अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फ़िल्म गहराइयां जल्द ही अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज होने वाली है.उलझे रिश्तों की कहानी वाली इस फ़िल्म को दीपिका अपनी अब तक की फिल्मों से बिल्कुल अलग करार देती हैं.इस फ़िल्म, निजी जिंदगी के रिश्ते सही कई मुद्दों पर दीपिका पादुकोण की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
आपने कई यादगार फिल्में और किरदार किए हैं गहराइयां को आपने हां क्यों कहा
मैं हमेशा से शकुन बत्रा के साथ फ़िल्म करना चाहती थी.उनकी फिल्म कपूर एंड संस मुझे बहुत पसंद आयी थी.वे बहुत रीयलिस्टिक फ़िल्म बनाते हैं.मैंने पीकू और तमाशा में रियल लाइफ बेस्ड किरदार निभाए हैं लेकिन इस फ़िल्म में एक अलग ही तरह का मेरा किरदार है.इससे पहले मैंने इस तरह का किरदार नहीं निभाया था.इस किरदार में बहुत लेयर्स तो हैं ही साथ में जटिल भी काफी है. मुझे रियलिस्टिक फ़िल्म और किरदार करना पसंद है.
जब इस तरह का मुश्किल किरदार आप करती हैं तो क्या आपको मानसिक तौर पर प्रभावित होती हैं
कुछ दिनों पहले मेरे पति रणवीर ने मुझे कहा कि तुमने नहीं बताया कि तुम इतना इंटेंस किरदार कर रही हो.रणवीर की इस बात से आप समझ सकती हैं कि मैं मानसिक तौर पर किरदारों से प्रभावित नहीं होती हूं. मैं आसानी से स्विच ऑन और ऑफ हो सकती हूं.मैं घर में अपने काम को नहीं ले जाती हूं.मैं अपने घर के कामों में मशरूफ रहती हूं.धोबी को कपड़े लेने के लिए बुलाती हूं.सब्जियां और फल फोन से आर्डर करती हूं और कुकिंग करती हूं.सेट पर मेरा दो ही प्रोसेस होता है.अगर इंटेंस सीन करना है तो मैं सेट पर अकेले बैठकर म्यूजिक सुनती हूं.किसी से बात नहीं करती हूं.अपने किरदार पर फोकस करती हूं.हल्का फुल्का दृश्य है तो सभी के साथ बैठकर चिल करते हुए खाना खाती हूं.जोक्स शेयर करती हूं फिर अगले ही पल सीन करती हूं.
इस फ़िल्म की अलीशा और आप में क्या चीज़ें समान है
बहुत कम हमदोनो एक जैसे हैं.अलीशा महत्वकांक्षी है.वह ज़िन्दगी में कुछ हासिल करना चाहती है और मैं भी.अलीशा की ज़िंदगी के कुछ फैसलों से मैं बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं लेकिन एक एक्टर के तौर पर मुझे जजमेंटल नहीं होना चाहिए बल्कि हर इंसानी सोच और फैसलों पर इंसानी जज्बात रखने चाहिए.
अलीशा से आप बिल्कुल अलग हैं ऐसे में आपका रेफरेंस पॉइंट क्या था
इस तरह की बहनों के बीच उलझे हुए रिश्तों की कहानियों से मैं अंजान हूं.मैंने अपने आसपास नहीं देखा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ऐसा होता नहीं है.अलग अलग तरह के रिश्ते बनते हैं.हम भारत में ऐसी फिल्मों पर कहानियां नहीं बनाते हैं.हमने कोशिश की है.
गहराइयां दो बहनों की कहानी भी है आपका आपकी बहन के साथ कैसा रिश्ता रहा है
मेरा और मेरी बहन के बीच पांच साल की उम्र का अंतराल है.शुरुआत में मैं उसके लिए मां जैसी ही थी.वह कहती भी थी कि मेरी दो माएं हैं.पिछले दस सालों में हमारा रिश्ता बहुत बदला है.हम एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए हैं और हम एक दूसरे से हर चीज़ डिस्कस करते हैं.मेरी मां को भी अनिशा के बारे में कुछ जानना है तो वह मुझे कॉल करती है
क्योंकि कुछ बातें हम अपने भाई बहनों को बता सकते हैं लेकिन माता पिता को नहीं.अनिशा मेरे स्टारडम से जुड़ाव नहीं महसूस करती है लेकिन वह उसका सम्मान करती है वह मेरा रियलिटी चेक है.मैं इस बात को जानती हूं कि अनिशा,मेरे माता पिता किसी बात को मुझसे कहेंगे तो वह मेरे ही भले के लिए होगी.
रिश्ते ज़िन्दगी को खास बनाते हैं, आप अपने किस रिश्ते को लेकर जुनूनी हैं
मैं अपने पति, बहन,माता पिता,सास ससुर,ननद सभी को लेकर पजेसिव हूं.एक अच्छे रिलेशनशिप की नींव इस बात पर है कि आप उसको लेकर कितने ईमानदार हैं.आपस में बातचीत जारी रखनी होगी.कई बार आप एक दूसरे की बात पर सहमत नहीं होंगे लेकिन बातचीत को कभी ब्रेक नहीं करना चाहिए.
निर्देशक शकुन बत्रा ने अपने हालिया इंटरव्यू में कहा कि दीपिका भले ही एक सुपरस्टार हैं लेकिन सेट पर वह स्टूडेंट की तरह होती है इस बात पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है
मेरे 15 साल के कैरियर की यह बहुत अच्छी बात है.मेरी हमेशा कोशिश इस बात को बैलेंस करने में होती है कि मैं किस तरह जो कुछ भी सीखा है उसे याद करते हुए अपनी नयी फ़िल्म के सेट पर कुछ नया सीख सकूं.मैं अपनी फिल्मों के सेट पर यह सोचकर कभी नहीं जाती हूं कि मुझे सबकुछ आता है.मैं एकदम खाली दिमाग के साथ जाती हूं.मैं अपने निर्देशकों से डिस्कस करती हूं कि किरदार को लेकर मेरा क्या अप्रोच होगा .उसमें जो कुछ मैंने अब तक सीखा है.उसे जोड़ती हूं और कुछ उस वक़्त सीखते हुए जोड़ती हूं.
आपने फ़िल्म के ट्रेलर लॉन्च में कहा था कि रणवीर सिंह ने आपको कहा था कि आपको शकुन बत्रा के साथ फ़िल्म करनी चाहिए क्या आप दोनों फ़िल्म भी डिस्कस करते हैं
हां हम फिल्में डिस्कस करते हैं.हमने किसकी स्क्रिप्ट सुनी.स्क्रिप्ट में क्या खास लगा.हम सबकुछ एक दूसरे को बताते हैं लेकिन आखिरी फैसला फ़िल्म को करने ना करने का हमारा ही होता है .हम किसी पर अपनी सोच थोपते नहीं है.
आपदोनों में क्रिटिक कौन है
मैं ही हूं.मैं बहुत ही ईमानदारी से सबकुछ बोल देती हूं.मुझे क्या अच्छा लगा क्या नहीं.रणवीर नहीं बोल पाता है.लेकिन वो भी सीख रहा है.
एक टीनएजर के तौर पर क्या कभी आपने सोचा था कि आप फिल्मों की अभिनेत्री बनेंगी और उस दौरान फिल्मों को लेकर आपकी क्या मेमोरी रही है
हर किसी की तरह मुझे भी हिंदी सिनेमा की जादुई दुनिया से लगाव था लेकिन हमें ज़्यादा फिल्में नहीं देखने को मिलती थी.मैं स्पोर्ट्स बैकग्राउंड से हूं तो हमलोग बहुत ही अनुसाशित जीवन जीते थे.मैं बहुत कम हिंदी फिल्में देख पायी हूं.मैंने कुछ हिंदी फिल्में देखी है कुछ कुछ होता है और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे.मुझे इन फिल्मों की कहानियां और कॉस्ट्यूम बहुत ही आकर्षित करते थे.मुझे लगता था कि मैं भी एक्टर बनूंगी.
आपने ने नाम,पैसा और प्रसिद्धि सभी में शीर्ष स्थान पा लिया है अब क्या चीज़ें एक एक्टर के तौर पर आपको मोटिवेट करती हैं
मेरी पहली फ़िल्म सुपरस्टार शाहरुख खान के साथ थी.जिसको लेकर मैं बहुत उत्साहित थी .उसके बाद कुछ साल यही समझने में चले गए कि मुझमें क्या प्रतिभा है और मुझे कैसे क्या करना है.धीरे धीरे मैं अपनी सही और गलत दोनों फैसलों से सीखती गयी.जिसने एक एक्टर और इंसान दोनों ही तरह से मुझे समृद्ध बनाया है.अब मैं अलग अलग किरदार करना चाहती हूं.अपनी जर्नी से युवाओं को मोटिवेट करना चाहती हूं.