अलीगढ़ . जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद कमांडो सचिन लौर का पार्थिव शरीर देर शाम उनके गांव नागलिया गौरौला पहुंचा है . शहीद का पार्थिव शरीर सेना की टीम लेकर पहुंची है. सेना के वाहन के साथ हजारों की संख्या में लोग तिरंगा लेकर अंतिम यात्रा में शामिल हुए. वही तिरंगे में लिप्त पार्थिव शरीर को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. गांव में ही शहीद सचिन के शव को सैनिक सम्मान के साथ सलामी दी जाएगी. इस मौके पर सांसद सतीश गौतम, राज्य मंत्री अनूप बाल्मीकि और अन्य नेता मौजूद थे. वहीं प्रशासनिक अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद रहे. शहीद के शव को गांव में ही राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. टप्पल इंटरचेंज पर शहीद का शव पहुंचते ही तिरंगा के साथ जब तक सूरज चांद रहेगा सचिन तेरा नाम रहेगा के नारे गूंजने लगे. शहीद के शव के साथ सेना की टीम भी गाड़ी में मौजूद थी. लोग तिरंगा लेकर शव वाहन के पीछे नारे लगाते चल रहे थे.
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शहीद का शव घर पर पहुंचते ही चीख पुकार मच गई . अपने लाल के दर्शन करने को लोगों की आंखों में आंसू भर आये. मां – पिता , भाई – बहन का कलेजा फट गया.सेना के लोग परिवार को संभाल रहे थे. 24 साल के पुत्र की शहादत पर हर आंख नम थी. शहीद के अंतिम दर्शन को लोग उमड़ पड़े थे. सचिन को जिस सेना के वाहन में रख कर लाया गया. उसमें दो लाइन लिखी थी. जो एक शहीद पर सटीक बैठती है. जिसमें सचिन लौर के बारे में कहा गया. मैं जला हुआ राख नहीं, अमरदीप हूं. जो मिट गया वतन पर, मैं वह शहीद हूं . इस दौरान सचिन लौर अमर रहे के नारे फ़िजा में गूंज रहे थे.शहीद का शव घर आने पर लोग विनम्र श्रद्धांजलि और कोटि-कोटि नमन अर्पित कर रहे थे.
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सचिन लौर जिस घर आंगन में पले-बड़े, माँ – पिता की गोद में खेला.महज 24 साल की उम्र में ही परिवार की आंखों में आँसू छोड़ गया.माँ – पिता ने बेटे की शादी के अरमान देखे थे, 16 दिन बाद ही शादी का सेहरा बंधना था. घर में खुशियां और उत्सव का माहौल था. लेकिन आतंकियों के नापाक इरादों को नाकाम कर सचिन लौर गहरी नींद में सो गया.बूढ़े माँ – पिता की खुशियां छिन गई.
वहीं पिता रमेश चंद ने बताया कि उनका बेटा सचिन लोर कक्षा 6 से ही परिवार के लोगों से कहता था कि देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होऊंगा और सेना में भर्ती होकर कमांडो बनूगा. उसके बाद सेना में भर्ती होकर उग्रवादियों और आतंकवादियों को सबक सिखाउंगा. अपनी गोलियों से मार भगाऊंगा. पिता ने बताया कि ऊंची कद काठी के शरीर से तंदुरुस्त उसके बेटे सचिन लौर में अपनी जान को लेकर कोई खौफ और डर नाम की कोई चीज ही नहीं थी. कमांडो होने के बाद जब भी वह छुट्टी पर गांव आता था. यहां आकर भी रोजाना दौड़ लगाता था. 8 दिसंबर को उसकी शादी थी. शादी को लेकर परिवार के लोग तैयारी में जुटे हुए थे. दुल्हन बेटी के परिवार के लोगों द्वारा शादी में गाड़ी दिए जाने को लेकर उसके परिवार के लोगों द्वारा रविवार को गाड़ी भी मंगाकर घर खड़ी कर ली थी.
वहीं उसने बताया था कि वह कश्मीर जाएगा. इस पर उसके पिता ने उससे कहा कि शादी में दिन कितने बच रहे हैं और पंजाब जाकर तुझे दो-चार दिन का टाइम और लग जाएगा. इस पर उसने अपने पिता से कहा कि बचें हुए दो आतंकवादियों को शहीद करने के बाद ही घर वापस आऊंगा. वहीं, उन्होंने हलवाई से लेकर शादी के कार्ड बांटने को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली थी. मां – बाप अपने बेटे का सेहरा सजाने की तैयारी कर रहे थे. जहां 23 नवंबर की सुबह आतंकवादियों से लोहा लेते हुए उसके शहीद होने की खबर सेना के अधिकारियों द्वारा परिवार के लोगों को दी गई. बेटे के शहीद होने की सूचना मिलते ही परिवार में चीख पुकार मच गई. गांव में बेटे की मौत की खबर सुनकर मातम पसर गया. बेटे के शहीद होने की खबर के बाद परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल है. तो वहीं शादी के कार्ड घर के अंदर धरे के धरे रह गये.