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झारखंड: आजादी के 76 साल बाद भी नहीं बदली इस गांव की तस्वीर, राज्यपाल से लेकर सीएम ने दी बस आश्वासन की घुट्टी

तीन पहाड़ों और चार बरसाती नदियों के पार स्थित चुल्हापानी गांव की तस्वीर आज तक नहीं बदली. बरसात का चार माह गांव टापू बन जाता है. पहाड़ी नदियां उफान पर रहती हैं. गांव के लोग आज नदी के उद्गम स्थल का पानी पीते हैं. राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक यहां पहुंच चुके हैं, सब ने बस आश्वासन की घुट्टी ही दी.

लोहरदगा (कुडू), अमित : लोहरदगा जिले के कुडू प्रखंड के अति पिछड़ा सलगी पंचायत के चुल्हापानी गांव की तस्वीर आजादी के 76 साल बाद भी नहीं बदली है. ग्रामीणों को आज भी पंचायत तथा प्रखंड मुख्यालय आने-जाने के लिए जंगली पगडंडी का सहारा लेना पड़ता है. बरसात में बह गयी पगडंडी को ग्रामीणों ने श्रमदान से चलने लायक बनाया है. गांव के लोग आज भी दामोदर नदी के उद्गम स्थल चुल्हापानी का पानी पीते हैं. स्वास्थ्य सुविधा के लिए ग्रामीण लगभग 10 किलोमीटर दूर सलगी अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र पर आश्रित हैं. बरसात में यह गांव टापू बन जाता है. सड़क के अभाव में आवागमन का कोई समुचित साधन नहीं है. गांव में कोई बीमार पड़ जाये, तो ग्रामीण उसका इलाज जड़ी-बूटी से करते हैं. स्थिति खराब होने पर खटिया में लादकर सलगी या फिर लोहरदगा ले जाते हैं. एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो दूसरी तरफ चुल्हापानी के ग्रामीण मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं. विडंबना यह है कि गंगा दशहरा के मौके पर चुल्हापानी में भव्य कार्यक्रम होता है. इसमें राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास से लेकर तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू सहित कई मंत्री भी पहुंचे. सभी ने चुल्हापानी के विकास से लेकर पर्यटन स्थल बनाने का वादा किया, लेकिन घोषणा के पांच साल बाद भी चुल्हापानी स्थित दामोदर नद के उद्गम स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना तो दूर चुल्हापानी गांव के लोगों को मूलभूत सुविधा तक मयस्सर नहीं हो पायी.

उद्गम स्थल का पीते हैं पानी, सड़क के नाम पर पगडंडी

चुल्हापानी गांव में बिजली पहुंच चुकी है. एक विद्यालय है, जहां पहली से लेकर पांचवीं तक पढ़ाई होती है. आवागमन के नाम पर सलगी पंचायत से कटात तक पीसीसी सड़क है. कटात से लगभग चार किलोमीटर जंगली पगडंडी है. तीन पहाड़ों तथा चार बरसाती नदियों के पार स्थित चुल्हापानी गांव तक जाने के लिए साइकिल तथा मोटरसाइकिल सहारा है. बरसात का चार माह गांव टापू बन जाता है. पहाड़ी नदियां उफान पर रहती हैं. दो बार हादसा होते-होते बचा है. लिहाजा ग्रामीण बरसात में घरों में रहना मुनासिब समझते हैं. पेयजल के लिए गांव में पीएचइडी द्वारा एक कुआं तथा उसमें हैंडपंप लगाया गया था. जो कई साल से खराब है. यह बच्चों के खेलने का साधन बन गया है. मनरेगा से एक कुआं बना है. जिसका पानी पीने लायक नहीं है. दामोदर नद का उदगम स्थल नहीं होता, तो ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए कटात से पानी ढोना पड़ता. स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कोई साधन नहीं है. रोजगार के कोई साधन नहीं है. ग्रामीण जंगली उत्पाद, लकड़ी बेचकर गुजारा करते हैं.

घोषणा बनकर रह गई

गंगा दशहरा के मौके पर 2018 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास सलगी पहुंचे थे. उन्होंने सलगी पंचायत को पूरे झारखंड में मॉडल पंचायत तथा चुल्हापानी गांव को मॉडल गांव बनाने की घोषणा की थी. गांव तक पहुंच पथ वन विभाग द्वारा बनाने की बात कही गयी थी. इसके अलावा सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा हुई थी. 2019 में तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू गंगा दशहरा के मौके पर सलगी पहुंची थीं. उन्होंने चुल्हापानी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करते हुए ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने की बात कही थी. मूलभूत सुविधा बहाल करने की भी घोषणा की थी. इस घोषणा के पांच साल हो गये. लेकिन ना तो चुल्हापानी गांव पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ ना ही माडल गांव बन पाया. ग्रामीण खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

बोले ग्रामीण, गांव का नहीं हुआ विकास

ग्रामीण बिनोद गंझू, सुरजा गंझू, जगलाल गंझू, जेठू गंझू, सामलाल गंझू, मनोज गंझू, रधु गंझू, बसंत गंझू, एतवरिया गंझू समेत अन्य ने बताया कि 2004 से सरयू राय गंगा दशहरा के मौके पर चुल्हापानी गांव आ रहे हैं. बहेरा माडर से कटात तक 18 साल में पीसीसी सड़क बना है. मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल पहुंचे लेकिन गांव का विकास नहीं हो पाया. सभी ने आश्वासन की घुट्टी पिलायी. किस पर भरोसा करें.

प्रखंड व जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है : मुखिया

सलगी पंचायत की मुखिया सुमित्रा देवी ने बताया कि चुल्हापानी गांव का विकास होगा. गांव के विकास को लेकर प्रखंड व जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है.

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