गोपी कृष्ण कुंवर, लोहरदगा : मंडल कारा, लोहरदगा में जेल अदालत सह विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. इस अवसर पर डालसा सचिव राजेश कुमार ने कैदियों को संबोधित करते हुए कहा कि कैदियों के बीच लोहरदगा डालसा की दो प्राथमिकताएं हैं. पहला, जिन कैदियों को केस लड़ने के लिए अपने वकील नहीं है, उसे सरकारी खर्च पर डालसा पैनल से वकील मुहैया कराएगा. दूसरा, जिन कैदियों का जमानत हो गया, लेकिन जमानत के शर्तों के कारण वो जेल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं उन्हें संबंधित कोर्ट से जमानत के शर्तों में बदलाव करा कर कैदियों को जेल से बाहर निकलवाने में मदद करेगा.
कोर्ट बेल ऑर्डर की एक प्रति अविलंब जेल को भेजे
इस मौके पर जेल प्रबंधन को बताया गया कि जिन कैदियों का जमानत हो चुका है, लेकिन जमानत के कठिन शर्तों के कारण वह जमानत पर बाहर नहीं आ सका वैसे कैदियों की पहचान कर अविलंब डालसा कार्यालय को सूचित करें. क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जनवरी, 2023 को एक आदेश पारित करते हुए यह कहा है कि जिन कैदियों का जमानत हो जाता है, संबंधित कोर्ट बेल ऑर्डर की एक प्रति अविलंब जेल को मेल से भेजेगी. अगर सात दिनों के भीतर बंदी जेल से बाहर नहीं आ पाता, तो इसकी सूचना जेल अधीक्षक डालसा सचिव को देंगे.
कोर्ट को जमानत के शर्तों में बदलाव के लिए दे सकते हैं आवेदन
डालसा सचिव ऐसे कैदियों की आर्थिक/सामाजिक पृष्ठभूमि प्रोबेशन ऑफिसर से प्राप्त कर संबंधित कोर्ट को जमानत के शर्तों में बदलाव के लिए आवेदन दे सकती है. न्यायालय अभियुक्त को टेंपरोरी बेल पर भी छोड़ सकती है, ताकि वह अपने प्रतिभुओं की व्यवस्था कर सके. अगर एक माह तक कैदी जमानत मिलने के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाता, तो न्यायालय खुद ही जमानत की शर्तों पर पूर्ण विचार कर सकती है. अगर स्थानीय जमानतदार नहीं मिलने के कारण अभियुक्त जेल से बाहर नहीं निकल पाता, तो ऐसी स्थिति में न्यायालय लोकल बेलर के शर्तों में परिवर्तन कर सकती है.
डालसा कार्यालय को सौंपे साप्ताहिक रिपोर्ट
डालसा सचिव ने संबंधित जेल अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिया कि किसी भी परिस्थिति में उपरोक्त निर्देश का पालन करते हुए साप्ताहिक रिपोर्ट डालसा कार्यालय को सौंपे. इस अवसर पर कारा में बंद विभिन्न कैदियों ने अपनी समस्याओं को रखा जिसका निराकरण संबंधित न्यायालय से मिलकर किया जायेगा. इस मौके पर न्यायिक अधिकारी एवं जेल के बंदी मौजूद थे.