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एआइ से रोजगार की संभावनाएं भी कम नहीं

रोजगार बाजार पर एआइ का प्रभाव नकारात्मक भी है और सकारात्मक भी. नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं को नयी तकनीकों को अपनाने के साथ तेज कौशल विकास पर भी काम करना होगा. इस संबंध में सरकार और व्यवसाय जगत को साथ आना चाहिए, ताकि आवश्यक कौशल उपलब्ध हो सके.

By प्रभात सिन्हा | January 29, 2024 2:24 AM
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) एक उपयोगी और तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है. इसमें मानव बुद्धिमता की आवश्यकता वाले कार्यों के लिए प्रभावी बुद्धिमता वाले सॉफ्टवेयर सिस्टम का विकास किया जाता है. एआइ सिस्टम बड़े डेटाबेस का सम्मिश्रण और विश्लेषण कर अति उपयोगी सुझाव प्रदान करते हैं, जो व्यावसायिक दक्षता और नवाचार को बढ़ाता है. एआइ का विविध और विशिष्ट अनुप्रयोग होता हैं, जिनमें खेती जैसे पारंपरिक क्षेत्र का अनुकूलन, स्वचालित कारों का परिचालन, आभासी सहायक से लेकर चिकित्सा निदान और वित्तीय विश्लेषण तक शामिल हैं. एआइ के अनुप्रयोग से मनुष्यों पर निर्भरता कम होगी और स्वचालन बढ़ेगा. अधिकांश विशेषज्ञ स्वचालन को रोजगार का विपरीत समानुपाती मानते हैं. हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने एआइ के प्रसार से आर्थिक विषमता बढ़ने की आशंका जतायी. दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान उन्होंने कहा कि एआइ के कारण जल्द ही विकसित देशों के कई श्रमिकों की नौकरियां समाप्त हो जायेंगी. कंसल्टिंग संस्था पीडब्ल्यूसी के एक हालिया प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, हर चार में से एक सीइओ के अनुसार एआइ से कम-से-कम पांच प्रतिशत रोजगार में कमी आयेगी.

औद्योगिक क्रांति के शुरू से डाटा साइंस, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स जैसे हर उल्लेखनीय तकनीक के प्रचलन तक ऐसी आशंका जतायी जाती रही है. कई विशेषज्ञों ने एआइ से लाखों नयी नौकरियों के सृजन की संभावना भी व्यक्त की है. विश्व आर्थिक मंच के पिछले वर्ष के शोध के अनुसार आने वाले पांच वर्षों में एआइ शुद्ध रूप से रोजगार सृजनकर्ता बनेगा. उस रिपोर्ट के अनुसार एआइ संभावित रूप से 9.7 करोड़ नयी भूमिकाएं उत्पन्न कर सकता है. विश्व आर्थिक मंच के ही एक सर्वेक्षण में लगभग आधी (49%) कंपनियों ने एआइ के प्रसार से रोजगार वृद्धि की संभावना व्यक्त की, जबकि सिर्फ 23% ने रोजगार में कमी की आशंका जाहिर की. एआइ से संबंधित भूमिकाओं, जैसे- डाटा वैज्ञानिक, डाटा विशेषज्ञ और बिजनेस इंटेलिजेंस विश्लेषकों की संख्या में 30 से 35 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है. ऑटोमोटिव और एयरोस्पेस उद्योग में तेजी से रोजगार बढ़ोतरी की संभावना है. एआइ के कारण कई नौकरियां अप्रचलित भी हो सकती हैं, कई नौकरियों को फिर से परिभाषित किया जायेगा और कई नये अवसर सामने आयेंगे. ऐसा भी संभव है कि जिस समूह की नौकरी खत्म हो जाए, उसे नयी नौकरी आसानी से न मिले और नये समूह को रोजगार आसानी से मिल जाए. समाज में असमानता की आशंका को नकारा नहीं जा सकता. कई शोधों के अनुसार, मीडिया, मनोरंजन, बैंकिंग और बीमा जैसे कई परंपरागत क्षेत्र में नौकरियों की कमी की आशंका है. विनिर्माण, ग्राहक सेवा, शिक्षा और वित्त सेवाओं, जैसे- एकलय, दुहराव और पुर्वानुमान वाली नौकरियों में भी कमी आ सकती है.

मुद्रा कोष की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथन के अनुसार, एआइ का प्रभाव अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकता है. हमारे देश में कृषि क्षेत्र में श्रमिकों का एक बड़ा हिस्सा होने के कारण एआइ का रोजगार पर जोखिम लगभग 30% कम है. विकसित देशों में इसके सकारात्मक प्रभाव ज्यादा दिखेगा, क्योंकि वहां बुनियादी व्यवस्था और दक्ष कर्मचारी हैं. भारत उभरते बाजारों के औसत के करीब है, इसलिए एआइ के सकारात्मक प्रभाव का असर कम और देर से दिखेगा. वर्ष 2019 में एआइ के प्रचलन के बाद से भारतीय रोजगार बाजार में कई परिवर्तन आये हैं. दिसंबर 2022 में चाटजीपीटी के अनावरण के बाद तो और तेज परिवर्तन हुए हैं. डाटा एंट्री, बीपीओ, केपीओ, कॉल सेंटर जैसे नियमित कार्यों के स्वचालित होने से इनमें रोजगार घटा है, पर डाटा साइंस, इंजीनियरिंग और मशीन लर्निंग के अवसरों में वृद्धि हुई है. कृषि, शिक्षा आदि पारंपरिक क्षेत्रों में भी एआइ विशेषज्ञों की मांग शुरू हो चुकी है. व्हीबॉक्स नेशनल एम्प्लॉयबिलिटी टेस्ट के शोध रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के अगस्त तक देश में एआइ पेशेवरों की कुल मांग के दो तिहाई से भी कम कुशल पेशेवर उपलब्ध थे. इस बाजार की मांग और आपूर्ति के बीच तालमेल बिठाने के लिए कौशल विकास, अपस्किलिंग और रीस्किलिंग महत्वपूर्ण होंगे. भारत में रोजगार की सुगमता के कारण अधिक लोग अनौपचारिक क्षेत्र चुन रहे हैं, पर ऑटोमोटिव, विनिर्माण और विभिन्न व्यापार क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कौशल विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है. साथ ही, भावनात्मक कौशल, टीम वर्क, नेतृत्व कौशल व मूल्यांकन कौशल विकसित करना भी जरूरी है. व्यापक भलाई के लिए एआइ का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश और नियमन आवश्यक हैं. हाल में जीपीएआइ शिखर सम्मलेन नयी दिल्ली में हुआ था. एआइ नियमन और प्रचालन की सबसे प्रमुख वैश्विक संस्था में मुख्य नेतृत्वकर्ता की भूमिका मिलना प्रौद्योगिकी, एआइ और वैश्विक समायोजन में भारत की बढ़ती कुशलता का परिचायक है. रोजगार बाजार पर एआइ का प्रभाव नकारात्मक भी है और सकारात्मक भी. नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं को नयी तकनीकों को अपनाने के साथ तेज कौशल विकास पर भी काम करना होगा. इस संबंध में सरकार और व्यवसाय जगत को साथ आना चाहिए, ताकि आवश्यक कौशल उपलब्ध हो सके.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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