Lata Mangeshkar ने क्यों नहीं की थी शादी? इस शख्स से करती थीं प्यार, लेकिन नहीं बनी शादी की बात!
महान गायिका लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है. भले ही सुरों की मल्लिका आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी मधुर आवाज हमारे दिलों में बसी हुई है. उन्होंने 36 भारतीय भाषाओं में गाने गाए हैं. पर्सनल लाइफ की बात करें तो बहुत कम लोग जानते होंगे कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की. आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी.
सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर का आज 94वां जन्मदिनस है. 36 भारतीय भाषाओं में गाने रिकॉर्ड करने से लेकर 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने तक, वह रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय हैं.
लता मंगेशकर की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने कभी शादी नहीं की. इसके पीछे दो कारण बताए जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कम उम्र से ही,उन्होंने अपने भाई-बहनों की देखभाल की थी.
अपने भाई-बहनों की देखभाल करने से लेकर उन्हें उनके करियर में स्थापति करने में वो बहुत मशगूल हो गईं कि कभी उन्होंने शादी के बारे में सोचा ही नहीं.
रिपोर्ट्स में दूसरा कारण ये बताया जाता है कि लता मंगेशकर और डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे. लता और राज एक-दूसरे से उनके छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर के माध्यम से मिले थे.
रिपोर्ट्स की मानें तो राज सिंह और हृदयनाथ दोस्त थे. राज अक्सर हृदयनाथ के घर जाते थे, जहां उनकी दोस्ती लता जी से हुई. जिसके बाद दोनों की दोस्ती हुई और ये दोस्ती प्यार में बदल गई.
राज सिंह, लता मंगेशकर से शादी करना चाहते थे, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वह लता से शादी करना चाहते हैं. हालांकि राजपरिवार नहीं चाहता था कि राज किसी आम लड़की से शादी करें.
राज सिंह के परिवार वाले चाहते थे कि राज की पत्नी किसी शाही परिवार से हो. जिसके कारण राज अपने परिवार के आगे झुक गए और शादी की बात आगे नहीं बढ़ पाई.
रिपोर्ट्स की मानें तो जिसके बाद राज और लता ने जिंदगी भर शादी नहीं की. कहा जाता है कि जब 2009 में राज सिंह की मृत्यु हो गई, तो लता जी उनके अंतिम दर्शन के लिए गुप्त रूप से डूंगरपुर आईं थी. हालांकि कभी भी लता जी ने इस बारे में बात नहीं की.
प्रधानमंत्री मोदी ने लता मंगेशकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने लिखा कि, लता दीदी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं. भारतीय संगीत में उनका योगदान दशकों तक रहा है, जिसने एक चिरस्थायी प्रभाव पैदा किया है. उनकी भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने गहरी भावनाओं को जगाया है. उनका हमारी संस्कृति में हमेशा एक विशेष स्थान रहेगा.”