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आगरा में यमुना की स्वच्छता के लिए अरबों रुपए हुए खर्च, नाला बनकर रह गई नदी

आगराः यमुना एक्शन प्लान से लेकर सीवेज सिस्टम विकसित करने के नाम पर अरबों रुपए खर्च किए गए. लेकिन यमुना नदी नाला बन कर रह गई है. कैलाश घाट से ताजमहल तक 10 किलोमीटर यमुना में रोजाना करीब 10.5 करोड़ लीटर सीवरेज बह रहा है.

यूपीः आगरा में मौजूद यमुना नदी को स्वच्छ और साफ रखने के लिए सरकार की तरफ से अरबों रुपए खर्च किया जा रहा है. लेकिन यमुना नदी की स्थिति अभी भी बदहाल है. आगरा के तमाम बड़े नाले सीधे तौर पर यमुना नदी में गिर रहे हैं. जबकि एनजीटी द्वारा इन नालों पर टेपिंग के निर्देश दिए गए थे. अभी तक जिला प्रशासन द्वारा कुछ नालों को छोड़कर अत्यधिक नालों पर टेपिंग नहीं की गई है. ना ही इनके गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है. विश्व पर्यावरण दिवस पर जानते हैं कि यमुना की सफाई की दिशा में प्रशासन और सरकार द्वारा कितने काम किए गए.

यमुना एक्शन प्लान से लेकर सीवेज सिस्टम विकसित करने के नाम पर अरबों रुपए खर्च किए गए. लेकिन यमुना नदी नाला बन कर रह गई है. कैलाश घाट से ताजमहल तक 10 किलोमीटर यमुना में रोजाना करीब 10.5 करोड़ लीटर सीवरेज बह रहा है. आगरा में करीब 90 छोटे-बड़े नाले जिनमें से अभी तक सिर्फ 29 नालों को टैप्ड किया गया है. जबकि बाकी नाले सीधे तौर पर यमुना नदी में गिर रहे हैं.

वहीं अगर आगरा में सीवेज सिस्टम की बात की जाए तो कल 9 एसटीपी प्लांट है. जिनमें सात एसटीपी शहर में है. जिनकी क्षमता 180 एमएलडी है, तो जल निगम की रिपोर्ट के अनुसार शहर में सीवरेज का डिस्चार्ज 286 एमएलडी प्रतिदिन है. लेकिन शहर में 18 करोड़ लीटर सीवरेज ही शोधित हो पा रहा है. बाकी 10.6 करोड़ लीटर सीवरेज नाले के जरिए कैलाश घाट से ताजमहल तक यमुना में गिर रहा है.

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जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ने क्या कहा

जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर स्वतंत्र कुमार का कहना है कि शहर में सात एसटीपी से 180 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट हो रहा है. डिस्चार्ज 286 एमएलडी है करीब 106 एमएलडी का शोधन नहीं हो पा रहा. इसके लिए नए एसटीपी बनाए जा रहे हैं.

रिवर कनेक्ट कैंपेन  के संरक्षक ने क्या बताया

यमुना नदी को स्वच्छ बनाने के लिए शहर के तमाम समाजसेवी संगठन सालों से प्रयासरत हैं. आगरा में रिवर कनेक्ट कैंपेन के संरक्षक ब्रज खंडेलवाल का कहना है कि कई सालों से आगरा के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों जगाने के लिए हम लगातार अभियान चलाते आ रहे हैं. लेकिन अभी तक यमुना का स्वरूप गंदा ही है.

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