी देते हुए पीड़ित ग्रामीण ने बताया कि बाहर से मजदूरी कर 18 बोरा धान लाये थे, लेकिन रात में अचानक पहुंचे हाथियों के झुंड ने घर को क्षतिग्रस्त करते हुए धान खा गये. बताया कि इस घटना के बाद उसके घर में अनाज तक नहीं बचा है. बताया कि पिछले महीने भी हाथियों ने रतु घांसी का घर क्षतिग्रस्त कर धान की फसल खा गये थे.
जंगलों की ओर भागते-भागते घरों को तोड़ा
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में हाथियों के पहुंचने की सूचना के बाद उन्हें मशाल जलाकर और टीना बजाकर भगाने का प्रयास किया गया. लेकिन, एक घर से हाथियों को भगाने के बाद वे दूसरे घरों को क्षतिग्रस्त करने लगे. इसी तरह जंगलों की ओर भागने के क्रम में हाथियों ने उदय सिंह की मोटरसाइकिल को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. यहां से भागने के बाद गांव की ही त्रिभुवन सिंह के घर के बरामदे में रखे चार क्विंटल धान खा गये. यहां के बाद प्रमोद सिंह का घर क्षतिग्रस्त कर रखे गये छह क्विंटल धान खाकर खेतों में लगे चना, गेहूं, मसूर, मटर आदि फसलों को रौंदकर बर्बाद करते हुए जंगलों की ओर भागे.
रिपोर्ट : संतोष वर्मा/मुकेश तिवारी, भंडरिया, रमकंडा, गढ़वा.