Engineers’ Day 2023: विश्वविद्यालय से लेकर संग्रहालय तक,इस शहर में है सर एम विश्वेश्वरैया के नाम से ये संस्थान

Engineers’ Day 2023: आज 15 सितंबर के दिन हर साल सर एम विश्वेश्वरैया के जन्मदिन के रूप में राष्ट्रीय अभियंता दिवस मनाया जाता है. इंजीनियरिंग जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें याद करने के लिए बेंगलुरु में कुछ प्रतिष्ठित स्थल हैं.

By Shaurya Punj | September 15, 2023 6:44 AM
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Engineers’ Day 2023: आज 15 सितंबर, सर एम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन, राष्ट्रीय अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है. उन्हें पहले भारतीय सिविल इंजीनियर के रूप में जाना जाता है, का काम हर किसी के देखने और सीखने के लिए उपलब्ध है, वहीं उनका जश्न मनाने और इंजीनियरिंग जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें याद करने के लिए बेंगलुरु में कुछ प्रतिष्ठित स्थल हैं.

ऐसा ही एक प्रतिष्ठान है विश्वेश्वरैया औद्योगिक और तकनीकी संग्रहालय, जो शहर के मध्य में कब्बन पार्क के अंदर कस्तूरबा रोड पर है. संग्रहालय की लाइब्रेरी में संग्रहीत 1965-75 के बीच की 10 साल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न संगठनों और केंद्र और राज्य सरकारों की मदद से विश्वेश्वरैया औद्योगिक संग्रहालय सोसायटी नामक एक सोसायटी का गठन किया गया था.

इमारत में कुल मिलाकर चार मंजिलों पर 40,000 वर्ग फुट जगह है और एक कार्यशाला के लिए 2,500 वर्ग फुट का बेसमेंट है. संग्रहालय को एक राष्ट्रीय चरित्र देने के लिए, सोसायटी ने 1962 में एक औद्योगिक और तकनीकी संग्रहालय स्थापित करने के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) को इमारत की पेशकश की.

सर एम. विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

सर एम. विश्वेश्वरैया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (सर एमवीआईटी) कर्नाटक राज्य में एक प्रतिष्ठित संस्थान है, जिसकी स्थापना 1986 में श्री कृष्णदेवराय एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा की गई थी. यह संस्थान सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियरिंग, सूचना विज्ञान, जैव-प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग और सीएसई (ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी सहित आईओटी और साइबर सुरक्षा) में डिग्री कार्यक्रम में बी.ई डिग्री प्रदान करता है. इसके अलावा पांच मास्टर्स कार्यक्रम एम.टेक. कंप्यूटर इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग (सीआईएम), एम.टेक. इलेक्ट्रॉनिक्स में, एम.टेक. बायोटेक्नोलॉजी और बायोकेमिकल इंजीनियरिंग में, कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर प्रोग्राम, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर. की डिग्री भी इस इंस्टिट्यूट से कोर्स पूरा कर लिया जा सकता है.

संस्थान विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संबद्ध है और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित है और राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त है. सर एमवीआईटी को राष्ट्रीय मूल्यांकन प्रत्यायन परिषद द्वारा भी मान्यता प्राप्त है.

जानें सर एम विश्वेश्वरैया के बारे में

एक इंजीनियर के रूप में लगभग 30 वर्ष, प्रशासक के रूप में 20 वर्ष और सलाहकार और राजनेता के रूप में 20 वर्षों के अपने पूरे करियर के दौरान, सर विश्वेश्वरैया ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनके इंजीनियरिंग कार्य पूरे देश में फैले हुए हैं.

सिंचाई तकनीकों और बाढ़ आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञ, सर एमवी न केवल एक महान सिविल इंजीनियर थे, बल्कि 1912 से 1919 तक मैसूर के 19वें दीवान के रूप में भी कार्य किया. मैसूर के दीवान के रूप में सेवा करते हुए, 1915 में उन्हें किंग जॉर्ज पंचम द्वारा ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के कमांडर के रूप में ‘नाइट’ से सम्मानित किया गया था.

कई बांध व जल विद्युत परियोजना बनाई

Mokshagundam Visvesvaraya ने अपने जीवनकाल में राष्ट्र निर्माण के लिए कई बांधों, जलाशयों और जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया था. यही कारण है कि उनके जन्मदिन को हर साल इंजीनियर डे के रूप में मनाया जाता है.

उपलब्धि व सम्मान

  • सर वीएम ने 1903 में खडकवासला जलाशय में पुणे में स्थापित ‘ऑटोमैटिक बैरियर वाटर फ्लडगेट्स’ को डिजाइन किया था

  • उन्होंने 1917 में गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की जिसे यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है.

  • वह कर्नाटक में कृष्णा राजा सागर बांध परियोजना के मुख्य अभियंता थे.

  • वह उन समिति सदस्यों में से एक थे जिन्होंने 1934 में भारतीय अर्थव्यवस्था की योजना बनाई थी.

  • जनता की भलाई में योगदान करने के लिए उन्हें ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के नाइट कमांडर की उपाधि दी गई.

  • 1955 में,सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को भारत का सर्वोच्च सम्मान, भारत रत्न मिला.

  • वह बांधों में पानी के व्यर्थ प्रवाह को रोकने के लिए ब्लॉक सिस्टम के संस्थापक थे, जिसे पहली बार पुणे में खडकवासला जलाशय में स्थापित किया गया था.

1955 में भारत रत्न से सम्मानित

देश के विकास में अहम योगदान देने के लिए सर Mokshagundam Visvesvaraya को साल 1955 में एक अच्छे इंजीनियर के तौर पर सफलतापूर्वक कार्य करने के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. देश के सभी इंजीनियरों को सम्मान देने के लिए एमवी सर के जन्मदिन पर इंजीनियर दिवस मनाया जाता है. साल 2023 में इंजीनियर दिवस पर मोक्षगुंडम विश्वेश्या का 161वां जन्मदिवस समारोह मनाया जाएगा और देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

ब्रिटिश अधिकारियों से मनवाया काबलियत का लोहा

आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के उपायों को ढूंढने के लिए समिति बनाई. इसके लिए एमवी ने स्टील के दरवाजे बनाए जो बांध से पानी के बहाव को रोकने में मददगार थे. उस समय उनके इस सिस्‍टम की ब्रिटिश अधिकारियों ने भी काफी प्रशंसा की. आज इस प्रणाली का इस्‍तेमाल पूरे विश्‍व में किया जाता है. इसके अलावा सर एमवी ने मूसा व इसा नामक दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान तैयार किए. इसके बाद उन्‍हें मैसूर का मुख्‍य अभियंता बनाया गया था.

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