वेब सीरीज पाताललोक से अभिनेता अभिषेक बनर्जी का नाम सीरियस एक्टर्स की फेहरिस्त में शुमार हो गया है. उनकी मौजूदगी हर प्रोजेक्ट्स को खास बना रही है. अभिषेक जल्द ही ज़ी 5 की फ़िल्म हेलमेट में कॉमेडी के अपने पॉपुलर अंदाज में नज़र आने वाले हैं. इस फ़िल्म और करियर पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत
हेलमेट को हां कहने की एक एक्टर के तौर पर क्या वजहें रही थी?
दोस्ती इस फ़िल्म को कहने की सबसे अहम वजह थी. निर्देशक शतराम, लेखक रोहन शंकर हमउम्र हैं. निर्माता डीनो सर थोड़े बड़े हैं लेकिन हम उम्र लगते हैं. अपारशक्ति और मैं साथ में स्त्री में काम कर चुके हैं. काफी गहरी दोस्ती है. एक्टर आशीष वर्मा, हिमांश कोहली मेरे कॉलेज के दोस्त हैं. कॉलेज में हम साथ में थिएटर करते थे. एक तरह का सौभाग्य होता है जब आप इतने पुराने दोस्तों के साथ काम करने का मौका मिलता है. दूसरा फ़िल्म की कहानी जबरदस्त है. जिस तरह से हम जा रहे हैं 200 करोड़ का आंकड़ा छू लेंगे. क्रिकेट के मैदान में ही डबल सेंचुरी अच्छी लगती है. यहां हो गयी तो और परेशानियां शुरू हो जाएंगी. इतने लोगों का देखभाल करना कानून व्यवस्था बनाए रखना आसान काम नहीं है. ये फ़िल्म इस बात को बहुत मजेदार तरीके से बयां कर रही है. जब सर्दी, जुकाम जैसी दवाइयों को हम घर में खुलेआम रखते हैं तो कंडोम को क्यों नहीं रखते हैं. बहुत ही गलत तरीके से देखा जाता है बात इज़्ज़त,आन,बान और शान पर आ जाती है जबकि ये बेसिक चीज़ है. खुद को और अपने परिवार को बचा रखने के लिए ज़रूरी हैं.
आपके ग्रोइंग इयर्स में आपको कितनी जानकारी थी. घर में कैसा माहौल था इन बातों को लेकर?
कभी घर में सुना ही नहीं था कंडोम के बारे में. बाहर से ही सुनने में आया. दोस्तों से और फिल्मों से ही समझ आया कि कंडोम होता क्या है इसका इस्तेमाल क्या होता हैं. स्कूल में सेक्स एजुकेशन के नाम पर बहुत ही घटिया सा पीरियड होता हैं. जिसमें कोई कुछ बोलता ही नहीं है. सब हंसते रहते हैं या फिर शर्माते रहते हैं. कंडोम खरीदना तो मुश्किल है ही रखना भी कम आफत नहीं है. मेरा इस पर निजी अनुभव रहा है. कंडोम ऐसी चीज़ है कि छिपाए कहां. बैग में रखे तो मम्मी पकड़ ले. कबर्ड में रखें तो पापा पकड़ लें. मैं उसे तकिए के नीचे रखता था ताकि नींद से उठूं तो फटाफट अपनी जेब में डाल लूं. मेरे साथ ही रहे. कहीं ऐसी जगह ना रह जाए कि मां बाप उसे पकड़ ले. एक बार पता नहीं क्या हुआ मैं नींद से उठा जैसे ही अपना तकिया हटाया देखा कि तकिए के नीचे से कंडोम गायब था. उस वक़्त मम्मी पापा और मैं रहते थे. नौकर कोई नहीं होता था. समझ गया कि वो पैकेट मम्मी या पापा के हाथ पड़ गया है. डर लगा था कि डांटेंगे लेकिन कमाल की बात थी कि उन्होंने इस विषय के बारे में कभी नहीं बात की. कई महीनों बाद जब मैं पिताजी के सीक्रेट स्पॉट से पैसे चुराने की कोशिश कर रहा था तो देखा कि मेरा कंडोम पैकेट वहां पड़ा है सुरक्षित.
पाताललोक की कामयाबी के बाद किस तरह से ऑफर्स आने लगे हैं और क्या मेहनताने में भी वृद्धि हो गयी है?
एक्टर के तौर पर बढ़ोतरी हो रही है. जिस तरह के ऑफर्स आ रहे हैं. समझ आ रहा है कि लोग मुझ पर भरोसा करने लगे हैं. अब मुझे ऐसी फिल्म और शोज ऑफर्स होने लगे हैं. जिनमें मेरे किरदार पर बहुत कुछ निर्भर करेगा. लीड एक्टर के रोल के लिए भी ऑफर्स आ रहे हैं. बहुत अच्छा लग रहा है सुनने में आप होंगे हीरो. आपके साथ ही ये वेब शो बनाना है. मेहनताना जो मिल रहा है वो पहले से ज़्यादा मिल ही रहा है लेकिन जो निर्माता करोड़ो रूपये का दांव मुझ पर लगाने को तैयार हैं तो वो मुझे ज़्यादा खुशी दे रहा है.
आप एक्टिंग में मशरूफ हैं तो ऐसे में अपनी कास्टिंग कंपनी को कितना समय दे पाते हैं?
आज भले ही मैं एक्टिंग में बहुत मशरूफ हूं लेकिन टेक्नोलॉजी के माध्यम से मैं सबसे जुड़ा रहता हूं. अपनी टीम के साथ आइडियाज शेयर करता रहता हूं. कास्टिंग बे सभी की कम्पनी है. यही वजह है कि अनमोल या मैंने अपना नाम उसे नहीं दिया. हर क्रिएटिव माइंड वाले की वो कंपनी है.
जैसा कि आपने कहा कि आपको लीड के ऑफर्स आ रहे हैं ऐसे जिम में कितना समय बिताना पड़ रहा है लुक्स पर कितना ध्यान दिया जा रहा है?
(हंसते हुए)ना चाहते हुए भी करना पड़ रहा है. मेरी पत्नी मुझसे बहुत परेशान थी. मैं कभी जिम नहीं जाता था. वो काफी फिट हैं. वो आर्किटेक्ट के अलावा एक्स मॉडल भी हैं. वो हमेशा मुझे बोलती रहती थी कि जिम जाओ. मैं हमेशा बोलता था कि एक्टर को एक्टिंग करने के लिए जिम जाने की ज़रूरत नहीं है लेकिन धीरे धीरे ये समझ आ रहा है कि आप चाहे कितनी भी बड़ी बड़ी बातें कर लो. मुद्दा ये है कि आपको एक तरीके का शरीर मेन्टेन करके रखना पड़ेगा क्योंकि जो दर्शक आपको देख रहे हैं. उनको आप अपने जैसा बनने को प्रेरित कर रहे हैं. इसके साथ ही मैं इसलिए भी जिम जा रहा हूं ताकि मेरे अंदर स्टैमिना रहे. वरना 12 घंटे के शूट में मैं थक जाऊंगा.