अनन्या पांडे ने इस किरदार को बताया सबसे मुश्किल, सिद्धांत संग अपनी बॉन्डिंग को लेकर किया ये खुलासा
अभिनेत्री अनन्या पांडे की अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज हो रही फिल्म गहराइयां अगली रिलीज होगी. शकुन बत्रा निर्देशित इस फ़िल्म को वह अपने अब तक के कैरियर की सबसे मुश्किल फ़िल्म बताती हैं .
अभिनेत्री अनन्या पांडे की अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज हो रही फिल्म गहराइयां अगली रिलीज होगी. शकुन बत्रा निर्देशित इस फ़िल्म को वह अपने अब तक के कैरियर की सबसे मुश्किल फ़िल्म बताती हैं .उनकी इस फ़िल्म, दीपिका के साथ बॉन्डिंग और उनकी निजी जिंदगी के रिश्तों पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
टिया का किरदार आपके अब तक के कैरियर का सबसे मुश्किल किरदार रहा है कैसे
यह मेंटली और इमोशनली दोनों तौर पर बहुत ही मुश्किल किरदार था. किरदार को करने से पहले मैं सोच रही थी कि मैं इसे कैसे करूंगी. हमने बहुत सारी वर्कशॉप की. सभी पूछ रहे थे कि मैं इस किरदार को कैसे करूंगी. टिया का किरदार बहुत हद तक मुझ जैसा है.जब आपको ऑन स्क्रीन अपना ही किरदार निभाना हो तो आसान नहीं होता है.
आपने हमेशा कहा है कि निर्देशक शकुन बत्रा आपकी विश लिस्ट में थे इसकी कोई खास वजह
मुझे उनकी दोनों ही फिल्में बहुत पसंद है.कपूर एंड संस और एक मैं और एक तू.दोनों ही फिल्मों की एंडिंग हैप्पी नहीं होती है. हमारी ज़िंदगी भी वैसी ही होती है. कपूर एंड संस में पारिवारिक समस्याएं थी.जिनका आखिर तक कोई समाधान नहीं निकलता है.एक मैं और एक तू का अंत ऐसा होता है.जहां दोनों दोस्त बनकर ही आखिर में रह जाते हैं. दोनों ही फिल्मों से हम जुड़ाव महसूस करते हैं.दोनों फिल्में ग्लॉसी नहीं हकीकत के करीब थी. कपूर एंड संस में जो प्लम्बर वाला सीन है. वो मेरे घर में हमेशा होता है. शकुन बत्रा जिस तरह से डायलॉग लिखते हैं.वो भी बहुत रीयलिस्टिक होता है.वो मोनोलॉग टाइप के डायलॉग नहीं लिखते हैं बल्कि ऐसे संवाद लिखते हैं.जो आम बोलचाल की तरह होते हैं.
निर्देशक के तौर पर शकुन बत्रा ने आपके किरदार के लिए आपको कुछ टिप्स दिए
चीजों को बहुत सोचने की मेरी आदत है और मैं बहुत प्रेशर लेती हूं. उन्होंने मुझे समझाया कि स्क्रीन में रोने या परेशान होने के दृश्य को करते हुए आपको सचमुच परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. बस फ्लो में बहते हुए आपको एक्टिंग करनी होती है.
इस फ़िल्म के दौरान दीपिका पादुकोण के साथ को किस तरह से परिभाषित करेंगी
दीपिका मुझे छोटी बहन की तरह ट्रीट करती थी. सेट पर मुझे सहज रखने के लिए वह बहुत कोशिशें करती थी. मुझे सबसे अच्छी बात उनकी ये लगती है कि वो अपने हर किरदार और फ़िल्म में जो जुनून और एनर्जी डालती हैं. वह हमेशा सीखने को तत्पर रहती हैं. वर्कशॉप्स के लिए वह एक्स्ट्रा मेहनत करती हैं.जब वो आपके आसपास होती हैं तो फैमिली वाली वाइब्स रहती है. हम अपने परिवार को नहीं चुनते हैं.दीपिका भी वैसी हैं. वो हमेशा मेरे आसपास मेरे परिवार की तरह रहेंगी.
सिद्धांत चतुर्वेदी इस फ़िल्म में आपके कोस्टार हैं आप दोनों की बॉन्डिंग कैसी सेट पर थी खासकर नेपोटिज्म के मुद्दे पर आपके वायरल वीडियो के बाद?
सिद्धांत और मैं बहुत ही अच्छे दोस्त हैं. नेपोटिज्म के मुद्दे पर हमारी राय एक जैसी ही थी.हमदोनों अल्लु अर्जुन के बहुत बड़े वाले फैन हैं तो सेट पर हम उनसे जुड़ी कई जानकारियां एक दूसरे के साथ शेयर करते हैं. हम दोनों साथ में एक और फ़िल्म कर रहे हैं.
गहराइयां रिश्तों की कहानी कहता है,आपके लिए परफेक्ट रिश्ते की क्या परिभाषा है और परफेक्ट पार्टनर की
आपका सवाल बहुत ही भारी है लेकिन मैं इसका हल्का फुल्का जवाब देना चाहूंगी. मैं शाहरुख खान की फेमस लाइन कहना चाहूंगी प्यार दोस्ती है. मैंने अपने मम्मी पापा में यही प्यार दोस्ती है वाला रिश्ता देखा है.पिछले 24 सालों से मैंने देखा है कि
वे हर बात को एक दूसरे को बताते हैं.हर परेशानी को साथ में मिलकर हंसते हुए वे हल निकालते हैं. परफेक्ट पार्टनर की बात करूं तो मेरे पापा मुझे हर दिन बहुत हंसाते हैं तो मेरे पार्टनर को अगर मेरे साथ रहना है तो उसे उनसे ज़्यादा मुझे खुश रखना होगा.सेंस ऑफ ह्यूमर का अच्छा होना मेरे पार्टनर की सबसे बड़ी जरूरत होगी.
रिश्ते में धोखे से आप किस तरह से डील करती हैं
मैंने हर धोखे से मजबूत बनने की सीख ली है. मैंने यह सीखा है कि जब रिश्तों में कुछ खराब हो जाता है तो परेशान मत होइए क्योंकि उससे कुछ ठीक नहीं होगा लेकिन मैं ये भी बताना चाहूंगी कि उस वक़्त मैं अपने इमोशन को दबाती नहीं हूं बल्कि उसे बाहर निकालती हूं.दुखी हूं.रोने का मन है तो रो लेती हूं .उस वक़्त मैं अपने सारे इमोशन्स जाहिर देती हूं और बाद में उस रिश्ते और धोखे को लेकर कोई पछतावा नहीं रखती हूं .
आपका सबसे ज़्यादा गहरा रिश्ता किसके साथ है
मैं बहुत ही खुशकिस्मत हूं कि मुझे ऐसे मम्मी पापा मिले हैं. मैं सबसे ज़्यादा अपनी मम्मी के करीब हूं. उसके बाद अपनी बहन रायसा के साथ. मैं अपने फ्रेंड्स के भी बहुत करीब हूं.सुहाना खान,शनाया कपूर के साथ स्कूल के कुछ और दोस्त भी हैं. मेरा जो भी रिश्ता होता है.वह गहरा होता है.
आपकी ज़िंदगी में क्रिटिक कौन है
मेरी ज़िंदगी में मैं सबसे बड़ी क्रिटिक हूं. मेरे माता पिता भी मेरे क्रिटिक हैं लेकिन कई बार वो मेरी ज़िंदगी के चीयरलीडर्स भी बन जाते हैं. मेरी छोटी बहन फ़िल्ममेकर बनने वाली है.वह मेरे काम को लेकर बहुत क्रिटिकल है. शुक्र है कि उसे गहराइयां फ़िल्म का ट्रेलर पसंद आया है.
इंडस्ट्री में अब तक की जर्नी कैसी रही है
कहने को तो चार साल हो गए हैं लेकिन दो साल तो कोरोना में ही चले गए इसलिए मैं दो साल का अनुभव ही इसे कहूंगी.मैं इन दो सालों के हर पल को खास कहूंगी.अभी और लंबा सफर तय करना है.
डेढ़ साल पेंडेमिक का वक़्त आपने किस तरह बिताया
फ़िल्म गहराइयां की स्क्रिप्ट पेंडेमिक से पहले आयी थी.फरवरी और मार्च से हम शूटिंग शुरू करने वाले थे.इसी बीच लॉकडाउन हो गया.इसने हमें कैरेक्टर पर काम करने का और मौका दिया. निर्देशक शकुन बत्रा और लेखक आएशा के साथ बहुत सारी बातचीत हुई. मेरे किरदार टिया पर बहुत काम हुआ. इसके अलावा पेंडेमिक में मैंने बहुत सारी फिल्में देखी. मेरे बिजी शेड्यूल की वजह से मैंने कई आइकॉनिक फिल्में मिस की. इसके अलावा मैंने बहुत सारी किताबें भी पढ़ी.मैं ये जवानी है दीवानी की नैना तलवार की तरह रही हूं.जिसे सिर्फ अपने सिलेब्स की किताबें पढ़ते रहने की आदत थी.पेंडेमिक की वजह से मैंने बहुत सारी किताबें पढ़ी.