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धनबाद के सरकारी स्कूलों की जमीन पर अतिक्रमण, शिक्षा विभाग मौन

सभी 296 विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है. सिर्फ 100 से अधिक ऐसे विद्यालय हैं, जिनकी कभी चहारदीवारी नहीं थी. बाकी विद्यालयों में चहारदीवारी थी, लेकिन किसी न किसी कारण टूट गयी. इसे दोबारा बनाने की जरूरत पड़ रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2023 8:49 AM

धनबाद, मनोज रवानी : धनबाद ले के 296 प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालयों में बाउंड्री नहीं है. इस वजह से विद्यालय की अधिकांश जमीन पर अतिक्रमण है. कहीं दुकान खुल गयी है, तो कहीं लोगों ने रास्ता बना लिया है. कहीं बांस गाड़कर अतिक्रमण किया जा रहा है. इधर, जब डीएमएफटी फंड से स्कूलों की चहारदीवारी का काम शुरू हुआ, तो नयी समस्या उत्पन्न होने लगी. स्कूल प्रबंधन को कितनी जमीन पर चहारदीवारी करानी है, इस बारे में पता ही नहीं है. ना ही यह पता है कि स्कूल की चौहद्दी कितनी है. ऐसे में सीओ कार्यालय से बिना जांच व मापी की प्रक्रिया कराये ठेकेदार स्कूल प्रबंधन की सहमति से किसी भी जगह से चहारदीवारी देना शुरू कर दे रहे हैं.

अपनी जमीन को लेकर क्यों अगंभीर हैं ‘जिम्मेदार’

ऐसा नहीं है कि सभी 296 विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है. सिर्फ 100 से अधिक ऐसे विद्यालय हैं, जिनकी कभी चहारदीवारी नहीं थी. बाकी विद्यालयों में चहारदीवारी थी, लेकिन किसी न किसी कारण टूट गयी. इसे पुन: बनाने की जरूरत पड़ रही है. ऐसे स्कूलों की जमीन कितनी है और कहां चहारदीवारी होनी चाहिए, कोई बताने वाला नहीं है. इसका नुकसान यह है कि स्कूल अपनी जमीन खो रहे हैं. चहारदीवारी करने के लिए टीम पहुंच रही है तो कुछ लोग खड़े होकर कह दे रहे हैं कि यहां से 20 फीट का रास्ता है. विवाद से बचने के लिए जमीन छोड़ दी जा रही है.

जमीन के अनुमान के आधार पर तैयार किया प्राक्कलन

स्कूलों के पास मौजूद जमीन के अनुमान के आधार पर प्राक्कलन तैयार किया गया है. इस वजह से प्राक्कलन में भी गड़बड़ी है. कई जगह ठेकेदार को 24 लाख रुपये मिले हैं. जब ठेकेदार चहारदीवारी करने गया, तो वहां सिर्फ 12 लाख का काम मिला. केलियासोल के उर्दू मध्य विद्यालय में चहारदीवारी करने गये ठेकेदार से एक व्यक्ति ने दावा किया कि यह जमीन उसकी है. वह लगातार जमीन की रसीद कटा रहा है. वहीं शिक्षा विभाग अपनी जमीन से संबंधित पेपर प्रस्तुत नहीं कर पाया. इसलिए यहां चहारदीवारी का काम रुका हुआ है.

स्कूल के आगे-पीछे बन गये खटाल

राजकीय कन्या मध्य विद्यालय मनईटांड़ के स्कूल भवन की दोनों तरफ जमीन का अतिक्रमण कर खटाल खोल लिया गया है. इस वजह से स्कूल की कक्षाओं की खिड़की खोलना भी मुश्किल हो गया है. वहीं परिसर में पशुओं का कब्जा होने के कारण बच्चे नहीं खेल पाते हैं.

हीरापुर मध्य विद्यालय की जमीन पर बिक रही लकड़ी

मध्य विद्यालय हीरापुर की जमीन पर भी अतिक्रमण है. स्कूल के आगे झोपड़ीनुमा दुकान में शव जलाने वाली लकड़ी बेची जा रही है. बगल में चाय समेत कई अन्य दुकानें खुल गयी हैं. जब यहां चहारदीवारी का काम शुरू हुआ तो स्थानीय लोगों ने 20 फीट रास्ता बता दिया. इसी रास्ते से झामुमो के एक नेता के घर का भी रास्ता है. ऐसे में 20 फीट रास्ता छोड़कर बाउंड्रीवाल का काम शुरू हुआ. अब आगे जमीन को अतिक्रमण मुक्त कौन करायेगा, इस पर मंथन चल रहा है.

मध्य विद्यालय गोसाइडीह की जमीन पर कब्जा

उत्क्रमित उच्च विद्यालय गोसाईंडीह गोविंदपुर की जमीन पर भी अतिक्रमण कर लिया गया हैै. बांस-बल्ली से जमीन घेर दी गयी है. इसकी शिकायत प्रधानाध्यापक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से की है. विद्यालय में चहारदीवारी नहीं है. अगर चहारदीवारी के समय विरोध हुआ तो यहां की जमीन भी शिक्षा विभाग को छोड़नी पड़ सकती है.

क्लोज कैंपस के तहत डीएमएफटी फंड से स्कूलों की चहारदीवारी की जा रही है. जमीन पर अतिक्रमण की जानकारी मिलने पर देखा जायेगा. सीओ से समन्वय स्थापित कर जमीनों की मापी करायी जायेगी, ताकि स्कूल की पूरी जमीन पर चहारदीवारी हो सके.

-भूतनाथ रजवार, जिला शिक्षा पदाधिकारी

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