इंजीनियर्स डे 2020 : इंजीनियरिंग का शानदार नमूना है झारखंड का नया विधानसभा भवन, जानिये इंजीनियरिंग के कुछ और कमाल

झारखंड का नया विधानसभा भवन इंजीनियरिंग का शानदार नमूना है. करीब 365 करोड़ रुपये खर्च कर बनाया गया भवन 57,220 वर्गमीटर क्षेत्र में फैला है. भविष्य को ध्यान में रख कर तैयार किया किया गया विधानसभा भवन आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 15, 2020 9:46 AM

झारखंड का नया विधानसभा भवन इंजीनियरिंग का शानदार नमूना है. करीब 365 करोड़ रुपये खर्च कर बनाया गया भवन 57,220 वर्गमीटर क्षेत्र में फैला है. भविष्य को ध्यान में रख कर तैयार किया किया गया विधानसभा भवन आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त है. विशालकाय गुंबद विधानसभा की सुंदरता में चार चांद लगा देता है. गुंबद के अंदरूनी हिस्से पर शानदार कलाकारी है. विधानसभा में 150 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है. इसके अलावा 400 लोंगों की क्षमता वाला एक कांफ्रेंस हाॅल भी है.

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भवन को तीन हिस्से सेंट्रल, ईस्ट और वेस्ट विंग में बांटा गया है. सेंट्रल विंग में विधानसभा सदन है. वहीं, ईस्ट और वेस्ट विंग पर विधानसभा के पदाधिकारियों-कर्मचारियों के लिए कार्यालय हैं. जी प्लस थ्री भवन के चारों तल्ले का डिजाइन एक जैसा ही है. सदन में आसन और रिर्पोटियर डेस्क है. उसके सामने सात लाइन में गोलाकार रूप से विधायकों का सीटिंग अरेंजमेंट है. सेंट्रल विंग में स्पीकर चेंबर, सीएम चेंबर, डिप्टी स्पीकर चेंबर, चीफ सेक्रेटरी ऑफिस, असेंबली सेक्रेटरी चेंबर, एमएलए लॉबी, प्रेस गैलरी, मीडिया लॉबी, ऑफिसर गैलरी, वीआइपी विजिटर्स गैलरी, विजिटर्स गैलरी, मीडिया गैलरी, लाइब्रेरी और कैंटीन है.

वहीं, सदन के दाहिनी ओर ईस्ट विंग है. इसमें मंत्री कार्यालय, सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेटरी व एडिशनल सेक्रेटरी के चेंबर हैं. सदन के बायीं ओर में वेस्ट विंग है. इस विंग में विपक्ष के नेता का चेंबर, स्वीकृत राजनीति दल के प्रतिनिधियों का चेंबर और विधानसभा की विभिन्न कमेटियों का कार्यालय है. सभी चेंबर से अटैच टॉयलेट, ओपन टेरिस और पेंट्री की व्यवस्था है. भवन के दूसरे तल्ले पर भी इसी तरह बैठने की व्यवस्था है. इसमें प्रेस- मीडिया के लिए गैलरी, विश्रामगृह और अधिकारियों और कर्मचारियों का कार्यालय है. तीसरे तल्ले पर स्टोर रूम, लाइब्रेरी, कंप्यूटर सेक्शन, कांफ्रेंस हॉल है.

दामोदर नदी पर बन रहा पुल बेहतरीन इंजीनियरिंग का कमाल

रजरप्पा में दामोदर नदी पर अलग डिजाइन के पुल का निर्माण हो रहा है. पुल की खासियत यह है कि इसके सभी स्पेन कंक्रीट के हैं, लेकिन एक सेंट्रल स्पेन स्टील का बनाया गया है. आमतौर पर स्टील का स्पेन नहीं बनाया जाता है, लेकिन यहां पुल निर्माण में परेशानी आ रही थी. इसे देखते हुए बीच में स्टील का स्पेन डालना पड़ा. तब जाकर पुल का काम आगे बढ़ सका. इस जगह का चयन भी अपने आप में बेहतर है. इंजीनियरों की टीम ने सात से आठ बार इस इलाके का सर्वे किया. नदी के दूसरी ओर भी जाकर देखा.

पुल से होनेवाले लाभ की संभावनाओं की तलाश की. इसके बाद नौवीं बार में जगह को फाइनल किया गया. पथ निर्माण विभाग व सीडीओ के इंजीनियर ने मिल कर इसका डिजाइन तैयार किया. सीडीओ के इंजीनियर बताते हैं कि इस पुल के बन जाने से गिरिडीह की ओर जानेवाले वाहनों को काफी कम दूरी तय करनी पड़ेगी. पुल का काम अंतिम चरण में है.

बिना चिप्स-स्टोन के इस्तेमाल से बनी बीजूपाड़ा से बरहे तक सड़क

बीजूपाड़ा से बरहे तक की सड़क इंजीनियरिंग का बेहतर प्रयोग है. इस सड़क में चिप्स और स्टोन का इस्तेमाल नहीं हुआ है. सामान्य सड़कों की तुलना में 10 फीसदी ही मेटेरियल लगे हैं. सिर्फ मिट्टी, केमिकल और सीमेंट के इस्तेमाल से सड़क का निर्माण हुआ है. पांच किलोमीटर लंबी सड़क को बने डेढ़ साल से ज्यादा समय हो गये हैं. इंजीनियरों ने बताया कि इस नयी पद्धति से काम कराने के पहले काफी विमर्श हुआ.

बाद में इसका काम केएनपी सिंह कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया. इंजीनियरों का कहना है कि पर्यावरण के हिसाब से इस तरह की सड़कों का निर्माण काफी बेहतर है.इसे इंजीनियरिंग का सकारात्मक और बेहतर पहल माना जा सकता है. इससे पहाड़-पठार को नष्ट करके पत्थर नहीं तोड़ने की जरूरत होगी.

Post by : Pritish Sahay

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