कोलकाता में मिला कोरोना का पहला मरीज, पश्चिम बंगाल में दहशत
दुनिया में खौफ का सबब बन चुका कोरोना वायरस कोलकाता भी पहुंच गया है. मंगलवार को कोलकाता में कोरोना वायरस से संक्रमित पहला मरीज मिला है. जांच में वह कोरोना पॉजीटिव पाया गया है.
कोलकाता : दुनिया में खौफ का सबब बन चुका कोरोना वायरस कोलकाता भी पहुंच गया है. मंगलवार को कोलकाता में कोरोना वायरस से संक्रमित पहला मरीज मिला है. जांच में वह कोरोना पॉजीटिव पाया गया है. उधर, राज्य सरकार ने कोविड-19 (कोरोना वायरस) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ‘द वेस्ट बंगाल एपिडेमिक डिजीज, रेगुलेशंस 2020 एक्ट ‘ (महामारी कानून) को लागू कर दिया है.
जानकारी के अनुसार, कोरोना संक्रमित मरीज राज्य के एक आला प्रशासनिक अधिकारी का बेटा है. वह कुछ दिनों पहले अपनी महिला मित्र से मिलने के लिये इंग्लैंड गया था. लंदन में उसने महिला मित्र की बर्थ डे पार्टी में शिरकत की. बताया जा रहा है कि उसकी महिला मित्र भी अब कोरोना की चपेट में है. कोरोना पीड़ित यह व्यक्ति सोमवार को कोलकाता लौटा था. वह शहर के टाॅलीगंज मुहल्ले का रहनेवाला है. कोलकाता लौटने के बाद उसे घर में आइसोलेशन में रखा गया था. लेकिन मंगलवार सुबह उसे आइडी हॉस्पिटल ले जाया गया. चिकित्सकों ने जांच के लिए उसके कफ के नमूने को मंगलवार को ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलरा एंड एंट्रिक डिजीजेज को भेजा था. जांच में उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव पायी गयी. स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी इसकी पुष्टि की गयी है.
पॉजीटिव रिपोर्ट आने के बाद कोरोना पीड़ित को अस्पताल के अन्य मरीजों से अलग स्पेशल आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. उसके माता-पिता व ड्राइवर को भी अस्पताल बुलाया गया. इन तीनों को भी अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है.
फिलहाल बेलियाघाटा आइडी में कुल 10 मरीजों को आइसोलेशन में रखा गया है. बताया जा रहा है कि कोरोना पॉजीटिव पाये गये युवक की मां राज्य सचिवालय नवान्न भवन में तैनात हैं.
अंग्रेजों के जमाने में लागू हुआ था महामारी कानून
यह कानून 123 साल पहले 1897 में बनाया गया था, जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था. तब बॉम्बे में ब्यूबॉनिक प्लेग नामक महामारी फैली थी, जिस पर काबू पाने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने यह कानून बनाया. महामारी वाली खतरनाक बीमारियों को फैलने से रोकने और इसकी बेहतर रोकथाम के लिए यह कानून बनाया गया था. इसके तहत तत्कालीन गवर्नर जनरल ने स्थानीय अधिकारियों को कुछ विशेष अधिकार दिये थे. यह कानून भारत के सबसे छोटे कानूनों में से एक है. इसमें सिर्फ चार सेक्शन बनाये गये हैं. पहले सेक्शन में कानून के शीर्षक और अन्य पहलुओं व शब्दावली को समझाया गया है. दूसरे सेक्शन में सभी विशेष अधिकारों का जिक्र किया गया है, जो महामारी के समय में केंद्र व राज्य सरकारों को मिल जाते हैं. तीसरा सेक्शन कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत मिलने वाले दंड/जुर्माने का जिक्र करता है. चौथा और आखिरी सेक्शन कानून के प्रावधानों का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों को कानूनी संरक्षण देता है.
यह कानून 123 साल पहले 1897 में बनाया गया था, जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था. तब बॉम्बे में ब्यूबॉनिक प्लेग नामक महामारी फैली थी, जिस पर काबू पाने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने यह कानून बनाया. महामारी वाली खतरनाक बीमारियों को फैलने से रोकने और इसकी बेहतर रोकथाम के लिए यह कानून बनाया गया था. इसके तहत तत्कालीन गवर्नर जनरल ने स्थानीय अधिकारियों को कुछ विशेष अधिकार दिये थे. यह कानून भारत के सबसे छोटे कानूनों में से एक है. इसमें सिर्फ चार सेक्शन बनाये गये हैं. पहले सेक्शन में कानून के शीर्षक और अन्य पहलुओं व शब्दावली को समझाया गया है. दूसरे सेक्शन में सभी विशेष अधिकारों का जिक्र किया गया है, जो महामारी के समय में केंद्र व राज्य सरकारों को मिल जाते हैं. तीसरा सेक्शन कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत मिलने वाले दंड/जुर्माने का जिक्र करता है. चौथा और आखिरी सेक्शन कानून के प्रावधानों का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों को कानूनी संरक्षण देता है.
क्या है महामारी कानून लागू करने की अधिसूचना में
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव विवेक कुमार ने महामारी कानून लागू करने से संबंधित अधिसूचना जारी की है. अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को अपने यहां इलनेस (आइएलआइ) कॉर्नर / फ्लू कॉर्नर बनाने होंगे, जहां कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों की जांच की जा सके. साथ ही सभी सरकारी व निजी अस्पतालों के साथ-साथ नर्सिंग होम, सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के मेडिकल ऑफिसर व पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर को उनके यहां आने वाले कोविड-19 संक्रमित मरीज की पूरी जानकारी राज्य सरकार को देनी होगी. अगर उनके यहां कोई मरीज खांसी, सर्दी व बुखार की शिकायत लेकर पहुंचता है और वह कोरोना वायरस संक्रमित देश से लौटा है, तो उनको संबंधित जिला सर्वेलेंस यूनिट को मरीज के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध करानी होगी. अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस संक्रमित देश से लौटा है तो उसे 14 दिनों तक होम क्वारेटाइन में रखना होगा और अगर किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखते हैं तो उसे प्रोटोकॉल के अनुसार अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर इलाज करना होगा. मरीज के बारे में विस्तृत जानकारी स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक व जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को देनी होगी.
डीएम को विशेष अधिकार
इस अधिसूचना के अनुसार, राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग और संबंधित जिलाधिकारी के पास कोविड-19 के लिए जरूरत पड़ने वाली सभी आवश्यक दवाओं व अन्य प्रयोज्य उपकरणों को प्रोक्योर करने का अधिकार होगा. इसके साथ ही राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोविड-19 के संक्रमित मरीजों के लक्षण के नमूनों की जांच करने का अधिकार सिर्फ पश्चिम बंगाल सरकार के पास होगा. सभी नमूनों का संग्रह केंद्र व राज्य सरकार के दिशानिर्देश पर किये जायेंगे.
हेल्पलाइन नंबर
अगर कोई भी पिछले 14 दिनों में कोरोना वायरस प्रभावित देश से लौटा है तो वह अपने स्वास्थ्य के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाये गये काल सेंटर पर बात कर सकता है. राज्य सरकार ने इसके लिए 24×7 काल सेंटर भी शुरू किया है, जिसका नंबर 1800 313 444 222 / 033 2341 2600 है.