Exclusive:आयुष्मान खुराना बोले-अपने देश में नहीं विदेश में भेदभाव के दर्द को झेला है, पढ़ें पूरा इंटरव्यू

आयुष्मान खुराना अपनी अगली फिल्म अनेक से नार्थ ईस्ट के लोगों के साथ होने वाले भेदभाव के गंभीर मुद्दे पर सवाल उठाते दिखेंगे. उन्होंने अनुभव सिन्हा के साथ काम करने का अपना एक्सपीरियंस बताया.

By कोरी | May 24, 2022 12:25 PM
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अपनी फिल्मों में हमेशा अलहदा विषयों को चुनने वाले अभिनेता आयुष्मान खुराना अपनी अगली फिल्म अनेक से नार्थ ईस्ट के लोगों के साथ होने वाले भेदभाव के गंभीर मुद्दे पर सवाल उठाते दिखेंगे. आयुष्मान अपनी इस फिल्म को एक्शन नहीं, बल्कि पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म करार देते हुए कहते हैं कि यह फिल्म एक्टर के तौर पर मुझे एक अलग जॉनर से जोड़ती है. जो मेरी इमेज से विपरीत है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

अनुभव सिन्हा और आपने साथ में आर्टिकल १५ जैसी बेहतरीन फिल्म की हैं , अनेक में कैसे आपदोनों एक हुए ?

अनुभव सर और मैं काफी टॉपिक्स डिस्कस करते रहते हैं. यह एक ऐसा सब्जेक्ट था. जो हमें बहुत पसंद आया. ये हमने तब डिस्कस किया था जब हम आर्टिकल १५ का एन्ड क्रेडिट सांग डिस्कस कर रहे थे. नार्थ ईस्ट के लोगों के साथ अनुभव हम दोनों के ही कॉलेज के समय में हो चुके हैं. हमारा एक अलग ही कार्मिक कनेक्शन रहता है कोशिश होती है कि साल में कोई फिल्म साथ में की जाए.

यह फ़िल्म नार्थ ईस्ट के लोगों से हो रहे भेदभाव को दर्शाती हैं,निजी जिंदगी में आपने नार्थ ईस्ट के लोगों के दर्द को कितना महसूस किया है?

सबसे पहले जब मैं कॉलेज में था. कोई 19 साल का रहा होगा. मेरा एक बैंड मेंबर था. वो मणिपुरी था. मुझे मयांग के नाम से बुलाता था, उसका मतलब आउटसाइडर होता है. मैं बोलता था कि तुम मुझे ऐसा क्यों बोलते हो ,तो बोलता था कि तुम सभी हमें वही समझते हो तो हम भी तुम्हे वही बुलाएंगे. अनुभव सर के जो योगा टीचर हैं वो मेघालय से हैं. उनसे भी काफी कुछ सुनने को मिला है. एक चीज़ जो सबसे ज़्यादा सुनने को मिली है वो ये कि नार्थ ईस्ट नारी प्रधान है. पूरी दुनिया से अलग वहां, जितनी भी दूकानदार हैं वो महिलाएं हैं. मर्द बच्चों का ख्याल रखते हैं. ये मेरी मम्मी भी बताया करती थी. वो बर्मा से हैं. वो बताती थी कि नानी दुकान में बैठती थी. मैंने सुना ज़रूर लेकिन देखा नार्थ ईस्ट जाकर. मतलब साफ़ है कि नार्थ ईस्ट की सोसाइटी पूरे देश से ज़्यादा प्रोग्रेसिव है और हम उसे नज़रअंदाज़ कर रहे हैं,अगर हम उनको अपने साथ जोड़ेंगे तो हम भी उनके जैसे शायद बन जाए.

आपकी मां आधी बर्मीज है तो उन्हें क्या कभी किसी तरह का भेदभाव का सामना करना पड़ा था ?

उन्होंने कभी इस पर बात नहीं की. वह एक अच्छी फॅमिली से आती हैं. मुझे लगता है कि भेदभाव जहां गरीब होते हैं. वहां ज़्यादा होते हैं. या फिर स्टूडेंट लाइफ में होता हैं. वैसे वो हाफ पंजाबी हैं तो वह देखने से बर्मीज लगती भी नहीं है.

निजी ज़िन्दगी में कभी आपने भेदभाव को महसूस किया है?

यहां पर तो नहीं हुआ लेकिन हां विदेश में मैंने ये भेदभाव महसूस किया है. बहामास गया था. वहां मैंने गौर किया था कि जो अमेरिकन थे उन्हें हमसे पहले टेबल मिल जाती थी लेकिन हमें लाइन में ही रहना पड़ता था. वो लोग ऐसा बिहेव करते जैसे कुछ गलत कर ही नहीं रहे हैं. भेदभाव की यही बात है कि जिसके साथ भेदभाव हो रहा होता है. उसे ही पता होता है कि ये हो रहा है.

नार्थ ईस्ट से जुड़ी परेशानियों के साथ अनेक क्या पूरी तरह से न्याय कर पायी है ?

कई तरह से डील करती है. अनेक कई पहलुओं में खास है. इस फिल्म में जो एंड्रिया का किरदार है. वो चरित्र अभिनेत्री का नहीं बल्कि लीड अभिनेत्री का है. अक्सर हमारी फिल्मों में नार्थ ईस्ट के लोगों को एक छोटा सा किरदार दे देते हैं लेकिन इस फिल्म में ऐसा नहीं है. हमें लगता है कि उनकी कहानी है तो उन्ही को बतानी चाहिए. उन्होंने सबकुछ झेला है तो हमने सेंटर में उन्ही को रखा है. एंड्रिया इस फिल्म का लीड चेहरा है.

एंड्रिया न्यूकमर हैं लेकिन फिल्म में उनको आपके बराबर स्पेस मिली हैं क्या यह बातें आपको परेशान नहीं करती हैं ?

दम लगाकर हईशा में भूमि का रोल मुझसे ज़्यादा अच्छा था. बधाई हो में नीना गुप्ता का रोल अच्छा था. चंडीगढ़ करें आशिकी में वाणी कपूर का रोल मुझसे बेहतर था. शुभ मंगल ज़्यादा सावधान में जीतू का किरदार भी मुझसे ज़्यादा बढ़िया था. मैंने कभी नहीं कहा कि इसका रोल काटो. मेरा किरदार बड़ा होना चाहिए. कहानी क्या कहती है मेरे लिए वह महत्वपूर्ण है.

शूटिंग के दौरान क्या नार्थ ईस्ट में घूमना भी हुआ ?

बहुत घूमना हुआ. हमने असम में शूट किया. काज़ीरगंगा में भी शूट किया. हम हर रोज़ सफारी पर चले जाते थे. मैं अपनी किसी भी फिल्म की शूटिंग में एक हफ्ते पहले चला जाता हूं. वहां के लोगों से मिलता हूं. उनकी फैमिली के बारे में बात करता हूं. मुझे लगता है कि जब तक आप स्थानीय लोगों से बात नहीं करते हैं. आप किरदार को नहीं समझ सकते हैं. फिल्म में मेरी को आर्टिस्ट हैं एंड्रिया वो पुरे क्रू को लोकल खाने खासी को खिलाने के लिए भी ले गयी थी. वो भी मैंने बहुत एन्जॉय किया था.

पिछले कुछ समय से नार्थ ईस्ट के डांसर और कलाकार रियलिटी शोज के विनर बनें हैं क्या आपको लगता है कि उससे फर्क पड़ा है ?

बहुत फर्क पड़ा है. मुझे लगता है कि स्पोर्ट्स, सिनेमा , एंटरटेनमेंट से बहुत फर्क पड़ता है. यह जगह बहुत खास है ,क्योंकि यहां पर सिर्फ टैलेंट टिकता है. बाइचुंग भूटिया, मैरीकॉम , सुनील छेत्री हो या रियलिटी शो के जो प्रतियोगी हैं. वो पूरे भारत को खुद से जोड़ रहे हैं. इस फिल्म के अंदर बहुत बड़ा सवाल है कि उनको जुड़ने के लिए अपना टैलेंट और अपना जज्बा क्यों हमेशा दिखाना पड़ेगा. जो नहीं कर पा रहे उनका क्या.

फिल्म में हिंदी भाषा को लेकर एक संवाद है जो मौजूदा परिपेक्ष्य में एकदम फिट बैठता है जब साउथ के लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा मानने से इंकार कर रहे हैं ?

हमारे देश की सबसे बड़ी शक्ति और सबसे बड़ी कमज़ोरी दोनों ही विविधता है , इसलिए हम एक भाषा को सर्वोच्च नहीं बता सकते हैं. हर भाषा महत्वपूर्ण है. भाषा एक नहीं बल्कि दिल एक होना चाहिए. उन्होंने बचपन से हिंदी नहीं बोली है. आप उनको अचानक से उठकर नहीं बोल सकते हैं कि हिंदी सीख लो. कोई मुझे बोल दें तमिल भाषा सीखने तो मैं कैसे सीख पाऊंगा. मेरे आसपास कोई बोलता ही नहीं है. मैं सीखूंगा भी तो कैसे. यह बात प्रैक्टिकली तौर पर संभव ही नहीं है. हमने साउथ की फिल्मों को अपना लिया है मतलब हमने उनकी भाषा को भी अपना लिया है.

आप इंडस्ट्री में आउटसाइडर हैं इसके बावजूद कभी किसी तरह का भेदभाव का सामना नहीं किया है , खुद को लकी मानते हैं ?

हां मैंने नहीं सामना किया है लेकिन शायद यही वजह है कि मैंने ज़्यादातर नए डायरेक्टर्स के साथ काम किया है. मेरी पहली फिल्म के बाद मुझे बड़े प्रोडक्शन हाउस और डायरेक्टर्स के साथ काम करने का मौक़ा मिल सकता था. आप गौर करें तो मेरी ज़्यादातर फिल्में नवोदित निर्देशकों के साथ है. मेरी फिल्म्मों के निर्माता भी फिल्म फैमिली से नहीं है. हमने एक दूसरे को सपोर्ट किया है.

आप यशराज टैलेंट जैसे प्रतिष्ठित बैनर से जुड़े हैं , वो आपका कामकाज संभालती है ऐसे में कितनी मदद हो जाती है?

यशराज के अंदर एक सुरक्षा की भावना महसूस होती है. आप फील गुड़ करते हो लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि मैंने यशराज बैनर के साथ उतनी फिल्मे नहीं की है. मैंने दो तीन फिल्में ही की हैं. बेवकूफियां और दम लगाकर हईशा.

इस साल इंडस्ट्री में आपने दस साल पूरे हो गए हैं किस तरह से अपनी जर्नी को देखते हैं. इस साल बहुत सारे एक्टर्स के दस साल पूरे हुए हैं?

२०१२ बहुत खास साल था, क्योंकि मैं, अर्जुन, सिद्धार्थ , वरुण ,आलिया हम सभी ने एक ही साल में डेब्यू किया था. जो पहले कभी हुआ नहीं था. सभी की फिल्म चली थी. यह पहले कभी नहीं हुआ था. वह बैच मेरे लिए बहुत खास था. हम हर अवार्ड शो में जाते थे और एक दूसरे के लिए चीयर करते थे. यह पहली बार एक्टर्स के बीच में देखने को मिला था.

क्या आपको लगता है कि आप दूसरे युवा अभिनेताओं से करियर के लिहाज से आगे हैं ?

आगे पीछे क्या होता है. सभी की अपनी जर्नी होती है. मुझे लगता है कि सभी अच्छा कर रहे हैं. बस सभी का नज़रिया अलग अलग है.

इन दस सालों की क्या सीख रही है ?

कुछ भी परमानेंट नहीं है ना सफलता ना असफलता.

हर एक्टर जब इंडस्ट्री में कदम रखता है तो उसकी विशलिस्ट होती है कि वह करण जौहर और संजय लीला भंसाली के साथ काम करें. आपने उनके साथ काम ना करके भी इंडस्ट्री में अपना एक मुकाम बना लिया है इसलिए अपनी इस सफलता को आप कितना खास पाते हैं ?

मैं इनलोगों के साथ काम करना चाहता हूं फिर चाहे वह संजय लीला भंसाली हो, जोया अख्तर, रोहित शेट्टी या फिर नीरज घेवान. ये बहुत अलग अलग जॉनर के डायरेक्टर्स हैं. मैंने इनलोगों को कई बार मैसेज भी किया है. देखो कब मौक़ा मिलता है.

आप एक एक्शन फिल्म भी कर रहे हैं?

हां एक्शन हीरो. मेरी पहली हार्डकोर एक्शन कमर्शियल फिल्म. यह ऐसे हीरो की कहानी है. जिसकी इमेज एक्शन हीरो की है, लेकिन असल ज़िंदगी में जब लड़ाई में फंसता है तो वह लड़ नहीं पाता है. उसकी चार दिन की शूटिंग बची है. अनेक की रिलीज के बाद उसकी शूटिंग शुरू करूंगा.

क्या कभी आपने निजी ज़िन्दगी में एक्शन किया है ?

कॉलेज टाइम में तो नहीं , स्कूल टाइम में हुआ है. वो भी भाई की वजह से हुआ है. वो क्रिकेट टीम का कप्तान था तो उसकी लड़ाइयां होती रहती थी. मुझे भी शामिल होना पड़ता था. पिटाई की भी है और खायी भी है.

आप कई मुद्दों को अपनी फिल्मों के ज़रिये लाते रहे हैं लेकिन निजी ज़िन्दगी में आप अपने पोलिटिकल व्यूज को हमेशा रखने से बचते हैं?

दो चीज़ें हैं इंसान के तौर पर मैं किसी विवाद में पड़ना नहीं चाहता हूं लेकिन एक्टर के दौर पर मुझे विवादित मुद्दे लुभाते हैं. मैं ट्वीट के ज़रिये कुछ बोलता नहीं हूं. सोशल मीडिया में कुछ लिखता नहीं हूं. मुझे लगता है कि एक्टर के तौर पर आपका काम है एक्टिंग करना. लोग आपको सराहते हैं क्योंकि आप अच्छी एक्टिंग करते हैंं. अच्छे सब्जेक्ट्स चुनते हैं ना कि आपके पोलिटिकल व्यूज क्या हैं. हां अक्सर ये बात सामने आती है कि जब फिल्म चल रही होती हैं तो हम उसके बारे में बात करते हैं फिर उसके बाद नहीं. हमने विषय के साथ छह महीने बिताया है ,लेकिन फिर हम अगले विषय पर बढ़ते हैं तो फिर दुबारा जब आप उसके बारे में पढ़ते हैं तो और कुछ जानते हैं. अभी भी मुझे नार्थ ईस्ट के बारे में सबकुछ नहीं पता है. एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी के बारे में अभी भी बहुत कुछ मुझे पता चल रहा है. जाति प्रथा पर अभी भी बहुत कुछ मालूम पड़ता रहता है. इतने सारे मुद्दे हैं लेकिन आपका असल काम तो एक्टिंग करना है तो मैं एक्टिंग पर फोकस करता हूं.

साउथ बनाम जो हिंदी फिल्मों की जो बहस चल रही है उसपर आप क्या कहेंगे ?

साउथ की सिनेमा को अपनी मार्केट बहुत पता है. मुझे नहीं पता कि इसे क्या कहेंगे लेकिन हमारा जो उस तरह का सिनेमा है. वह उस समय में नहीं आ पाया था. हमारी फिल्में कभी ज़्यादा इंटेलिजेंट तो कभी ज़्यादा कमर्शियल होती हैं. अभी भूल भुलैया देखिये आयी दर्शक थिएटर पहुंच गए हैं. अभी नार्थ या साउथ की कोई डिबेट ही नहीं रही है. सिनेमा दर्शकों से कितना कनेक्ट कर रहा है. वो अहम है.

मौजूदा दौर में टिकट खिड़की का गणित काफी बदल गया है कंटेंट से ज़्यादा लार्जर देन लाइफ फिल्में अपील कर रही हैं ऐसे में क्या अनेक ज़्यादा से ज़्यादा दर्शकों से जुड़ पाएगी ?

हम अनेक को कमर्शियल एंगल से नहीं देख रहे हैं. हां दर्शकों से जुड़ाव ऐसे अलहदा विषय और मुद्दों से बनें , यह ज़रूरी है. टिकट खिड़की पर एलजीबीटीक्यू की फिल्में कमर्शियली सफल नहीं हुई है. सौ करोड़ का आंकड़ा आज तक किसी फिल्म ने छुआ नहीं है. शुभ मंगल ज़्यादा सावधान की ओपनिंग १० करोड़ की हुई थी, लेकिन वह फिल्म भी १०० करोड़ के आंकड़े को नहीं छू पायी थी. मैं पटना गया था वहां लोगों ने कहा कि दो लड़के आपस में किस कर रहे हैं. हम अपने परिवार के साथ ये फिल्म नहीं जा सकते हैं. कमर्शियल सक्सेस के लिए आपको वही दिखाना पड़ेगा. जो दर्शकों को पसंद है. उनकी मानसिकता में फिट होता है, लेकिन मेरी मानसिकता उनसे थोड़ी सी विपरीत है. मैं ऐसी फ़िल्में करता रहूंगा. हमारी फिल्म आर्टिक्ल १५ ने भी ६५ करोड़ ही कमाए थे, लेकिन उस फिल्म ने जबरदस्त तारीफें बटोरी थी.

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