एस एम एम औसजा ने क्यों ऐसा कहा- अमिताभ बच्चन के जन्मदिन की पूरी अनदेखी की गई है…
देश के सबसे बड़े स्टार अमिताभ बच्चन का 80 वां जन्मदिन है. वेंद्र सिंह डुंगरपुर और हम सभी मिलकर इसे भव्य तौर पर मनाना चाहते थे. सरकार और कई बिजनेसमैनों को हमने अप्रोच किया था, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया.
महानायक अमिताभ बच्चन का आज 80 वां जमदिन है.उनके सम्मान में हेरिटेज फाउंडेशन और पीवीआर ने मिलकर 17 शहरों में 8 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक चार दिवसीय फ़िल्म फेस्टिवल का आयोजन किया है. जिसे दर्शकों द्वारा भारी प्रतिसाद मिल रहा है. इसी फेस्टिवल का हिस्सा एक प्रर्दशनी भी है. जिसका नाम बैक टू बिगिनिंग है. जिससे फ़िल्म हिस्टोरियन और अर्चिविस्ट एस एम एम औसजा जुड़े हैं. महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्मों के पोस्टर्स और तस्वीरों का बेहतरीन कलेक्शन उनके पास है.उनसे हुई उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश…
सरकार ने की अनदेखी
देश के सबसे बड़े स्टार का 80 वां जन्मदिन है. वेंद्र सिंह डुंगरपुर और हम सभी मिलकर इसे भव्य तौर पर मनाना चाहते थे.सरकार और कई बिजनेसमैनों को हमने अप्रोच किया था,लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया. आज जन्मदिन खत्म हो रहा है अभी तक कोई जवाब नहीं आया.हिंदुस्तान में क्या सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम ही होंगे. राजनेताओं के जन्मदिन पर तो इतने कार्यक्रम होते हैं,लेकिन देश के इतने बड़े अभिनेता के जन्मदिन पर कोई भव्य कार्यक्रम नहीं हुआ. जहां उनका हम अभिनंदन कर सके. जिस वजह से हमें पीवीआर के साथ मिलकर चार दिवसीय फ़िल्म फेस्टिवल करना पड़ा .सभी के अपने पैसे लगे हैं. एक्सहिबिशन पीवीआर के छोटे से लाउंज में ही करना पड़ा.सभी को पता है कि वो कितनी छोटी जगह होती है. इसलिए 70 और 80 के दशक पर ही फोकस करना पड़ा. उनके जीवन के वे अहम पड़ाव थे. उसी दौरान वह सुपरस्टार बनें थे.
ऐसे एक्सहिबिशन में पहुंची शहंशाह की जैकेट
एक्सहिबिशन में अमिताभ बच्चन द्वारा पहनी शहंशाह की जैकेट सभी का ख़ासा ध्यान खींच रही है. जहां तक बात शहंशाह के जैकेट की बात है,तो एक कम्पनी है फ़्रेंटिको.उन्होंने निर्देशक टीनू आनंद से वो जैकेट और एनएफटी की थी. वो साढ़े 12 लाख की बिकी थी.जिसने लिया है .वो दुबई में रहता है. उसने एनएफटी तो ले ली लेकिन जैकेट बोला बाद में ले जाऊंगा. मैं फ़्रेंटिको कम्पनी में काम करता हूं. मुझे लगा कि वो ले जाए इससे पहले प्रदशर्नी में लगा दूँ ताकि हमारे यहां के लोग देख तो लें.
मेरे पास बिग से जुड़ा खजाना है
मेरे पास बिग बी से जुड़ा खज़ाना है. जो पूरे हिंदुस्तान में किसी के पास नहीं है.अगर अमित जी को भी अपनी किसी फिल्म के पोस्टर और पिक्चर चाहिए होती है तो वो मुझे ही कांटेक्ट करते हैं. मैं बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बोल रहा हूं.यह मेरे तीस सालों की मेहनत है. मेरे पास मंज़िल फ़िल्म का पोस्टर है.जो पूरी दुनिया में किसी के पास नहीं है.एक उनकी फिल्म थी दो और दो पांच.उसका ओरिजिनल पोस्टर मिलता नहीं है, क्योंकि यह फ़िल्म ज़्यादा चली नहीं थी, बाद में डिस्ट्रीब्यूटर ने इस फ़िल्म को दो इक्के के नाम से रि रिलीज की. कहीं भी आप जाइए आपको दो इक्के के नाम से पोस्टर मिलेंगे,लेकिन ओरिजिनल पोस्टर नहीं मिलता है.उसको ढूंढने के लिए मैं कई सालों से मशक्कत कर रहा था. एक आदमी के पास मिले.उसके पास इस फ़िल्म के पोस्टर के साथ-साथ 200 और फिल्मों के पोस्टर्स थे. उसने बोला आपको सभी लेने पड़ेंगे तो ही मैं आपको दो और दो पांच के पोस्टर दूंगा. जिस वजह मुझे सारे पोस्टर्स खरीदने पड़े.जो मेरे किसी काम के नहीं थे.
बिग बी ये दुर्लभ तस्वीरें भी हैं
पोस्टर्स ही नहीं मेरे पास हज़ारों ऐसे फोटोज हैं ,जो एक्सक्लूसिव है. बहुत से ऐसी तस्वीरें हैं,जो सिर्फ मेरे पास हैं. जैसे कि मेरे पास एक फ़ोटो है.जिसमें अमित जी के माता-पिता उनके साथ उनकी पहली फ़िल्म सात हिंदुस्तानी का प्रीमियर दिल्ली में देख रहे हैं. उनके साथ ख्वाजा अहमद अब्बास भी है. इस तरह की फोटोज मेरे पास है.जो किसी ने देखी ही नहीं है. मेरे पास एक तस्वीर है ,जिसमे अमिताभ बच्चन,उनके भाई अजिताभ बच्चन पिता हरिवंश राय बच्चन के साथ पंडित नेहरू हैं. मेरे पास एक थर्मस फ्लाश है ,पहले थर्मस फ्लास पर फिल्मों के पोस्टर्स आते थे तो अमिताभ के पुकार फ़िल्म वाला थर्मस फ्लास में पोस्टर मेरे पास है. ढाई इंच के छोटे-छोटे पोस्टर्स और फोटोज आते थे. वो मेरे पास अमित जी से जुड़े तकरीबन सौ होंगे.
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बिग बी पर आठ किलो की किताब
बचपन में जब फ़िल्म सुहाग देखी तो मुझे इस आदमी (बिग बी) से इतना लगाव हुआ कि फिर वह मेरी ज़िंदगी से जुड़े रहे गए.मैं जबसे उनसे मिला हूं.उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया.उन्होंने ही मेरी दोनों किताबों की प्रस्तावना लिखी थी.अब मेरी तीसरी किताब आ रही है बच्चन परिवार पर.यह उनके पूरे परिवार पर आधारित होगी.यह किताब आठ किलो की है. अमित जी के जन्मदिन पर ही इस किताब का विमोचन करना चाहता था लेकिन उसकी डिजाइनिंग में देर हो गयी. डिजाइनिंग में मैं किसी तरह का कोई समझौता नहीं करना चाहता था.दिसंबर में वो किताब रिलीज होगी. उस किताब में अमित जी से जुड़ी कई नयी जानकारियां लोगों को मिलेंगी.उस किताब का आधार अमित जी का इंटरव्यू नहीं बल्कि रिसर्च होगा.उदाहरण के लिए जब उनकी फिल्म सात हिंदुस्तानी रिलीज हुई थी उस वक़्त क्रिटिवस ने क्या लिखा था उनके बारे में.उन अखबारों की कटिंग है.यह किताब दस सालों में पूरी हुई. इतनी बड़ी किताब इस देश में किसी अभिनेता के लिए अब तक नहीं निकली है