Jharkhand News (धनबाद) : सितंबर-अक्तूबर में धनबाद नगर निगम के संभावित चुनाव में इस बार वार्डों का परिदृश्य बदल सकता है. इस बार वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी का उसी वार्ड का मतदाता होना जरूरी नहीं है. इसलिए कई निवर्तमान पार्षद जिनका वार्ड आरक्षित हो जा रहा है. दूसरे वार्ड से भी किस्मत आजमा सकते हैं. इसके लिए आसपास वाले वार्डों की संभावनाओं पर भी नजर रख रहे हैं.
धनबाद नगर निगम का पहला चुनाव वर्ष 2010 में हुआ था. उस समय वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए वहां का प्रत्याशी होना आवश्यक था. इसके कारण कई दावेदार चाह कर भी चुनाव नहीं लड़ पाये थे. कुछ नेता वार्ड आरक्षित होने के कारण भी चुनाव मैदान में नहीं उतर सके थे. यही व्यवस्था वर्ष 2015 में हुए निगम चुनाव में भी लागू रही. लेकिन, वर्ष 2018 में रांची सहित राज्य के कई स्थानों पर हुए निकाय चुनाव के दौरान यह व्यवस्था बदल दी गयी. राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव लड़ने के लिए वार्ड की बाध्यता समाप्त कर दी. केवल नगर निगम क्षेत्र का मतदाता होने पर मेयर, डिप्टी मेयर या वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ सकते हैं.
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धनबाद नगर निगम चुनाव के लिए वार्ड परिसीमन तथा मतदाता सूची तैयार हो चुकी है. आरक्षण रोस्टर भी वर्ष 2020 में एक बार प्रकाशित हो चुका है. हालांकि, इसके खिलाफ कई निवर्तमान वार्ड पार्षदों की तरफ से झारखंड हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गयी है. इस वर्ष शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया के बाद कई निवर्तमान पार्षदों ने राज्य निर्वाचन आयोग से भी आरक्षण रोस्टर पर पुनर्विचार की अपील की है. इस पर नया आदेश अभी तक नहीं आया है. ऊहापोह के बीच कुछ निवर्तमान पार्षद वर्तमान के अलावा अगल-बगल के वार्ड से भी चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
Posted By : Samir Ranjan.